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उत्तराखंड में होने वाले 38वें राष्ट्रीय खेलों से पैदल चाल स्पर्धा हटाई
मेजबान प्रदेश को इसी खेल में सबसे अधिक पदक जीतने की थी उम्मीद
खेलपथ संवाद
देहरादून। 38वें नेशनल गेम्स से पहले उत्तराखंड को बड़ा झटका लगा है। रेस वॉक (पैदल चाल) इवेंट को कैंसिल कर दिया गया है। यह वही प्रतियोगिता है जिसमें उत्तराखंड का प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ रहता है। इसी खेल में दो खिलाड़ी पेरिस ओलम्पिक गए थे और पिछले नेशनल गेम्स में भी गोल्ड मेडल आया था।
वो कहते हैं ना कि आपके आज की मेहनत आपके कल की सपनों को चाबी है..! मनु भाकर ने अपनी मेहनत और जुनून से हर उस मुश्किल को हराया है जो उनकी सफलता में रुकावट बनी।
एक वक़्त ऐसा भी था जब मनु को किराए की पिस्तौल लेनी पड़ी थी; और वो भी तब जब वो अपना पहला इंटरनेशनल टूर्नामेंट खेलने गई थीं।
मनु की माँ उन्हें झांसी की रानी कहकर बुलाती हैं। मनु को जन्म देने के फौरन बाद उनकी माँ को TET देने जाना पड़ा। चार घंटे बाद जब वह वापस आईं तो बेटी को खुश देखकर दंग रह गईं। इसलिए उन्होंने मनु का झांसी की रानी कहना शुरू कर दिया और बेटी का नाम भी मनु रख दिया।
मनु हमेशा से एक मेहनती खिलाड़ी रहीं। उन्होंने बहुत पहले ही ठान लिया था कि उन्हें शूटिंग करनी है और देश के लिए खेलना है। फिर घंटों प्रैक्टिस की बात हो, लोगों के तानों को नजरअंदाज करना हो या ओलंपिक तक पहुंचने के लिए कड़ा संघर्ष; बिना हिम्मत हारे वह बस अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती रहीं।
आज मनु ना सिर्फ भारत, बल्कि दुनियाभर की उन सभी लड़कियों को इंस्पायर करती है जो कुछ करना चाहती हैं आसमान में उड़ना चाहती हैं।
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