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Beautiful memories from Amritsar...
Namita Gautam Richa Aniruddha Yatindra Mishra Murad Ali Khan

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कुम्भ मेले में एक अनोखी छाप छोड़ने वाली हस्ती, कुम्भ गर्ल मूनालिसा, ने अपनी अलग पहचान बना ली है। मूनालिसा का नाम शायद मशहूर चित्र ‘मोना लिसा’ की रहस्यमयी मुस्कान से प्रेरित है, जो उनके चेहरे पर एक अनोखा आकर्षण लाती है। कुम्भ मेले के दौरान उनके आत्मविश्वास और फैशन सेंस ने उन्हें न केवल मेले की रौनक बढ़ाने वाला, बल्कि सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र भी बना दिया।

उनकी तस्वीरें और वीडियोज में पारंपरिक धार्मिक वातावरण के बीच उनका आधुनिक अंदाज देखने को मिलता है, जो युवाओं में नई ऊर्जा का संचार करता है। मूनालिसा ने यह सिद्ध कर दिया है कि परंपरा और आधुनिकता का सुंदर संगम संभव है। उनके अनूठे स्टाइल, फैशन, और आत्म-अभिव्यक्ति के तरीके ने कुम्भ मेले की धरोहर में नया आयाम जोड़ दिया है।

उनकी लोकप्रियता से यह स्पष्ट होता है कि आज के युवा भी अपनी संस्कृति से जुड़ने के साथ-साथ उसे नये रंग में पेश करना चाहते हैं। मूनालिसा की सफलता एक प्रेरणा है कि कैसे हम पारंपरिक आयोजनों में अपनी पहचान बना सकते हैं और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। उनके इस अनोखे अंदाज और आत्मविश्वास को देखकर, हम कह सकते हैं कि मूनालिसा ने कुम्भ मेले में अपनी एक अलग दुनिया बसाई है, जो आने वाले समय में भी लोगों के दिलों में जीवित रहेगी

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ब्राम्हण आशीष पाण्डेय" द्वारा एक 'दलित बुजुर्ग महिला' को पी'टने का विडियो वायरल,

आशीष पाण्डेय पेशे से एक वकील हैं, और यह मामला जमीनी विवाद का है,

आशीष पाण्डेय जिनकी पि'टाई कर रहे,वह दलित बंधू रामज्ञानी व उनकी पत्नी निमिता देवी है,

प्रशासन ने आरोपी आशीष पाण्डेय को जेल भेजा😐

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नैना जायसवाल भारत की एक असाधारण प्रतिभाशाली युवती हैं, जिन्होंने शिक्षा और खेल दोनों क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। महज 8 वर्ष की आयु में, उन्होंने 10वीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण कर सभी को चकित कर दिया। इसके पश्चात, 13 वर्ष की आयु में, उन्होंने मास कम्युनिकेशन और पत्रकारिता में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। 15 वर्ष की आयु में, नैना ने हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की, जिससे वे एशिया की सबसे कम उम्र की पोस्टग्रेजुएट बनीं। 17 वर्ष की आयु में, उन्होंने पीएचडी की पढ़ाई शुरू की और 22 वर्ष की आयु में भारत की सबसे कम उम्र की पीएचडी धारक महिला बन गईं। उनका शोध महिला सशक्तिकरण में माइक्रोफाइनेंस के योगदान पर केंद्रित था।

शैक्षणिक उपलब्धियों के साथ-साथ, नैना एक उत्कृष्ट टेबल टेनिस खिलाड़ी भी हैं। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीते हैं, जिसमें दक्षिण एशियाई चैंपियनशिप भी शामिल है। उनकी इस सफलता का श्रेय उनके माता-पिता को जाता है, जिन्होंने उन्हें होमस्कूलिंग के माध्यम से शिक्षा प्रदान की, जिससे वे पढ़ाई और खेल दोनों में संतुलन स्थापित कर सकीं।

नैना जायसवाल की कहानी यह दर्शाती है कि समर्पण, मेहनत और सही मार्गदर्शन से कम उम्र में भी बड़े लक्ष्य प्राप्त किए जा सकते हैं। उनकी उपलब्धियाँ न केवल युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं, बल्कि यह भी साबित करती हैं कि शिक्षा और खेल में संतुलन स्थापित कर उच्चतम शिखरों को छुआ जा सकता है।

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बिना जाने, बिना विचारे किसी लड़की की आवाज सुन कर हीरो बनना खतरनाक हो सकता है।

यकीन नहीं तो वीडियो देख लीजिए..

तो कहिए जनाब, आपकी क्या राय है..
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