25 w - Tradurre

Goshamahal MLA T. Raja Singh resigns from BJP.

कट्टर हिंदू विधायक टाइगर राजा सिंह ने भाजपा से दिया इस्तीफ़ा दिया।🚩

This not a good sign 🛑
#rajasingh

imageimage

image
25 w - Tradurre

पीठ पर योगी जी का हाथ, फिर भी BJP MLA T. Raja Singh की कोई नहीं सुन रहा !!!

BJP में ये चल क्या रहा है?

एक के बाद एक विवादित बयानों से BJP को "फायदा ही फायदा" पहुंचाने वाले राजा सिंह से BJP ने किनारा कर लिया है। यूज एंड थ्रो ?

टी राजा सिंह ने BJP की प्राथमिक सदस्यता सहित सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है।

image
25 w - Tradurre

बीजेपी अपना पतन चाहती है अब टी राजा सिंह जी ने बीजेपी छोड़ दी ।
#bjp

image
25 w - Tradurre

BREAKING NEWS 🚨

Tiger Raja Singh resigns from BJP 💔

NOT A GOOD SIGN.

image
25 w - Tradurre

#मानसून का पहला झटका ही उत्तराखंड को भारी पड़ा है। पिछली बार जलवायु परिवर्तन सर्वाधिक कुप्रभाव हिमाचल पर पड़ा था। इस वर्ष बादलों का यह कहर उत्तराखंड की तरफ मुड़ता दिखाई दे रहा है। इस मानसून कृत बादल फटने की घटनाएं आदि से लोगों को बचाने और लोगों तक समय पर मदद पहुंचाने के लिए अभी से बड़ी तैयारियों की आवश्यकता है। पहले झटके से हमें सबक सिखना पड़ेगा। आप अंदाज लगाइए कि #उत्तरकाशी में बादल फटने से लगभग एक दर्जन मजदूर मलबे में दब जाने की आशंका है जिनमें से दो मृतक घोषित भी हो गए हैं तो दूसरी तरफ देहरादून में भी धर्मपुर विधानसभा के #कारगी क्षेत्र में पानी का कहर मकान को ताश के पत्तों की तरीके से बहाकर के ले जा रहा है और भी कई स्थानों से भारी टूट-फूट की सूचनाएं मिली हैं। जब तक हम क्लाइमेट चेंज के असर को घटाने का कोई प्रभावी पर्यावरणीय उपाय नहीं ढूंढ़ते हैं या कदम नहीं उठाते हैं तब तक हमको हर वर्ष चुनौती का सामना करने के लिए अपने आप को तैयार करना पड़ेगा। इसके लिए जगह-जगह पूरे प्रदेश भर में, गांव-गांव में आपदा प्रबंधन सोल्जर्स खड़े करने पड़ेंगे और आकस्मिक आपदा की स्थिति में उनका बचाओ आदि की ट्रेनिंग के साथ-साथ आवश्यक साज सामान भी उपलब्ध करवाया जाना चाहिए और सूचना तंत्र को 24 घंटे अलर्ट में रखा जाना चाहिये। सरकार को आपदा के इन झटकों से निपटने के लिए आपदा तंत्र से जुड़े हुए पुराने कर्मचारियों और अधिकारियों की सेवाएं भी लेने में संकोच नहीं करना चाहिए।
#uttarakhand

image
25 w - Tradurre

#मानसून का पहला झटका ही उत्तराखंड को भारी पड़ा है। पिछली बार जलवायु परिवर्तन सर्वाधिक कुप्रभाव हिमाचल पर पड़ा था। इस वर्ष बादलों का यह कहर उत्तराखंड की तरफ मुड़ता दिखाई दे रहा है। इस मानसून कृत बादल फटने की घटनाएं आदि से लोगों को बचाने और लोगों तक समय पर मदद पहुंचाने के लिए अभी से बड़ी तैयारियों की आवश्यकता है। पहले झटके से हमें सबक सिखना पड़ेगा। आप अंदाज लगाइए कि #उत्तरकाशी में बादल फटने से लगभग एक दर्जन मजदूर मलबे में दब जाने की आशंका है जिनमें से दो मृतक घोषित भी हो गए हैं तो दूसरी तरफ देहरादून में भी धर्मपुर विधानसभा के #कारगी क्षेत्र में पानी का कहर मकान को ताश के पत्तों की तरीके से बहाकर के ले जा रहा है और भी कई स्थानों से भारी टूट-फूट की सूचनाएं मिली हैं। जब तक हम क्लाइमेट चेंज के असर को घटाने का कोई प्रभावी पर्यावरणीय उपाय नहीं ढूंढ़ते हैं या कदम नहीं उठाते हैं तब तक हमको हर वर्ष चुनौती का सामना करने के लिए अपने आप को तैयार करना पड़ेगा। इसके लिए जगह-जगह पूरे प्रदेश भर में, गांव-गांव में आपदा प्रबंधन सोल्जर्स खड़े करने पड़ेंगे और आकस्मिक आपदा की स्थिति में उनका बचाओ आदि की ट्रेनिंग के साथ-साथ आवश्यक साज सामान भी उपलब्ध करवाया जाना चाहिए और सूचना तंत्र को 24 घंटे अलर्ट में रखा जाना चाहिये। सरकार को आपदा के इन झटकों से निपटने के लिए आपदा तंत्र से जुड़े हुए पुराने कर्मचारियों और अधिकारियों की सेवाएं भी लेने में संकोच नहीं करना चाहिए।
#uttarakhand

