Project Portfolio Management Market : Insights and Trends for the Future | #project Portfolio Management Market
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Dental 3D Printing Market : Insights and Trends for the Future | #dental 3D Printing Market
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हमारे पुरखो ने दिया बलिदान देश के लिए ,
खाप ने योध्या दिए जंग के मैदान को जीतने वाले ,
जट्टी ने बी लड़ी लड़ाई पेश की मिसाल ,
देखो मार्शल कोम की जट्टी की फ़ौज ,
जिसने हर छेत्र में पुरखो के साथ देश का बढ़ाया सम्मान ,
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई ,
जट्टी थारी खूब चढ़ाई🙏😊🌹
अपील
जट्टी अपने मार्शल ब्लडलाइन के साथ चलो
मार्शल कोम की ब्लडलाइन पर विचार करे
पार्वती नदी के पास भितरवार किला 17 वीं शताब्दी में बनाया गया था। जिसका राजा भेराजशाह था जो जाट क्षत्रिय था। इस तरह के लेख इतिहास के पन्नों में मिलते हैं। राजा दो भाई थे। दूसरे भाई का नाम लक्ष्मण सिंह था जो लक्ष्मणगढ किले में रहता था वह धार्मिक प्रव्रत्ति का था
श्यामपुर राजान मंदिर पर एक भागवत आचार्य ने इस नगर के संबंध में कहा
भितरवार के नाम के टीका हुए अनेक।
भितरवार उसे कहें जो भितरवार एक।
भितरवार का किला नौमंजिला है | किले की सुरक्षा की दृष्टि से चारों ओर पांच फीट मोटी दीवारे हैं। तोप के हमले से बचाव के लिए दीवारों में मिट्टी डाली जाती थी, जिस पर दुश्मनों की तोप के गोले मिट्टी पर बेअसर साबित होते थे।
किले पर सुरक्षा की दृष्टि से मुख्य द्वार पर एक बुर्ज का निर्माण किया गया था जिस पर करीब 52 गुर्द बने थे। जिन पर 52 तोप के साथ बंदूकधारी हमेशा तैनात रहते थे।किले के उत्तर दिशा में एक हाथीखाना बनाया गया था, जिसमें करीब 20 से ज्यादा हाथी रहते थे।
जाट राजा ने समूचे किले पर निगरानी के लिए नौवीं मंजील पर एक गोपनीय बैठक हॉल बनाया था, जिसमें राजा संकट के समय अपने दरबारियों के साथ बैठकर दुश्मन राजा की हर चाल का मुआयना करता था। रानियों के लिए 15 कमरों वाला रानी महल बनवाया था। इसके अलावा रंगमहल, राजदरबार, शाही मेहमान शाह, पाकशाला, घुड़साल, तींरदाजी व युद्ध के प्रशिक्षण के लिए अलग से परिसर बनवाए गए थे।
मानवेन्द्र सिंह
किले की उत्तरी दिशा में पेयजल की समस्या के निवारण के लिए एक बावड़ी का निर्माण कराया गया था। बावड़ी में हमेशा ही जल की मात्रा उचित मात्रा में बनी रहती थी। कहा जाता है कि इस बावड़ी में कभी भी जल की कमी नहीं हुई। इसी बावड़ी से पूरे किले में पेयजल की व्यवस्था की जाती थी। वर्तमान में भी यह बावड़ी मौजूद है। जाट राजा के वंशज मोहनगढ़ व देवगढ़ में निवास करते है।
इंटरनेशनल रिसर्च जर्नल
में प्रदीप दलाल का शोधपत्र प्रकाशित
इंटरनेशनल रिसर्च जर्नल भारतीय मीडिया की गिरती छवि पर शोध समीक्षा और मूल्यांकन में हुआ प्रकाशित
चंडीगढ़
