Ontdekken postsOntdek boeiende inhoud en diverse perspectieven op onze Ontdek-pagina. Ontdek nieuwe ideeën en voer zinvolle gesprekken
वणी सूत री सींदरी, वणी सूत री पाग।
बंधवा बंधवा में फरक, जश्यो जणी रो भाग।।
अर्थात सूत को बंट कर रस्सी बनायी जाती है और सूत से ही पगड़ी बनायी जाती है। लेकिन इन दोनों के बाँधने में अंतर होता है। रस्सी से पशुओं को बांधा जाता है तो वहीं पगड़ी सर की शोभा बढाती है। अत: जिसका जैसा भाग्य होता है, वह वैसा ही पाता है।
- प्रसिद्ध लोककवि बावजी चतुर सिंह जी (करजाली - मेवाड़)