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Elesse Cream Vélemények - Az indiai fogyasztók hajlamosak márkát váltani, ha hasonló minőségű termékek alacsonyabb áron kaphatók. Bár a márkaismertség magas az indiai fogyasztók körében, ennek ellenére gyakran váltanak márkát és alacsony a márkahűségük, ami kihívást jelent az ezen a piacon működő cégek számára.

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जैसलमेर पूर्व महारावल बृजराज सिंघजी भाटी के द्वितीय पुण्यतिथि पर अश्रुपूरित श्रद्धांजलि। 🙏🏻

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अम्बानी परिवार में आई खुशी
बेटे अनंत अंबानी का रोका समारोह

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मुहम्मद रफ़ी :- भारत रत्न कब ?
अमृतसर से लाहौर की दूरी कुल 50 किलोमीटर है। इसी दो शहरों के बीच कोटला सुल्तान सिंह गांव में हाजी अली मुहम्मद की एक नाई की दुकान थी।
हाजी अली मुहम्मद अपने गांव के एकमात्र हाजी थे इसलिए उनका गांव में बेहद सम्मान था। इन्हीं हाजी अली मुहम्मद के तीन बेटों में एक थे "फिको" ।
फीको को गाने का बहुत शौक था , बचपन में ही वह गांव में गाने गाकर भीख मांगते फकीरों के पीछे पीछे चलते , उनके गाए गाने गाते और गुनगुनाते।
मगर उनके साथ समस्या यह थी कि "फीको" के वालिद हाजी और बेहद दीनदार थे इसलिए "फीको" के गाना गाने पर उन्हें ऐतराज था।
फीको उनकी गैरमौजूदगी में अपनी नाई की दुकान पर बैठे बैठे फकीरों के गानों को गाया करते थे‌।
पिता की सख्ती शायद "फीको" के इस शौक को खत्म ही कर देती कि उनके बड़े भाई दीन‌ मुहम्मद ने उनकी मदद की और उन्हें किराना घराने के अब्दूल वहीद खान , जीवन लाल‌ मट्टू , फिरोज निजामी और छोटे गुलाम अली खान साहब के यहां ले जाते और "फीको" इन सभी उस्ताद लोगों से संगीत सिखते।
तभी 1937 में एक घटना हुई और लाहौर में लगने वाले एक मेले में तत्कालीन मशहूर गायक के एल सहगल परफार्म करने वाले ही थे कि बिजली की समस्या आ गयी और के एल सहगल अंधेरे में परफॉर्म करने से मना कर दिए।
के एल सहगल का इंतजार कर रही भीड़ ने हंगामा कर दिया और आयोजक परेशान हो गए , तभी आयोजकों ने माईक पर ऐलान किया कि आप लोग एक बार 13 साल के इस बच्चे "फीको" को सुन लीजिए फिर के एल सहगल आएंगे।
"फीको" रात भर भीड़ को गाना सुनाते रहे और भीड़ के एल सहगल को भूल कर "फीको" को ही सुनती रही।
प्रोग्राम खत्म होने के बाद के एल सहगल ने "फीको" को बुलाया और शाबाशी दी , उनके साथ मौजूद संगीतकार श्याम सुन्दर ने "फीको" को एक पंजाबी फिल्म "गुल बलोच" में एक गाना गवाया "सोनियो नी हीरियो नी"

श्याम सुन्दर ही "फीको" को लेकर बांबे आ गये और "फीको" को रहने के लिए एक चाल की व्यवस्था कर दी।
फीको स्वभाव से इतने शर्मीले और शांत थे कि वह चाल में रहते थे और दूसरों को कष्ट ना हो इसलिए संगीत का रियाज नहीं करते थे।
रियाज में समस्या होती देख "फीको" मरीन ड्राइव सुबह सुबह पहुंच जाते और संगीत का रियाज करते थे और वहीं उनकी आवाज़ हर सुबह गूंजा करती थी।
मरीन‌ ड्राईव पर ही तत्कालीन अभिनेत्री और गायिका सुरैया रहती थीं , वह हर दिन फीको की गूंजती आवाज सुनतीं।

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मशहूर फिल्म निर्माता नितिन मनमोहन का निधन

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चंडीगढ़ के पीयू में कोरोना की एंट्री!

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