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रूबिका लियाकत ज़ी न्यूज़ छोड़ती है फट से "एबीपी न्यूज़" ने आफर किया और उनको वहां दूसरे दिन नौकरी मिल गई।
सुधीर चौधरी ज़ी न्यूज़ छोड़ता हैं , फट से "आजतक" ने आफर किया और उनको वहां दूसरे दिन नौकरी मिल गई।
चित्रा त्रिपाठी सुबह "आजतक" छोड़ कर शाम में "एबीपी न्यूज़" ज्वाइन करती हैं और अगली सुबह फिर "आजतक" ज्वाइन कर लेती हैं।
ऐसे ही सुशांत सिन्हा साल भर ट्विटर पर ज़हर उगलता रहा उसे टाइम्स आफ इंडिया ने नौकरी पर रख लिया।
देश के जितने ज़हरीले पत्रकार हैं सब सुबह नौकरी छोड़ते हैं, शाम को दूसरी जगह नौकरी पा जाते हैं।
देश के सबसे लोकप्रिय और विश्वसनीय पत्रकार रवीश कुमार BBC HINDI पर यह स्वीकारते हैं कि
"पिछले 2 महीने में एक भी मीडिया समूह का उनके पास नौकरी तो छोड़िए एक फोन भी नहीं आया।"
कौन यह सब कंट्रोल कर रहा है ?
यदि आपको स्थिति समझ में नहीं आ रही तो आप अंधे बहरे और मानसिक विक्षप्त हैं।
वाया सोशल मीडिया
एक महिला ने एक अंडे बेचने वाले बूढ़े व्यक्ति से पूछा "आप अंडे क्या भाव बेच रहे हो ?"
बेचने वाले बूढ़े व्यक्ति ने उत्तर दिया "मैडम ₹ 5 का एक......
महिला ने विक्रेता से कहा मैं तो ₹ 25 में 6 लूंगी वरना मैं जाती हूँ।
बूढ़े विक्रेता ने उत्तर दिया - आइये और जो कीमत आप बता रही हैं, उसी भाव में ले जाइए। शायद यह मेरी अच्छी बोहनी हो जाये । क्योंकि आज अभी तक मैं एक भी अंडा नहीं बेच पाया हूँ।
उस महिला ने अंडे खरीदे और इस तरह चली गई, जैसे उसने बहुत बड़ी लड़ाई में जीत हासिल की हो। वह अपनी क़ीमती गाड़ी में बैठी और अपने मित्र के साथ एक महँगे रेस्टोरेंट में पहुंच गई !वहां पर उसने और उसके मित्र ने अपनी पसन्दीदा चीजें मंगवाईं। उन्होंने अपने द्वारा दिये गए आर्डर के सामान में से कुछ कुछ खाया और बहुत सारा सामान छोड़ दिया।
तब वह महिला बिल का भुगतान करने के लिए गई। कुल ₹ 1400 का बिल बना। उसने रेस्टोरेंट के मालिक को ₹ 1500 दिए तथा उससे कहा कि बाकी के पैसे रख लो।
यह घटना रेस्टोरेंट के मालिक के लिए बेशक एक साधारण सी घटना रही होगी लेकिन उस बेचारे गरीब अंडे बेचने वाले बूढ़े व्यक्ति के लिए बहुत ही पीड़ादायक थी।
:--प्रश्न यह उठता है कि:
जब हम एक अभावग्रस्त व्यक्ति से कुछ खरीददारी करते हैं तो हम यह दिखावा क्यो करते हैं कि हम शक्तिशाली हैं। लेकिन हम जब किसी अमीर व्यक्ति से खरीददारी करते हैं तो हम खुद को उदारवादी दिखाना चाहते हैं, भले ही उस व्यक्ति को हमारी उदारता की आवश्यकता ही न हो
कृपया कोई भी खरीदारी गरीब से करें और मोलभाव कम ही करे।