إستكشف المشاركات استكشف المحتوى الجذاب ووجهات النظر المتنوعة على صفحة Discover الخاصة بنا. اكتشف أفكارًا جديدة وشارك في محادثات هادفة
पुण्य क्या है?
आप कहेंगे भगवान का नाम लेना। गंगा नहाना। माता-पिता की सेवा करना। गरीब की मदद करना। लाचार की सहायता करना। भूखे को भोजन कराना आदि।
लेकिन तुलसीदास के मुताबिक़ -
पुन्य एक जग महुँ नहिं दूजा। मन क्रम बचन बिप्र पद पूजा॥
सानुकूल तेहि पर मुनि देवा। जो तजि कपटु करइ द्विज सेवा॥
अर्थात्
जगत में पुण्य एक ही है, (उसके समान) दूसरा नहीं। वह है- मन, कर्म और वचन से ब्राह्मणों के चरणों की पूजा करना। जो कपट का त्याग करके ब्राह्मणों की सेवा करता है, उस पर मुनि और देवता प्रसन्न रहते हैं॥
(उत्तरकांड: 7.45)
तुलसीदास की नीचता ये है कि उन्होंने ये बात राम के मुँह से कहलवाई है ताकि भोली-भाली जनता सवाल न करे। तुलसीदास ने हिंदू समाज को खंड खंड करने में बड़ी भूमिका निभाई है और फिर ये किताब उन्होंने अकबर के वित्त मंत्री टोडरमल को भेंट कर दी।
भारत रत्न से अलंकृत, विद्वान, शिक्षाविद् एवं भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन जी की जयंती पर कोटि-कोटि नमन। उन्होंने शिक्षा जगत में अग्रणी रूप से योगदान दिया। बिहार के राज्यपाल के रूप में भी उन्होंने अपनी सेवा दी। देश के निर्माण में उनका अद्वितिय योगदान रहा है।
#zakirhusain