वर्तमान में भारतीय मीडिया की गिरती छवि पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से जनसंचार एवं पत्रकारिता में एमफिल कर चुके प्रदीप दलाल का शोध पत्र "फॉलिंग इमेज ऑफ इंडियन मीडिया" इंटरनेशनल लेवल रिसर्च जर्नल "शोध समीक्षा और मूल्यांकन" में प्रकाशित हुआ है। जिसमें मिक्स्ड रिसर्च के माध्यम से ऑनलाइन प्रश्नावली सर्वे, साक्षात्कार, और इस विषय पर प्रकाशित लेखों व तमाम रिपोर्ट्स का अध्ययन शामिल रहा। जिसमें ऑनलाइन सर्वे में 101 प्रतिभागियों ने भारतीय मीडिया जिसमें इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट एवं डिजिटल मीडिया पर आधारित सवालों पर अपनी राय व्यक्त की। जिसमें वर्तमान में अधिकतर लोगों ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को सबसे कम विश्वसनीय माना जबकि विश्वसनीयता के मामले में प्रिंट मीडिया उत्तरदाताओं की विश्वसनीयता पर खरा उतरा। लोगों का इस दौरान यह भी मानना था कि वर्तमान में मीडिया पूरी तरह व्यापार केंद्रित होता जा रहा है और यही वर्तमान में मीडिया की इमेज के गिरने का कारण है। टीआरपी और विज्ञापन के माध्यम से अधिक से अधिक व्यवसाय करने के चक्कर में मीडिया कहीं न कहीं अपने मूल उद्देश्यों से भटकता जा रहा है। शोध में लोगों ने यह भी माना कि मीडिया कहीं न कहीं सरकार के दबाव में पक्षपाती होता जा रहा है। वर्तमान में मीडिया में वह खबरें अधिकतर समय लोगों को दिखाई जाती हैं, जो उतनी महत्वपूर्ण नहीं है जबकि वह खबरें कहीं न कहीं छिपा ली जाती हैं, जो महत्वपूर्ण हैं। शोध का सार संक्षेप यही रहा कि वर्तमान में जिस तेजी से भारतीय मीडिया की इमेज गिरती जा रही है, उसके भविष्य में बड़े दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं क्योंकि मीडिया अपने मूल उद्देश्यों से पीछे हटता जा रहा है। वहीं लोगों ने पत्रकारों की सुरक्षा, स्वतंत्रता पर भी सवाल उठाए। गौरतलब है कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में 150वें नंबर पर है और पिछले साल भारत इसमें 142वें नंबर पर था। जोकि बेहद चिंताजनक स्थिति है। सर्वे में मुख्य रूप से पत्रकार, मीडिया छात्र, प्रोफेसर और सामाजिक लोग शामिल रहे। जिन्होंने सवालों के आधार पर भारतीय मीडिया की गिरती इमेज पर चिंता जाहिर की। प्रदीप दलाल कई न्यूज़पेपर में पत्रकार और जन सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं और वर्तमान में स्वतंत्र स्तंभकार और डायरेक्टर प्रेस एंड आईटी के रूप में हरियाणा आर्य प्रतिनिधि सभा में कार्यरत हैं। इससे पहले वे अवॉर्ड विनिंग डॉक्यूमेंट्री प्राकृतिक कृषि समेत कई विषयों पर डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से जागरूकता संदेश दे चुके हैं और दो बार राज्यपाल एवं एक बार प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ युवा पत्रकार होने का गौरव प्राप्त कर चुके हैं। जिला प्रशासन समेत कई सामाजिक संस्थाएं भी उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में योगदान के लिए सम्मानित कर चुकी है और वह इसे पहले भी कई विषयों पर रिसर्च पेपर लिख चुके हैं। प्रदीप दलाल ने कहा कि यह शोध करने के पीछे उनका उद्देश्य वर्तमान में भारतीय मीडिया की गिरती छवि पर लोगों की मानसिकता और उसके पीछे के कारण जानना रहा। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता का उद्देश्य समाज के आईने के रूप में कार्य करना है और मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी कहा जाता है लेकिन पत्रकारिता के चौथे स्तंभ की स्थिति वास्तविकता में बेहद चिंताजनक है और इसमें सुधार लाए जाने की जरूरत है। अन्यथा भविष्य में इसके गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं।