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फाइनली वरुण धवन और जाह्ववी कपूर के फैंस का इंतजार खत्म होता नज़र आ रहा है. लंबे समय से रिलीज़ के लिए टलती आ रही फिल्म 'बवाल' को फाइनली इसकी रिलीज डेट मिल गई है. पहले यह फिल्म 2023 में 7 अप्रैल को रिलीज़ होने वाली थी, लेकिन फिर पोस्ट-प्रोडक्शन में खामी की वजह से टाल दी गई, जबकि फिल्म की शूटिंग काफी समय पहले ही पुरी हो चुकी है.
वरुण धवन और जान्हवी कपूर स्टारर बवाल को लेकर लगातार दर्शकों के बीच बातें हो रही थी. बताया जा रहा था कि फिल्म की रिलीज़ अपने VFX की वजह से रुकी हुई थी. इस फिल्म को लेकर दर्शकों के बीच एक्साइटमेंट लेवल को बरकरार रखते हुए अब मेकर्स ने फिल्म की रिलीज डेट का एलान कर दिया है. ये फिल्म 6 अक्टूबर 2023 को सिनेमाघरों में रिलीज होगी.

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नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. मां के मस्तक पर घंटे के आकार का चंद्रमा सुशोभित होता है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है. इनकी उपासना करने से भय और नकारात्मक शक्तियों का अंत हो जाता है.. मां चंद्रघंटा को देवी पार्वती का रौद्र रूप माना जाता है. उनकी चार भुजाओं में त्रिशूल, गदा, तलवार,और कमंडल है वहीं, पांचवा हाथ वर मुद्रा में है. जबकि, मां की अन्य भुजाओं में कमल, तीर, धनुष और जप माला हैं और और पांचवा हाथ अभय मुद्रा में है. इनके दसों हाथों में अस्त्र-शस्त्र हैं और इनकी मुद्रा युद्ध की है.

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जून 2014 में नमाज़ पढ़कर घर लौट रहे 28 साला मुस्लिम नौजवान मोहसिन शैख़ का आतंकी भीड़ ने क़त्ल कर दिया था। इस क़त्ल के आरोप में हिंदू राष्ट्र सेना का अध्यक्ष धनंजय देसाई समेत 20 आरोपी गिरफ़्तार हुए थे।
लेकिन 2014 में इनकी गिरफ़्तारी के कुछ महीने बाद ही अदालत इनमें से ज़्यादहतर आरोपियों को ज़मानत दे दी थी। जनवरी 2019 में क़त्ल के मुख्य आरोपी धनंजय देसाई की ज़मानत के समय मोहसिन के परिवार ने कहा था धनंजय देसाई अगर ज़मानत पर बाहर आया तो गवाहों को डराए/धमकाएगा। अब बॉम्बे कोर्ट ने हिंदू राष्ट्र सेना प्रमुख धनंजय देसाई समेत 20 आरोपियों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया है।

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यूपी- मैनपुरी के रमपुरा गांव से 21 दिसंबर 2022 को शमशाद अली की 14 वर्षीय बेटी 'मनतारा' का किडनैप होता है। पिता शमशाद पुलिस के पास जाते हैं पुलिस कहती है ढूंढेंगे ढूंढेंगे, यही कहते 8 दिन बीत जाता है। शमशाद को पता चलता है उनकी बेटी को पंजाब ले जाया गया है। शमशाद अपने कुछ लोगों के साथ पंजाब के लिए निकल जाते हैं। शमशाद अलीगढ़ पहुंचते हैं तो उनके बेटे सलमान की कॉल आती है कि अब्बा दो और बहनें निशा (22) और मुस्कान (16) भी आज ग़ायब हैं।
26 जनवरी को उसी मैनपुरी के भोगांव की दो और नाबालिग़ लड़कियां भी ग़ायब हैं। तीन सगी लापता बहनों के भाई सलमान ने प्रशासन से दरख़्वास्त की है कि- "मेरी बहनों को जल्द ढूंढने की कार्रवाई की जाए नहीं तो मैं कुछ ग़लत क़दम उठा लूंगा"
लापता हुई तीन बेटियों के पिता शमशाद का कहना है। इस किडनैपिंग का तार पंजाब से जुड़ा हुआ है। इसमें एक राकेश नामी शख़्स शामिल है।

