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यूरोपीय देश नीदरलैंड में पिछले साल 2022 में पैदा होने वाले बच्चों में सबसे ज़्यादह रखा जाने वाला दूसरा नाम "मुहम्मद" है। डच सोशल इंश्योरेंस बैंक (SV की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ 2022 में पैदा होने वाले बच्चों में सबसे ज़्यादह "नूह" नाम रखा गया है जिनकी तअदाद 871 है और दूसरा नाम मुहम्मद है जिनकी तअदाद 671 है।

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इस्लामिक स्कॉलर डॉक्टर मुहम्मद हमीद-उ-उल्लाह साहब।
हमीद साहब की विलादत 19 फ़रवरी 1908 को रियासत-ए-हैदराबाद में हुई थी। हमीद साहब ऐसी अज़ीम शख़्सियत थे जिनके बारे में लिख पाना मुमकिन नहीं है। मुहम्मद हमीद-उ-ल्लाह साहब बीस ज़बान बोलना/लिखना जानते थे। इन्होंने फ़्रेंच में क़ुरआन का तर्जुमा के साथ साथ यूरोप की कई ज़बान में दर्जनों किताबें लिखीं थी उसके इलावह इन्होंने सैकड़ों किताबें लिखी हैं। पार्टिशन के वक़्त हमीद-उ-ल्लाह साहब पाकिस्तान चले गए थे। मुहम्मद हमीद-उ-ल्लाह साहब को 1985 में पाकिस्तान के सबसे बड़े हिलाल-ए-इम्तियाज़ ऐज़ाज़ से नवाज़ा गया था। उस वक़्त पाकिस्तान हुकूमत इन्हें तक़रीबन पच्चीस हज़ार डॉलर दी थी। जिसे इन्होंने एक तंज़ीम को डोनेट कर दिया था। मुहम्मद हमीद-उ-ल्लाह साहब की दीनी ख़िदमात के लिए सऊदी अरब की हुकूमत ने 1994 में किंग फ़ैसल अवॉर्ड से नवाज़ने के लिए नॉमिनेट किया था लेकिन मुहम्मद हमीद-उ-ल्लाह साहब ने ये कहते हुए किंग फ़ैसल अवॉर्ड लेने से इंकार कर दिया था- "मैंने जो कुछ लिखा/किया है वो अल्लाह तआला की रज़ा हासिल करने के लिए किया है"
मुहम्मद हमीद-उ-ल्लाह साहब की 2002 में अमेरिका के फ्लोरिडा में 94 साल की उम्र में इंतक़ाल हो गया था।
आज कल मुहम्मद हमीद-उ-ल्लाह साहब की ज़िंदगी पर लिखी किताब पढ़ रहा हूं।

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दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट में कहा - "अगस्त 2020 में ऑल्ट न्यूज़ के को-फॉउंडर और पत्रकार मुहम्मद ज़ुबैर के ट्विटर हैंडल से की गए ट्वीट में कोई अपराध नहीं पाया गया"
#muhammadzubair

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सऊदी अरब की हुकूमत ने कुछ साल पहले महिलाओं को ड्राइवरी करने की इजाज़त दी। अब अरब में पहली बार ख़्वातिन बुलेट ट्रेन दौड़ाती नज़र आएंगी।
बुलेट ट्रेन चलाने के लिए सऊदी अरब की रेलवे कंपनी 'सार' ने 31 ख़्वातीन को ट्रेनिंग देकर तैयार किया है। सऊदी अरब की ख़्वातीन ड्राइवरों का यह पहला ग्रुप है जो दुनिया की सबसे तेज़ बुलेट ट्रेनों में से एक जत्‍था दुनिया की सबसे तेज ट्रेनों में से एक हरिमैन स्पीड ट्रेन चलाएंगी। जिसकी रफ़्तार तक़रीबन 300 कि० मी० पर घंटा है।
यह ट्रेन सऊदी अरब के मक्का शहर से मदीना मनव्वरा का सफ़र तय करेगी

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सऊदी अरब की हुकूमत ने कुछ साल पहले महिलाओं को ड्राइवरी करने की इजाज़त दी। अब अरब में पहली बार ख़्वातिन बुलेट ट्रेन दौड़ाती नज़र आएंगी।
बुलेट ट्रेन चलाने के लिए सऊदी अरब की रेलवे कंपनी 'सार' ने 31 ख़्वातीन को ट्रेनिंग देकर तैयार किया है। सऊदी अरब की ख़्वातीन ड्राइवरों का यह पहला ग्रुप है जो दुनिया की सबसे तेज़ बुलेट ट्रेनों में से एक जत्‍था दुनिया की सबसे तेज ट्रेनों में से एक हरिमैन स्पीड ट्रेन चलाएंगी। जिसकी रफ़्तार तक़रीबन 300 कि० मी० पर घंटा है।
यह ट्रेन सऊदी अरब के मक्का शहर से मदीना मनव्वरा का सफ़र तय करेगी

