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ट्रम्प और मोदी, दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं ..
ट्रम्प विशुद्ध कारोबारी हैं और हमारे वाले मोदी जी चुनिंदा कारोबारियों के सबसे बड़े पैरोकारी .. इसी वजह से आज अमेरिका ट्रम्प को दुबारा गद्दी तक पहुँचाने वाले मस्क चला रहे हैं और हिंदुस्तान मोदी जी के पसंदीदा अडानी और अंबानी ..
ट्रम्प व् मोदी, दोनों इतिहास में अपनी कम राजनीतिक समझ , अटपटी बयानबाजी , अव्यावहारिक निर्णयों के उल्लेख के साथ ही दर्ज किए जाएंगे .. इस लिए दोनों अपने कारोबारी आकाओं की हितों को कवच प्रदान करने के लिए कब क्या बोलेंगे, कब कैसा / कौन सा निर्णय लेंगे, इसके कूटनीतिक निहितार्थ निकालने के लिए ज्यादा माथा - पच्ची करने की जरूरत नहीं है ..
अमेरिका से लेकर अपने मुल्क हिंदुस्तान तक गंभीर समालोचकों में इस बात को लेकर कोई मतैक्य नहीं है कि दोनों को विदेश - नीति , वैश्विक अर्थ - नीति , कूट - नीति , सामरिक - नीति की कोई समझ नहीं है, दोनों को सिर्फ खबरों में बने रहना है और इसका सबसे आसान तरीका सनसनी पैदा करने वाली बेतुकी - अटपटी बयानबाजी है , जिसका पालन दोनों बखूबी करते हैं और ऐसा करते हुए दोनों अपने - अपने राष्ट्रहित को भी दांव पर लगा देते हैं ..
और भाजपा की आतंकी इकाई 'लश्कर - ए - नोएडा' के न्यूज चैनलों को कतई न देखें ..
#indiannewschannels #bjp #modimedia
क्या हासिल होगा इस प्रतिनिधि - मंडल के गठन से ?
क्या इस सर्वदलीय प्रतिनिधि - मंडल को " सीजफायर का निर्णय बिना किसी सर्वदलीय बैठक के किन वजहों से अचानक लिया गया ? ये जानने व् बताने की भी इजाजत - छूट है ?
क्या इस प्रतिनिधि - मंडल के गठन से पहले विपक्षी दलों से कोई राय - मशविरा किया गया ?
क्या पाकिस्तान से हुए हालिया चार दिनी युद्ध के मुद्दे पर वैश्विक पटल पर भारत के अलग - थलग पड़ने , भारत सरकार की कूटनीतिक विफलता की वजह से भारत को किसी देश का खुला समर्थन नहीं प्राप्त होने पर, ये महज एक डैमेज कण्ट्रोल एक्सरसाइज , आई - वॉश नहीं है ?
क्या हासिल होने जा रहा इस सर्वदलीय प्रतिनिधि - मंडल के गठन से ? क्या अमेरिका की दोगली नीति बदल जाएगी ? क्या चीन भारत के पक्ष में खड़ा हो जाएगा ? क्या यूक्रेन युद्ध के मसले पर अमेरिका के मोहरे की तरह इस्तेमाल किया जा रहा / हो रहा रूस खुल कर हमारे देश के साथ आ जाएगा ?
क्या आतंकवाद की नर्सरी पाकिस्तान है , ये प्रतिनिधि - मंडल पहली दफा पूरी दुनिया को बताएगा ?
क्या ये प्रतिनिधि - मंडल पुलवामा व् पहलगाम हमले में मोदी सरकार, ख़ुफ़िया व् सुरक्षा एजेंसियों के द्वारा बरती गयी लापरवाही व् उसकी वजहों से भी पूरी दुनिया को वाकिफ कराएगा ?
क्या ये प्रतिनिधि मंडल इस बात पर भी प्रकाश डालेगा कि किन वजहों से 2016 के पठानकोट आतंकी हमलों के पश्चात् मोदी सरकार ने पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी ISI की टीम को भारत में बुला कर जाँच - पड़ताल करने की इजाजत दी थी ?
ऐसे सवाल बहुतेरे हैं .. इस प्रतिनिधि - मंडल के गठन का औचित्य , इसके गठन की सार्थकता बिना इन सवालों को एड्रेस किए सिद्ध नहीं होने वाली..