image
25 w - Tradurre

#मानसून का पहला झटका ही उत्तराखंड को भारी पड़ा है। पिछली बार जलवायु परिवर्तन सर्वाधिक कुप्रभाव हिमाचल पर पड़ा था। इस वर्ष बादलों का यह कहर उत्तराखंड की तरफ मुड़ता दिखाई दे रहा है। इस मानसून कृत बादल फटने की घटनाएं आदि से लोगों को बचाने और लोगों तक समय पर मदद पहुंचाने के लिए अभी से बड़ी तैयारियों की आवश्यकता है। पहले झटके से हमें सबक सिखना पड़ेगा। आप अंदाज लगाइए कि #उत्तरकाशी में बादल फटने से लगभग एक दर्जन मजदूर मलबे में दब जाने की आशंका है जिनमें से दो मृतक घोषित भी हो गए हैं तो दूसरी तरफ देहरादून में भी धर्मपुर विधानसभा के #कारगी क्षेत्र में पानी का कहर मकान को ताश के पत्तों की तरीके से बहाकर के ले जा रहा है और भी कई स्थानों से भारी टूट-फूट की सूचनाएं मिली हैं। जब तक हम क्लाइमेट चेंज के असर को घटाने का कोई प्रभावी पर्यावरणीय उपाय नहीं ढूंढ़ते हैं या कदम नहीं उठाते हैं तब तक हमको हर वर्ष चुनौती का सामना करने के लिए अपने आप को तैयार करना पड़ेगा। इसके लिए जगह-जगह पूरे प्रदेश भर में, गांव-गांव में आपदा प्रबंधन सोल्जर्स खड़े करने पड़ेंगे और आकस्मिक आपदा की स्थिति में उनका बचाओ आदि की ट्रेनिंग के साथ-साथ आवश्यक साज सामान भी उपलब्ध करवाया जाना चाहिए और सूचना तंत्र को 24 घंटे अलर्ट में रखा जाना चाहिये। सरकार को आपदा के इन झटकों से निपटने के लिए आपदा तंत्र से जुड़े हुए पुराने कर्मचारियों और अधिकारियों की सेवाएं भी लेने में संकोच नहीं करना चाहिए।
#uttarakhand

image
25 w - Tradurre

#मानसून का पहला झटका ही उत्तराखंड को भारी पड़ा है। पिछली बार जलवायु परिवर्तन सर्वाधिक कुप्रभाव हिमाचल पर पड़ा था। इस वर्ष बादलों का यह कहर उत्तराखंड की तरफ मुड़ता दिखाई दे रहा है। इस मानसून कृत बादल फटने की घटनाएं आदि से लोगों को बचाने और लोगों तक समय पर मदद पहुंचाने के लिए अभी से बड़ी तैयारियों की आवश्यकता है। पहले झटके से हमें सबक सिखना पड़ेगा। आप अंदाज लगाइए कि #उत्तरकाशी में बादल फटने से लगभग एक दर्जन मजदूर मलबे में दब जाने की आशंका है जिनमें से दो मृतक घोषित भी हो गए हैं तो दूसरी तरफ देहरादून में भी धर्मपुर विधानसभा के #कारगी क्षेत्र में पानी का कहर मकान को ताश के पत्तों की तरीके से बहाकर के ले जा रहा है और भी कई स्थानों से भारी टूट-फूट की सूचनाएं मिली हैं। जब तक हम क्लाइमेट चेंज के असर को घटाने का कोई प्रभावी पर्यावरणीय उपाय नहीं ढूंढ़ते हैं या कदम नहीं उठाते हैं तब तक हमको हर वर्ष चुनौती का सामना करने के लिए अपने आप को तैयार करना पड़ेगा। इसके लिए जगह-जगह पूरे प्रदेश भर में, गांव-गांव में आपदा प्रबंधन सोल्जर्स खड़े करने पड़ेंगे और आकस्मिक आपदा की स्थिति में उनका बचाओ आदि की ट्रेनिंग के साथ-साथ आवश्यक साज सामान भी उपलब्ध करवाया जाना चाहिए और सूचना तंत्र को 24 घंटे अलर्ट में रखा जाना चाहिये। सरकार को आपदा के इन झटकों से निपटने के लिए आपदा तंत्र से जुड़े हुए पुराने कर्मचारियों और अधिकारियों की सेवाएं भी लेने में संकोच नहीं करना चाहिए।
#uttarakhand

image
image
image

image