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रियासतक़ालीन जोधपुर (मारवाड़) में नगर की सफाई के लिए मैला गाड़ी ट्रेन चला करती थी।
प्रथम बार जोधपुर म्युनिसिपल्टी महाराजा जसवन्तसिंहजी द्वितीय (1873-1895 ई.) केसमय श्री आचीबाईल्ड एडम्स के निर्देशन में सफाई कमेटी बनाई गई थी।
नगर में आवागमन के लिए 1898 ई. में ट्राम गाड़ी शुरू की गई जो 1906 ई. तक चली थी। इस गाड़ी को भैंसो से खींचा जाता था।
मेला गाड़ी सिंवाची दरवाजे से होकर जालोरी दरवाजा, सोजती गेट, घण्टाघर, मेड़ती गेट व नागौरी गेट होकर भदवासिया तक चलती थी। यह गाड़ी दिन में दो बार मेला लेकर जाती थी। मेला गाड़ी की यह लाईन 1952 में बंद कर दी गई तथा इंजन 1962 में रेलवे द्वारा बेच दिया गया।
पुस्तक प्रकाश के अभिलेखीय दस्तावेजों में इसके नक्शे व जानकारी मिलती है।
शहर में सार्वजनिक शौचालय भी बनाये गये थे जो नक्शों में दर्शाये गए हैं। एक प्रकार से तत्कालीन समय में नगर की सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता था, ऐसा दस्तावेजों से ज्ञात होता है।
35 साल रेलवे में टीटी की नौकरी करने के बाद रिटायर हुए। घर पर रहने लगे।
एक महिने बाद ही पत्नी ने पति से कहा डाक्टर के पास जाना है, मुझे थोड़ा सा चैकअप कराना है।
😉
शाम पत्नी को डाक्टर के पास ले जाकर पति ने कहा जाइए दिखाईये,,
उसने रोनी सी सूरत बनाकर कहा आप आगे आईये
मेरा तो बहाना था
दरअसल आपको दिखाना था
🙄
डाक्टर साब , ये पिछले 35 साल रेलवे में टीटी रहे,
सप्ताह में केवल दो दिनों के लिये घर आते थे, बाकी दिन बाहर रहते थे।
लगातार "रेल यात्रा के वातावरण" को सहते थे।
🙄
अब रिटायरमेंट के बाद घर आते ही कमाल कर दिया है,
चार फीट चौड़े पलंग को काट कर दो फीट का कर दिया है,
अटैची को सांकल से बांध कर ताला लगाते हैं,
तकिये में हवा भरते हैं और चप्पलें सिरहाने रखते हैं,
कमरे का ट्यूब लाइट अलग हटा दिया है और
उसकी जगह जीरो वाट का वल्ब लगा दिया है,
😉
टेप रिकार्डर से फिल्मी गानों का कैसेट निकाल कर,,
रेल्वे एनाउंसमेंट,
गाड़ी चलने की ध्वनि,
घंटी की घनघनाहट,
और
गरम चा,,इय समोसा की कर्कश आवाज का केसेट लगाते हैं,
मूंगफली के छिलके,और बीड़ी सिगरेट के टुकड़े पलंग के चारों ओर फैलाते हैं ,
😉
मैं तो रात भर जागती हूँ
और ये आराम से सो जाते हैं
पता नहीं कैसी जिंदगी जीते हैं
कप में चाय दो, तो कुल्हड़ में पीते हैं ,
😉
एक रात मेहमान आये तो मैंने इन्हें जगाया,
इन्होने करवट बदली और मेरे हाथ में ट्रेन का टिकट और सौ रुपये का नोट थमाया।
🙄
मैने कहा ये क्या है,तो बोले रसीद नही बनाना
इंदौर आये तो ख्याल से उठाना
🙄
पिताजी से,दहेज में मिला सोफासेट आधे दामों में बेंच आये है,
बदले में दो सीमेंट की ब्रेंच खरीद लाये है,
🙄
बेडरूम में लगीं पेंटिग्स को अलग कर दिया है,
उनकी जगह,
भारतीय रेल आपकी अपनी सम्पत्ति है,
जंजीर खींचना मना है😁
लिखवा दिया है,
😉
एक रात इनके पास आकर बैठी
इन्होने पांव मोड़े और कहा आइए
आइए आराम से बैठिये
😉
डाक्टर साब बताने में शर्म आती है पर आपसे क्या छिपाना है
इन्होने ने मुझसे पूंछा
बहन जी आपको कहाँ जाना है
😘
डायनिंग टेबिल पर खाना खाने से मना करते हैं
पूड़ियां मिठाई के डिब्बे में और सब्जी को प्लास्टिक की थैली में भरते हैं,
🙄
एक रात मेरे भाई और पिताजी आये
दोनों इनकी हरकत से बहुत लजाये
रात में भाई ने इनकी अटैची जरा सी खिसकाई
ये गुस्से में बोले जंजीर खींचू चोरी करते शर्म नहीं आई
🙄
सुबह सुबह बूढ़े पिताजी जल्दी उठ कर नहाने जा रहे थे
बालकनी पर इनके पास वाली खिड़की से आ रहे थे
उन्होंने खिड़की से हाथ डाल कर इन्हें जगाया
इन्होने गुस्से में कहा इस तरह से मत जगाओ
यहाँ कुछ नहीं मिलेगा,
🙄 बाबा ,आगे जाओ
पिताजी आगे गये तो उन्हें वापस बुलाया
😉
उन्हें एक रुपये का सिक्का दिया और पूंछा कौन सा स्टेशन आया
😉
इनका अजीब कारनामा है
एक पर एक हंगामा है
अभी कबाड़ी के यहाँ से एक पुराना टेबिल फेन मंगवाया
छत पर लटके अच्छे खासे सीलिंग फेन को उतार कर उसकी जगह टेबिल फेन लटकाया
🙄
उसे चालू करने विचित्र तरीका अपनाते हैं
जेब से कंघी निकाल कर पंखा घुमाते हैं
😉
सुबह मंजन ब्रश साबुन निकाल कर बाथरूम की ओर जाते हैं,
मैं कहतीं हूँ बेटा गया है
तो वहीं लाइन लगाते हैं
🙄
समझाती हूँ आ जाओ, तो रोकते हैं
हर दो मिनट के बाद बाथरूम का दरवाजा ठोकते हैं
🙄
इन्होने पूरे घर को सिर पर उठा लिया है
घर को वेटिंग रूम और बैडरूम को ट्रेन का कम्पार्टमेंट बना दिया है
🙄
इनके साथ बाकी जिंदगी कैसे कटेगी हम यह सोच कर डरते हैं
और ये सात जनम की बात करते हैं
हम तो एक ही जनम में पछताये
भगवान किसी युवती को रेलवे के टीटी की पत्नी न बनाये.....