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एक व्यापारी था, वह ट्रक में चावल के बोरे लिए जा रहा था। एक बोरा खिसक कर गिर गया..
कुछ चीटियां आयीं 10-20 दाने ले गयीं, कुछ चूहे आये 100-50 ग्राम खाये और चले गये, कुछ पक्षी आये थोड़ा खाकर उड़ गये, कुछ गायें आयीं 2-3 किलो खाकर चली गयीं, एक मनुष्य आया और वह पूरा बोरा ही उठा ले गया। अन्य प्राणी पेट के लिए जीते हैं, लेकिन मनुष्य तृष्णा में जीता है। इसीलिए इसके पास सब कुछ होते हुए भी यह सर्वाधिक दुखी है। आवश्यकता के बाद इच्छा को रोकें, अन्यथा यह अनियंत्रित बढ़ती ही जायेगी, और दुख का कारण बनेगी।
"सौगंध को पीढ़ियों तक निभाना गाड़िया लुहारों से सीखे"
मेवाड़ के महान योद्धा महाराणा
प्रताप की सेना वर्ष १५७६ में
हल्दीघाटी युद्ध में मुग़लो से
पराजित हो गई।
मेवाड़ पर मुग़लो का शासन हो गया।
मेवाड़ी सेना को हथियार बना कर देने वाले वफादारों
ने ५ सौगंध ली कि जब तक महाराणा का शासन
वापस नहीं आएगा हम
(१) मेवाड़ वापस नहीं जायेंगे।
(२) कोई भी स्थाई निवास में नहीं रहेगा
(३) रात को दिया नहीं जलाएंगे
(४) गाड़ी में घर होगा
(५) कुए से पानी निकालने का रस्सा
नहीं रखेंगे।
आज भी गाड़िया
लुहार अपने परिवार व सामान के साथ गाड़ी में
विचरण करते हुए पांचो कठिन सौगंधो को निभा रहे है।
भौतिक साधनो की होड़ व दुनिया के ऐशो आराम के
साधन इनको अब तक विचलित नहीं कर पाये
है। आज भी कड़ी तपस्या व
मेहनत करते हुए लोहे को कूट कर खेती
व घर का सामान बनाकर अपना जीवन यापन कर
रहे है।
🙏🙏🙏 बलवन्त सैन धवारिया 🙏🙏🙏