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परमात्मा मां जी को बैकुंठ में स्थान प्रदान करें। उनकी कीर्ती काया सदा आपके साथ रहेगी। ॐ शान्ति#narendramodi
आज फिर उतनी ही सर्दी है, जब हाथ तेज़ी से ठंडे पानी के काम जल्दी जल्दी निपटाते हुए भी नीले पड़ जाते हैं। जब घी के बघार की धांस खिड़की से निकलकर दूर हवाओं में घुल जाती है। चूल्हे पर उतरती गर्म गर्म चपाती की सौंधी सी महक जैसे चाँद तक पहुँच जाती है, और वो चुपके से खिड़की में झाँकते हुए मुस्कराता है।
हाँ आज वैसी ही सर्दी है जब उठते ही मन होता है एक प्याली गुड़ वाली चाय का। वही गुड़ वाली चाय जो वादा है एक साथ पीने का। वो वादा चाहे कभी पूरा न हो, पर उस वादे के साथ का एहसास इस ठंडी की तरह ही शीतल है।
सोचते सोचते मैं जल्दी जल्दी चाय बनाने लगी। ढेर सारे झाग बनाते हुए जब चाय को कप में डाल रही थी तो गुड़ की भीनी सी खुशबू मुझे फिर वहीं ले गई, जहाँ पर बस हम तुम थे। ख्याल ही सही पर कितना खूबसूरत सा था न वो ख्याल!
इस बार गुड़ की चाय एकदम परफेक्ट बनी है, बिल्कुल वैसी जैसी तुम चाहते थे। तुम्हारे परफेक्शन भी अजीब थे तुम्हारी ही तरह।
मुझसे तुम्हे हर बात में परफेक्शन चाहिये, पर जब उस रात काम से थके हुए तुमने खुद से कोशिश की थी गुड़ की चाय बनाने की तो कैसे मायूस होकर कहा था;
'कैसे बना लेती हो तुम! मेरी चाय तो गुड़ डालते ही फट गई!'
और मैंने बेतहाशा हँसते हुआ कहा था;
मिस्टर परफेक्शनिस्ट...यह गुड़ की चाय है। जिसे बनाने के लिये सब्र चाहिये होता है, जो तुममे है ही नहीं।
तुमने कुछ जवाब न दिया, पर मैं फोन पर भी तुम्हारी गहरी सांस का कारण भांप गई थी और तुरन्त बात बदल दी थी। पर तुम उसके बाद खामोश ही रहे। मैं ही कुछ न कुछ बोलती रही। आज भी याद है मुझे तुमने फोन रखने से पहले यही कहा था बस;
जानती हो, तुममें सब्र बहुत है। यह तुम्हारी मजबूती है। तुम किसी भी लड़ाई को बिन लड़े बस अपनी सब्र भरी चुप्पी से जीत लेती हो...मैं जानता हूँ तुम्हारी तरह सब्र कभी नहीं आ सकता मुझे, इसलिए ही शायद गुड़ की चाय कभी नहीं बना पाऊंगा।
और मैं मन ही मन सोच रही थी, एक सब्र ही तो बचा है मेरे हिस्से। वह तो मेरे पास रहने दो।
देखो अब सब बदल गया है, नहीं बदला तो बस मेरा सब्र और यह गुड़ की चाय:-)
जीवन के सौ वर्ष गौरव, स्वाभिमान, मेहनत और ईमानदारी से जिसने बिताए हों। जिसके दिए संस्कारों से बच्चों का शीश चमकता हो। जिसके बच्चे माँ के हर संघर्ष को जीवन मे सीख की तरह लें।
जो जब तक जिए तब तक किसी से एक गिलास पानी की भी आस न रखें...कम में भी संतोषी वो जो अपने हर कर्तव्य का पालन कर राजी खुशी देवलोकगमन करें!
ऐसी माँ सौभाग्यशाली होती हैं। जीवन से बस यही तो चाहिए हर एक माँ को। और जीवन का यही हांसिल है हर एक व्यक्ति का। हर माता पिता का।
हीरा बा को ईश्वर अपने श्री चरणों मे स्थान दें🌺
#मान_सिंह_कछवाहा ने केवल अफगानिस्तान ही नही जीता , वरन समूचे उत्तर भारत में व्यापारियों के लिए मार्ग प्रशस्त किया। आज भी आगरा, मथुरा से लेकर पश्चिम बंगाल में भी वह व्यापारी वर्ग आज भी निवास करता है।
यही नहीं अब पूर्ववत में अफगान और तुर्क शासकों की तरह मंदिरों में ब्राह्मणों की हत्या भी नहीं की जा रही थी, धर्म स्थल तो सुरक्षित हुए ही अपितु उसके साथ साथ बीरबल और तानसेन जैसे लोग बेखौफ अकबर के नवरत्न भी बन रहे थे।
अफगानिस्तान में पांच अफगान शासकों पर विजय के उपलक्ष्य में राजा मानसिंह ने आमेर राज्य का झंडा #पंचरंगा किया,जो उन राज्यों के ध्वज के रंग थे।
आप गूगल पर जाकर आमेर परिवार #पचरंगा ध्वज देख सकते है ।।
राजा मान सिंह की इन विजयो की प्रशंसा में अनेक कवियों ने अनेक दोहे भी रचे है, जिनमे से एक है "
मात सुनावें बालकां, ख़ौफ़नाक रणगाथ, काबुल पाड़ी नी अजे, यो खांडो यो हाथ।
शत्रुओं की पत्नियां अपने बच्चो को मानसिंह का नाम लेकर डराती थी