Discover postsExplore captivating content and diverse perspectives on our Discover page. Uncover fresh ideas and engage in meaningful conversations
कर्नाटक के बेल्लारी शहर में KMF प्रशासनिक कार्यालय के सामने कुछ अज्ञात लोगों ने जादू-टोना किया, जिसे देखकर KMF के कर्मचारी भी हैरान रह गए। ऑफिस के सामने काली गुड़िया, बड़ा कद्दू, नारियल, 8 नींबू और केसर और उनके ऊपर लाल सिंदूर पड़ा हुआ था। ये काला जादू किसने और कब किया। इसकी जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है। हालांकि बताया जा रहा है कि KMF घाटे में चल रहा है, जिस वजह से ऑफिस से 50 लोगों को निकालने के लिए शॉर्टलिस्ट गया है। उन्हीं में से किसी कर्मचारी ने ऐसा किया।
भारत में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, और नैना जायसवाल इसका बेहतरीन उदाहरण हैं। महज 8 साल की उम्र में 10वीं पास करने वाली नैना ने 13 की उम्र में मास कम्युनिकेशन में ग्रेजुएशन पूरा कर लिया। 15 साल में वह एशिया की सबसे कम उम्र की पोस्टग्रेजुएट बन गईं। 17 की उम्र में PhD शुरू कर, 22 साल की उम्र में वह भारत की सबसे युवा महिला PhD धारक बनीं।
नैना का शोध "माइक्रोफाइनेंस से महिला सशक्तिकरण" पर आधारित था। पढ़ाई के साथ-साथ नैना एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की टेबल टेनिस खिलाड़ी भी हैं। होमस्कूलिंग की मदद से उन्होंने पढ़ाई और खेल दोनों में संतुलन बनाया।
नैना की कहानी साबित करती है कि मेहनत और लगन से उम्र की हर सीमा को पार किया जा सकता है। यह हर युवा के लिए प्रेरणा है।
#nainajaiswal #youngestphdholder #indianprodigy
उत्तराखंड में होने वाले 38वें राष्ट्रीय खेलों से पैदल चाल स्पर्धा हटाई
मेजबान प्रदेश को इसी खेल में सबसे अधिक पदक जीतने की थी उम्मीद
खेलपथ संवाद
देहरादून। 38वें नेशनल गेम्स से पहले उत्तराखंड को बड़ा झटका लगा है। रेस वॉक (पैदल चाल) इवेंट को कैंसिल कर दिया गया है। यह वही प्रतियोगिता है जिसमें उत्तराखंड का प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ रहता है। इसी खेल में दो खिलाड़ी पेरिस ओलम्पिक गए थे और पिछले नेशनल गेम्स में भी गोल्ड मेडल आया था।
वो कहते हैं ना कि आपके आज की मेहनत आपके कल की सपनों को चाबी है..! मनु भाकर ने अपनी मेहनत और जुनून से हर उस मुश्किल को हराया है जो उनकी सफलता में रुकावट बनी।
एक वक़्त ऐसा भी था जब मनु को किराए की पिस्तौल लेनी पड़ी थी; और वो भी तब जब वो अपना पहला इंटरनेशनल टूर्नामेंट खेलने गई थीं।
मनु की माँ उन्हें झांसी की रानी कहकर बुलाती हैं। मनु को जन्म देने के फौरन बाद उनकी माँ को TET देने जाना पड़ा। चार घंटे बाद जब वह वापस आईं तो बेटी को खुश देखकर दंग रह गईं। इसलिए उन्होंने मनु का झांसी की रानी कहना शुरू कर दिया और बेटी का नाम भी मनु रख दिया।
मनु हमेशा से एक मेहनती खिलाड़ी रहीं। उन्होंने बहुत पहले ही ठान लिया था कि उन्हें शूटिंग करनी है और देश के लिए खेलना है। फिर घंटों प्रैक्टिस की बात हो, लोगों के तानों को नजरअंदाज करना हो या ओलंपिक तक पहुंचने के लिए कड़ा संघर्ष; बिना हिम्मत हारे वह बस अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती रहीं।
आज मनु ना सिर्फ भारत, बल्कि दुनियाभर की उन सभी लड़कियों को इंस्पायर करती है जो कुछ करना चाहती हैं आसमान में उड़ना चाहती हैं।
#manubhaker #worldchampion #shooting #parisolympic #goldmedal #arjunaward #strugglestory