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इन्दिरा गाँधी की सरकार ने फील्ड मार्शल मानेक शा के रिटायरमेंट के कुछ बेनिफिट रोक दिये थे, 2004 में राष्ट्रपति कालम ने 1.17 करोड़ का चेक दिया था ।
उन्हीं फील्ड मार्शल मानेकशा का ये किस्सा है :
फील्ड मार्शल सर का ड्राइवर
जैसा कि हम जानते हैं, ये ड्राइवर आर्मी हेडक्वार्टर्स की ट्रांसपोर्ट कंपनी, धौला कुआँ, दिल्ली से चयनित आर्मी सर्विस कोर के सिपाही होते हैं।
स्वाभाविक है कि सेना प्रमुख (Army Chief) के पास अपनी सरकारी ड्यूटी के लिए एक से अधिक ड्राइवर रहे होंगे। सभी सेवा में लगे सैनिकों की तरह, ड्राइवर को भी हर साल छुट्टी लेने का अधिकार होता है। ऐसे ही एक ड्राइवर थे हरियाणा के निवासी हवलदार श्याम सिंह।
एक दिन जनरल सैम मानेकशॉ, नॉर्थ ब्लॉक में एक बैठक से हँसते हुए बाहर निकले। ड्राइवर, सख्त सावधान की मुद्रा में खड़ा था और उसने तुरंत गाड़ी का दरवाजा खोल दिया। अप्रैल का महीना था – एक सुखद, नरम धूप और हल्की हवा वाला दिन।
“तुम्हें पता है श्याम सिंह,” जनरल ने हँसते हुए कहा, “आज रक्षामंत्री ने मेरा नाम ही बदल दिया। मुझे श्याम कहकर बोले – श्याम, मान भी जाओ।”
जनरल मानेकशॉ का इशारा रक्षामंत्री बाबू जगजीवन राम की उस विनती की ओर था, जो प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के कहने पर पूर्वी पाकिस्तान पर अप्रैल में हमले के लिए की गई थी। सैम ने यह कहकर मना कर दिया था कि अगर अप्रैल में हमला हुआ तो भारत को 100% हार मिलेगी।
“वैसे श्याम और सैम में ज्यादा फर्क नहीं है – बस एक H और Y का ही तो खेल है,” जनरल ने मुस्कुरा कर कहा।
जब युद्ध समाप्त हो गया और जनरल मानेकशॉ के रिटायरमेंट की तारीख नजदीक आने लगी, उन्होंने देखा कि श्याम सिंह कुछ असामान्य रूप से तनावग्रस्त रहने लगे हैं। उनके चेहरे पर बेचैनी साफ झलक रही थी, जो जनरल ने तुरंत भांप ली।
“क्या बात है श्याम सिंह, इन दिनों तुम्हारा चेहरा ऐसा लग रहा है जैसे तुम्हारे घर की भैंस ने दूध देना बंद कर दिया हो?”
“नहीं साहब, वो बात नहीं है,” और फिर वह कुछ और बोले बिना चुप हो गए।
दिन बीतते गए और रिटायरमेंट का समय करीब आता गया। एक दिन श्याम सिंह ने जनरल से कहा:
“साहब, एक निवेदन है जो सिर्फ आप ही पूरा कर सकते हैं।”
“हाँ, बोलो श्याम सिंह।”
“साहब, मैं समय से पहले सेवा से निवृत्त होना चाहता हूँ। कृपया मेरी छुट्टी की सिफारिश करें।”
“लेकिन बात क्या है? कोई ज़मीन-जायदाद का मुकदमा है या पारिवारिक परेशानी? तुम अपनी पूरी सेवा पूरी करो। मैं तुम्हें नायब सूबेदार बनवा दूँगा, लेकिन सेवा मत छोड़ो,” जनरल ने समझाया।
“नहीं साहब, बात कुछ और है, लेकिन मैं वह तब तक नहीं बता सकता जब तक सेवा से मुक्त नहीं हो जाता।”
जनरल ने उसकी साफगोई और इज़्ज़त की भावना को समझा और आवश्यक कार्रवाई कर दी। जब ड्राइवर की रिहाई के आदेश आ गए, जनरल ने फिर पूछा:
“अब तो खुश हो? अब बताओ क्यों जल्दी रिटायर हो रहे हो?”
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प्रभु राम, माता सीता और लक्ष्मण जी की उन मूर्तियों के जो सदियों तक अयोध्या के रामलला मंदिर में पूजी जाती रहीं हैं, औरंगज़ेब ने जब अयोध्या पर आक्रमण किया तब मंदिर के पुजारी पंडित श्यामानन्द महाराज मूर्तियों को लेकर अयोध्या छोड़कर चले गए और पैठन के स्वामी एकनाथ महाराज को सौंप दीं, क्योंकि औरंगज़ेब शिवाजी महाराज के ही क़ाबू में आता था अतः वहाँ से मूर्तियाँ शिवाजी के गुरु समर्थ रामदास को मिलीं जिन्होंने कर्नाटक के हरिहर नाम की जगह पर तुंगभद्रा नदी के किनारे प्रतिष्ठापित कर दीं।तब से इन मूर्तियों की पूजा कर्नाटक के नारायण आश्रम में अनवरत जारी है और अब अयोध्या में वापस लाने की तैयारी हैं...
इन छोटी छोटी बातों को अपनी स्मृति कोश में जगह दीजिए क्योंकि यहीं से आपको अहसास होगा कि श्रीराम का इस देश के लिए क्या अर्थ है, इसलिए राम को गुनिये, राम का भजिए और जीवन सफल बनाइए...राम ही राम
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एक तमिल मेगजीन में मोदी जी के बारे में छपी 20 बातें।
1. साफ सुथरा कपड़ा और करीने से बनाया बाल।
2. कमांडिंग बॉडी लैंग्वेज और मर्दों वाली चाल।
3. भगवा कपडे में संत, यूनिफॉर्म में सैनिक और आम कपड़ो में डिवाइन राजकुमार।
4. हर सांस में देशभक्ति और अनुशासन।
5. किसी भी विदेशी राष्ट्र के प्रमुख के सामने ज्यादा प्रभावशाली।
6. चुनाव में इतना वादा निभाने वाला मोदीजी के अलावा कोई नेता नहीं है।
7. राष्ट्र प्रथम। परिवार का कोई भी व्यक्ति निकट नहीं रहता।
8. कभी छुट्टी नहीं लिया।
9. कभी बीमार नहीं पड़ता।
10. जरूरत जितना ही बोलना जरुरत जितना चुप रहना।
11. चेहरे पर थकान नहीं।
12. भाषण और भाषा पर पूरा कमांड।
13. विरोधियों की आलोचना और बयानबाजी से विचलित नहीं होते।
14. विपक्ष के बेवकूफी वाले बयानों पर समय नष्ट नहीं करते। अपने काम पर ध्यान।
15. स्वस्थ, परम्परा और इमानदारी का मिश्रण
16. पूर्ण समर्पण और दृढ़ निश्चय के साथ निर्णय।
17. हिन्दूसंस्कृति और शान के प्रतीक
18. आंखे किसी को भी वशीभूत कर सकती है।