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यूपी- मैनपुरी के रमपुरा गांव से 21 दिसंबर 2022 को शमशाद अली की 14 वर्षीय बेटी 'मनतारा' का किडनैप होता है। पिता शमशाद पुलिस के पास जाते हैं पुलिस कहती है ढूंढेंगे ढूंढेंगे, यही कहते 8 दिन बीत जाता है। शमशाद को पता चलता है उनकी बेटी को पंजाब ले जाया गया है। शमशाद अपने कुछ लोगों के साथ पंजाब के लिए निकल जाते हैं। शमशाद अलीगढ़ पहुंचते हैं तो उनके बेटे सलमान की कॉल आती है कि अब्बा दो और बहनें निशा (22) और मुस्कान (16) भी आज ग़ायब हैं।
26 जनवरी को उसी मैनपुरी के भोगांव की दो और नाबालिग़ लड़कियां भी ग़ायब हैं। तीन सगी लापता बहनों के भाई सलमान ने प्रशासन से दरख़्वास्त की है कि- "मेरी बहनों को जल्द ढूंढने की कार्रवाई की जाए नहीं तो मैं कुछ ग़लत क़दम उठा लूंगा"
लापता हुई तीन बेटियों के पिता शमशाद का कहना है। इस किडनैपिंग का तार पंजाब से जुड़ा हुआ है। इसमें एक राकेश नामी शख़्स शामिल है।

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यूपी- मैनपुरी के रमपुरा गांव से 21 दिसंबर 2022 को शमशाद अली की 14 वर्षीय बेटी 'मनतारा' का किडनैप होता है। पिता शमशाद पुलिस के पास जाते हैं पुलिस कहती है ढूंढेंगे ढूंढेंगे, यही कहते 8 दिन बीत जाता है। शमशाद को पता चलता है उनकी बेटी को पंजाब ले जाया गया है। शमशाद अपने कुछ लोगों के साथ पंजाब के लिए निकल जाते हैं। शमशाद अलीगढ़ पहुंचते हैं तो उनके बेटे सलमान की कॉल आती है कि अब्बा दो और बहनें निशा (22) और मुस्कान (16) भी आज ग़ायब हैं।
26 जनवरी को उसी मैनपुरी के भोगांव की दो और नाबालिग़ लड़कियां भी ग़ायब हैं। तीन सगी लापता बहनों के भाई सलमान ने प्रशासन से दरख़्वास्त की है कि- "मेरी बहनों को जल्द ढूंढने की कार्रवाई की जाए नहीं तो मैं कुछ ग़लत क़दम उठा लूंगा"
लापता हुई तीन बेटियों के पिता शमशाद का कहना है। इस किडनैपिंग का तार पंजाब से जुड़ा हुआ है। इसमें एक राकेश नामी शख़्स शामिल है।

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सऊदी अरब की हुकूमत ने पिछले हफ़्ते सीरिया और तुर्की में आए ज़लज़लों से मुतअस्सिरीन के लिए पहले मरहले में तीन हज़ार टेंपरेरी घर बनाने का ऐलान किया है।
"किंग सलमान इंसानी इमदाद और रिलीफ़ सेंटर" के चेयरमैन अब्द-उ-ल्लाह बिन अब्द-उल-अज़ीज़ ने कहा- "सऊदी अरब पहले मरहले में तुर्की और सीरिया में तीन हज़ार घर बनाएगा जो घर तमाम बुनियादी सहूलियात से लैस होगा"
#saudiarabia #turkey #syria