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सऊदी अरब की हुकूमत ने कुछ साल पहले महिलाओं को ड्राइवरी करने की इजाज़त दी। अब अरब में पहली बार ख़्वातिन बुलेट ट्रेन दौड़ाती नज़र आएंगी।
बुलेट ट्रेन चलाने के लिए सऊदी अरब की रेलवे कंपनी 'सार' ने 31 ख़्वातीन को ट्रेनिंग देकर तैयार किया है। सऊदी अरब की ख़्वातीन ड्राइवरों का यह पहला ग्रुप है जो दुनिया की सबसे तेज़ बुलेट ट्रेनों में से एक जत्‍था दुनिया की सबसे तेज ट्रेनों में से एक हरिमैन स्पीड ट्रेन चलाएंगी। जिसकी रफ़्तार तक़रीबन 300 कि० मी० पर घंटा है।
यह ट्रेन सऊदी अरब के मक्का शहर से मदीना मनव्वरा का सफ़र तय करेगी

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सऊदी अरब की हुकूमत ने कुछ साल पहले महिलाओं को ड्राइवरी करने की इजाज़त दी। अब अरब में पहली बार ख़्वातिन बुलेट ट्रेन दौड़ाती नज़र आएंगी।
बुलेट ट्रेन चलाने के लिए सऊदी अरब की रेलवे कंपनी 'सार' ने 31 ख़्वातीन को ट्रेनिंग देकर तैयार किया है। सऊदी अरब की ख़्वातीन ड्राइवरों का यह पहला ग्रुप है जो दुनिया की सबसे तेज़ बुलेट ट्रेनों में से एक जत्‍था दुनिया की सबसे तेज ट्रेनों में से एक हरिमैन स्पीड ट्रेन चलाएंगी। जिसकी रफ़्तार तक़रीबन 300 कि० मी० पर घंटा है।
यह ट्रेन सऊदी अरब के मक्का शहर से मदीना मनव्वरा का सफ़र तय करेगी

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क़तर की राजधानी दोहा को दुनिया के टॉप 30 बेहतरीन शहरों की फ़ेहरिस्त में 27वां मक़ाम हासिल हुआ है।
#qatar

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ब्रिटिश एयरवेज़ की तरफ़ से बीस साल बाद क्रू मेंबर्स की यूनिफॉर्म में बड़ा बदलाव किया गया है। कैबिन क्रू की ख़्वातीन के लिए जंपसूट शामिल किया गया है। ख़्वातीन हिजाब से लेकर स्कर्ट तक पहन सकेंगी। मर्दों को थ्री पीस सूट पहनने का ऑप्शन दिया गया है। इन यूनिफॉर्म को ब्रिटेन के जाने-माने फैशन डिज़ाइनर ओजवल्ड बोटेंग ने तैयार किया है।

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हल्द्वानी पर दर्द और जम्मू पर चुप्पी?
जम्मू में एक इलाक़ा है RS पुरा। वह भी पूरी तरह रेलवे की ज़मीन पर बसा है। क़िस्सा रोचक है।
•1897 में वहाँ पहली रेल लाइन बनी। जम्मू से सियालकोट 43 किलोमीटर।
विभाजन हुआ तो रूट आधा भारत में आधा पाकिस्तान में चला गया।
पाकिस्तान की तरफ़ तो ट्रैक चालू रखा गया। लेकिन भारत की तरफ़ इस स्टेशन का प्रयोग ख़त्म हो गया।
पुँछ से रिफ़्यूजी आये तो आर एस पुरा में रेलवे की ज़मीन पर बस गये। तबसे आज तक बसे हुए हैं। लोगों को ज़मीन एलॉट हुई, लेकिन रेलवे का क़ब्ज़ा फिर भी नहीं छोड़ा।
रेलवे के क़रीब लगभग 40 किलोमीटर तक की ज़मीन पर 120 फुट चौड़ाई में शरणार्थियों का अवैध क़ब्ज़ा है।
लेकिन भाजपा और उसके सरकारी पत्रकार एक शब्द नहीं बोलेंगे क्योंकि वो उनका वोट बैंक हैं।
हल्द्वानी से दिक़्क़त इसलिए है कि वहाँ हिंदू मुसलमान दोनों हैं और भाजपा को वोट नहीं मिलता।

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