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🔑kiara😩❤️
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What is your Nasha? ☀️

#quickstyle #jedanasha
music by: Faridkot & Amar Jalal

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'नाथद्वारा' में दुनिया की सबसे ऊंची शिव मूर्ति रात में आश्चर्यजनक रूप से मंत्रमुग्ध कर देने वाली लगती है

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Accident in Ludhiana iron factory, hot iron fell on working laborers
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ਲੁਧਿਆਣਾ ਦੀ ਲੋਹਾ ਫੈਕਟਰੀ ‘ਚ ਹਾਦਸਾ,  ਕੰਮ ਕਰਦੇ ਮਜ਼ਦੂਰਾਂ ‘ਤੇ ਡਿੱਗਿਆ ਗਰਮ ਲੋਹਾ  –  Radio Punjab Today Radio Punjab Today
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ਲੁਧਿਆਣਾ ਦੀ ਲੋਹਾ ਫੈਕਟਰੀ ‘ਚ ਹਾਦਸਾ, ਕੰਮ ਕਰਦੇ ਮਜ਼ਦੂਰਾਂ ‘ਤੇ ਡਿੱਗਿਆ ਗਰਮ ਲੋਹਾ – Radio Punjab Today Radio Punjab Today

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कोई पत्थर पर राम का नाम लिखकर तर जाता है...और राम के नाम पर सेतु बन जाता है। यही तो संस्कार हैं...यही भक्ति है, यही धर्म है! जहाँ पत्थरों को आराध्य के नाम से पुल में बदल दिया जाता है! और कहीं....!

सेतू कपि नल नील बनावें ।
राम-राम लिख सिला तिरावें ।।
लंका पहुँचे राजा राम ।
पतितपावन सीताराम ।।

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पहले भाईसाहब फिर भैया और अब बड़ी मंमी....
ईश्वर इतना क्रूर कैसे हो सकता है?

लास्ट टाइम जब मिली थी तो आपके आँचल से लगकर खूब रोइ थी...आपने कहा था मैं हूँ न! अब..? आप इतनी जल्दी क्यों चली गईं बड़ी मंमी। आपको तो हम सबको संभाले रखना था। संयुक्त परिवार को सालों तक आपने संभाला...और जब परिवार इतने बड़े दुःख से उबरने में लगा था...आप भी साथ छोड़ गईं??

मेरे स्कूल से लेकर कॉलेज तक कोई नहीं जानता था कि आप मेरी ताईजी हैं...सबको पता था कि आप माँ है मेरी। आपने इतना प्यार और संस्कार दिए कि स्वयं पर गर्व होता था कि आपके सानिध्य में पली बढ़ी।

बड़ी मंमी आपसे तो अंतिम बार बात भी न कर पाई...मैं......नीमच आपके बिना कुछ भी नहीं अब। अब वो मुस्कराता चेहरा कभी नहीं दिखेगा। क्रूर वक्त ने छीन लिया आपको भी।

बड़ी मंमी आपको कभी भूला नहीं पाएंगे...कभी नहीं।

ईश्वर के श्री चरणों मे खुश रहना सदा।

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बचपन की परंपरा को बनाए रखा😍

धर्म की जय हुई
अधर्म का नाश हुआ

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कुछ भावनाओं के लिये शब्द नहीं मिलते!
कौन कहता है भगवान खाते नहीं...बेर शबरी के जैसे खिलाते नहीं❤️🙏
सात समुंद की मसि करौं, लेखनि सब बनराइ।
सब धरती कागद करौं, हरि गुन लिखा न जाइ॥