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शेख़ अहमद दीदात 1918 में सूरत गुजरात में पैदा हुए। उनके वालिद सिलाई का काम करते थे पर कमाई इतनी नहीं थी कि घर का ख़र्च सुचारू रूप से चल सके, उस समय पैसे कमाने के लिए गुजरात के लोग साऊथ अफ़्रीक़ा जाते थे। अहमद दीदात के वालिद भी साऊथ अफ़्रीक़ा चले गए वहां उन्होंने एक फ़ार्म हाउस में मज़दूरी की जब कुछ पैसे इकट्ठा हुए तो साऊथ अफ़्रीक़ा के शहर डरबन में टेलरिंग की एक छोटी दुकान खोल ली और अपनी फ़ैमिली को अपने पास साऊथ अफ़्रीक़ा बुला लिया।
इस तरह अहमद दीदात साहब 1927 में साऊथ अफ़्रीक़ा पहुंचे उस समय उनकी उम्र 9 वर्ष थी साउथ अफ़्रीक़ा पहुंचने के कुछ महीने बाद उनकी वालिदा का इंतक़ाल हो गया वालिद ने इनका एडमिशन एक स्कूल में करा दिया लेकिन घर की ख़राब आर्थिक स्थिति के कारण कक्षा 6 के बाद पढ़ाई छोड़ना पड़ा कुछ दिनों तक सिलाई के काम में वालिद का हाथ बंटाया ड्राइविंग सीखी और फ़र्नीचर बनाने वाले एक कारखाने में ड्राइवर की हैसियत से नौकरी करने लगे।
16 वर्ष का एक नौजवान जिस की शिक्षा सिर्फ़ क्लास सिक्स तक हुई हो ड्राइवर की हैसियत से नौकरी करता हो, कौन सोच सकता था कि यह नौजवान एक दिन अपने इल्म की बदौलत पूरी दुनिया में मशहूर होगा।
अहमद दीदात साहब जहां नौकरी करते थे वहां ईसाई मिशनरी वाले बहुत सरगर्म थे वह आते अहमद दीदात को ईसाइयत क़बूल करने की दावत देते थे। इस्लाम की बुराई बयान करते और रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शान में बहुत बुरे कमेंट करते थे। जिससे अहमद दीदात साहब को ग़ुस्सा आता था पर इल्म उतनी नहीं थी कि उन्हें जवाब दे पाते।
इस चीज़ ने उन के अंदर सकारत्मक बदलाव किया और उन्होंने ठान लिया कि इतना पढ़ना है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शान में ग़ुस्ताख़ी करने वालों को भरपूर जवाब दे सकें।
एक दिन वह कारखाने का बेसमेंट साफ कर रहे थे वहां उन्हें एक किताब मिली जो मशहूर आलिम मौलाना रहमतुल्लाह कैरानवी की किताब इज़्हारुल हक़ का इंग्लिश तर्जुमा थी किताब धूल मिट्टी में लत पत थी अहमद दीदात साहब किताब उठा लाए साफ़ करके पढ़ना शुरू किया पढ़ कर बहुत खुश हुए इस किताब में हर वह चीज थी जिस की उन्हें तलाश थी।
फिर उन्होंने बाइबिल ख़रीद ली और इतनी मेहनत की कि सन 1942 में इन्होंने एक लेक्चर दिया जिस का शीर्षक था मोहम्मद अमन के पयाबंर।
अहमद दीदात साहब की शादी हो चुकी थी दो बच्चे भी पैदा हो चुके थे कमाई कम थी और पढ़ाई का शौक भी था इस लिए 1949 में पाकिस्तान के कराची शहर आ गए और कपड़े की एक फैक्ट्री में मैनेजर की नौकरी कर ली लेकिन तीन साल बाद 1952 में कानूनी मजबूरियों के कारण साउथ अफ्रीका वापस जाना पड़ा।
इस बार हालात मुख्तलिफ थे लोग उन के लेखों और भाषणों के कारण उन्हें जानने लगे थे लोग उन के साथ जुटते गएं और 1957 में इन्होंने IPCI के नाम से एक संस्था क़ायम की और दो साल बाद सलाम ऐजुकेशन इंस्टीट्यूट खोला।
शेख अहमद दीदात साहब ने इस्लाम और ईसाई धर्म पर बहुत सी किताबें लिखीं जिस से प्रभावित होकर काफी लोग मुसलमान हुए इन्हें अमरीका यूरोप और आस्ट्रेलिया बुलाया जाने लगा।
इन की शोहरत सुन कर पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल जिया उल हक़ ने पाकिस्तान बुलाया , मालदीव सरकार ने इन्हें मामून अब्दुल कय्यूम अवार्ड और सऊदी सरकार 1986 ने शाह फैसल अवार्ड से सम्मानित किया।
1996 में इन पर फालिज का हमला हुआ इलाज की जिम्मेदारी सऊदी अरब सरकार ने उठाई लेकिन वह शिफा न पा सके बिस्तर से लग गएं और 2005 में उनका डरबन दक्षिण अफ्रीका में इंतकाल हो गया।
उनकी किताबों का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया गया उर्दू में उन की किताबें रेख़्ता पर पढी जा सकती हैं।
मोहब्बत में सकारात्मक सोच और सही क़दम ने एक आम से इंसान को अहमद दीदात बना दिया।

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खुद को पत्रकार कहने वाले मनीष कश्यप के सभी बैंक अकॉउंट को बिहार प्रशासन ने फ्रीज करवा दिया है। जिसमें टोटल तक़रीबन 43 लाख रुपए थे। जिसकी जांच बिहार पुलिस कर रही है। बिहार प्रशासन ने गिरफ़्तारी वारंट जारी कर दिया है। पुलिस मनीष कश्यप को गिरफ़्तार करने के लिए जगह जगह छापेमारी कर रही है।

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