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मैं निन्दा करती हुं
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1)जब एक परिवार का बच्चा खोता है। रेगुलर पेंशन उस परिवार के लिए आर्थिक सहायक है। केवल इसको बचाने के लिए सरकार युवाओं के भावनाओं से खेल गये।
चन्द पैसे की लालच देकर उनका मनोबल तोड़ा और दिखा दिया उनको सेनाओं की जीवन से कोई लगाव नही. जहां एक प्रशिक्षित सेना बनने को सालों लग जाता है वहां एक माइनर ट्रेनिंग दे कर दुश्मन के वन्दुक के आगे छोड़ देना कोन सी समझदारी है? बड़े बड़े काविल आफिसर्स इसकी निन्दा भी कर रहे।
2) जिनको सिखाया जायेगा वो कितना सिख पायेगा?
ये तो स्पष्ट हो चुकी है ये न तो सामरिक #शिक्षा देने के लिए बनाया गया न ही #देशसेवा के लिए। सरकार को लगा होगा यहां पेंशन भी बचेगी और वे रोजगारी घटेगी परन्तु मेरा अनुरोध है देश की युवाओं से न पुछना हो तो न पुछे केवल एक सैनिक के परिवार से पुछे।
3) हमारे भारतीय सैनिक ऐसे ही बन्चित है। उनके परिवार केवल एक गौरव के सहारे जिता है वो गौरव भी खत्म हो जायेगा।
4) विश्व के दुसरी बड़ी सशक्त सेना। दुश्मनों को धुल चटाने वाली सेना में जोश मे कोई कमी नहीं है फिर भी दुसरे देशों से कपी करने के चक्कर में भारतीय भावनाओं को ठेस पहुंची है।
5) भारत विश्वगुरु है भारत को दुसरे किसी देश से कपी करने की जरूरत नहीं। हम रोटी से कम और भावनाओं से ज्यादा प्रेरित होने वाले लोग हैं। देश की जरूरत में हमारे यहां किसान भी हल छोड़ कर बन्दुक उठा लेते हैं पर सायद सरकार के लिए इनक् भावनाओं की कद्र नहीं रही।
6) एक सेना ही बचा हुआ था वो भी कंन्ट्राक्चुयल बन गया। विश्व की दूसरी बड़ी सशक्त सैन्य वल होने वावजूद भी सरकार दुसरे देशों की पद्धति अपना लिये भारत के युवा पैसों से विकने के लिए तैयार नहीं है।
इस सरकार से ऐसी योजना की अपेक्षा नहीं थी।