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जब से जैन मुनि श्री समर्थ सागर जी और मुनि सुज्ञेय सागर जी जो कि सम्मेद शिखर तीर्थ रक्षा के लिए अनशन पर बैठे थें के प्राण त्यागने के बारे में पता चला तब से मन विचलित हो उठा।
एक ऐसा धर्म जो आक्रोश भी मौन जुलूस निकाल कर, आमरण अनशन पर बैठकर और स्वयं के देह त्याग से दिखाता हो, क्या उनके लिए हम सभी को मिलकर आवाज नहीं उठाना चाहिए?
हम सभी जानते हैं कि जैन धर्म अहिंसा को सर्वोपरि मानने वाला धर्म है। जैन होना सिर्फ एक समुदाय या धर्म का होना ही नहीं, बल्कि एक नियम के अंतर्गत जीवन जीना है। इनके बनाए नियम इतने कठोर होते हैं, जिसमे हर प्राणी, हर जीव के प्रति दया का भाव होता है। स्वयं कष्ट सहकर भी जो दूसरे जीव पर दया और अहिंसा का भाव रखते हों...ऐसे जैन धर्म के मुनि जब अपनी किसी मांग के चलते देह त्याग कर दें तो इससे ज्यादा दुःखद स्थिति क्या होगी?
खैर मैं न राजनीति में पड़ना चाहती हूँ और न ही अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक की लड़ाई में।
राजनीतिक रूप से तो सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल घोषित करने की बात के लिए शिबू सोरेन केंद्र सरकार को और केंद्र सरकार शिबू सोरेन की सरकार को दोष दे रहे हैं। और अब तो वहाँ के आदिवासियों ने भी शिखर जी पर अपना दावा कर दिया है।
जैन समुदाय से जुड़े लोगों का कहना है कि ये आस्था का केंद्र है, कोई पर्यटन स्थल नहीं। इसे पर्यटन स्थल घोषित करने पर लोग यहां मांस-मदिरा का सेवन करेंगे। इसके चलते इस पवित्र धार्मिक स्थल की पवित्रता खंडित होगी। इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। और यह बात सच भी प्रतीत होती है। हम लोगों ने भी देखा है जब हरिद्वार गंगा मैया में पिकनिक स्पॉट की तरह नहाने वालों पर वहां के स्थानीय लोगों द्वारा आक्रोशित होकर कार्यवाही की गई थी।
यह भी पता चला है कि ऐसे ही पर्यटन स्थल के जैसे घूमते लोगों ने जैन तीर्थ शत्रुंजय पर्वत पर भगवान आदिनाथ की चरण पादुकाओं को भी खंडित कर दिया है।
शिखर जी जैनियों का पवित्र तीर्थ है। जैन समुदाय से जुड़े लोग सम्मेद शिखरजी के कण-कण को पवित्र मानते हैं। झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित श्री सम्मेद शिखरजी लोगों की आस्था से जुड़ा है। बड़ी संख्या में हिंदू भी इसे आस्था का बड़ा केंद्र मानते हैं। जैन समुदाय के लोग सम्मेद शिखरजी के दर्शन करते हैं और 27 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले मंदिरों में पूजा करते हैं। यहां पहुंचने वाले लोग पूजा-पाठ के बाद ही कुछ खाते पीते हैं।
जैन धार्मिक मान्यता के अनुसार यहां 24 में से 20 जैन तीर्थंकरों और भिक्षुओं ने मोक्ष प्राप्त किया है।
हालांकि गुरुवार को केंद्र सरकार ने पर्यटन स्थल घोषित करने के आदेश को वापस लिया है। किन्तु यह देखना होगा कि जैन धर्म के लोगों और उनके मुनियों की मांगों पर राज्य सरकार कितना सहयोग और समर्थन देती हैं। और यह आदेश कितना अमल में लाया जाता है।
सरकारों को कम से कम हमारी आस्था के केंद्र और तीर्थ स्थलों को पर्यटन और घूमने की जगह बनाने से बचना चाहिए। यह हमारी धरोहर है, हमारी संस्कृति है और हमारा इतिहास है। इसे संजोए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है।
ऐसे धर्ममुनि सदैव वंदनीय हैं जो देह त्याग कर भी धर्म और समाज को दिशा दिखाते हैं।
जैन मुनि श्री समर्थ सागर जी और श्री सुज्ञेय सागर जी को शत शत नमन🙏