रघुवीर सहाय समकालीन हिंदी कविता के संवेदनशील कवियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। वो पत्रकार थे और साहित्यकार भी। उनकी लेखनी में एक पत्रकार का नज़रिया और एक खबरों में एक साहित्यकार सी संवेदनशीलता साफ दिखती है। सड़क से लेकर चौराहे तक, संसद से लेकर दफ्तर तक, रेल से लेकर बस यात्राओं तक सभी पर बेलौस लिखा।
अज्ञेय ने दूसरे सप्तक के लिए अपनी कविताएं लिखी। इसके अलावा उनकी कुछ रचनाओं में सीढ़ियों पर धूम में, आत्महत्या के विरुद्ध, दिल्ली मेरा परदेश, रास्ता इधर से है इत्यादि प्रमुख हैं। उनकी कविता संग्रह 'लोग भूल गए हैं' के लिए 1984 में इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनकी पुण्यतिथि पर नई धारा परिवार का शत् शत् नमन।
