42 w - Translate

पौडी गढ़वाल रिखणीखाल रथुवाढाबा -- तिलक बहादुर चाय ''चाहा'' वाले। पहाड़ियों की पहली पसन्द है चाय और हर जगह की कोई न कोई चीज जरूर फेमस होती है। ऐसे ही रथुवाढाब में तिलक बहादुर की चाय ,,चाहा,, बहुत फेमस है। ये बहुत पुरानी दुकान है, कोटद्वार से जो भी बस जीप इस मोटर मार्ग से गुजरती है। यात्री यहाँ पर रुक कर चाय जरूर पीते हैं। खास तरीके से बनाई हुई चाय को लोग खूब पसंद करते हैं।

image
42 w - Translate

पौडी गढ़वाल रिखणीखाल रथुवाढाबा -- तिलक बहादुर चाय ''चाहा'' वाले। पहाड़ियों की पहली पसन्द है चाय और हर जगह की कोई न कोई चीज जरूर फेमस होती है। ऐसे ही रथुवाढाब में तिलक बहादुर की चाय ,,चाहा,, बहुत फेमस है। ये बहुत पुरानी दुकान है, कोटद्वार से जो भी बस जीप इस मोटर मार्ग से गुजरती है। यात्री यहाँ पर रुक कर चाय जरूर पीते हैं। खास तरीके से बनाई हुई चाय को लोग खूब पसंद करते हैं।

image
image
image

image

image

image

image

image

imageimage
42 w - Translate

सड़क किनारे पहाड़ी सब्जी बेच रहे नितेश सिंह बिष्ट जी स्वरोजगार कर उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था में सीधा-सीधा योगदान कर रहे हैं, अगर कोई व्यक्ति घर में रहकर इस तरह का स्वरोजगार करते हुए महीने के दस पंद्रह हजार कमा ले और खाने के लिए अनाज अपने खेत में ही उगा ले, दूध, दही, घी के लिए एक गौमाता पाल ले तो कितना बढ़िया हो। हालाकी नितेश जी जैसी सोच कम ही लोगों की होती है लेकिन जिस भी युवा की सोच स्वरोजगार की होती है वो एक दिन जरूर आसमान की ऊंचाइयों को छूते हैं क्योंकि व्यापार में आपार संभावनाएं हैं।

image
42 w - Translate

सड़क किनारे पहाड़ी सब्जी बेच रहे नितेश सिंह बिष्ट जी स्वरोजगार कर उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था में सीधा-सीधा योगदान कर रहे हैं, अगर कोई व्यक्ति घर में रहकर इस तरह का स्वरोजगार करते हुए महीने के दस पंद्रह हजार कमा ले और खाने के लिए अनाज अपने खेत में ही उगा ले, दूध, दही, घी के लिए एक गौमाता पाल ले तो कितना बढ़िया हो। हालाकी नितेश जी जैसी सोच कम ही लोगों की होती है लेकिन जिस भी युवा की सोच स्वरोजगार की होती है वो एक दिन जरूर आसमान की ऊंचाइयों को छूते हैं क्योंकि व्यापार में आपार संभावनाएं हैं।

image