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Blunder Of The Day 🎯
Gukesh D (2783) vs. Ding, Liren (2728)

1-0 2024 FIDE World Championship Singapore 08 Dec 2024 Round: 11

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न बोल सकती और न सुन पाती इशारों-इशारों में सीखा ताइक्वांडो,मैडल लाकर किया नाम रोशन फिर भी सब रील्स वाली को ही लाइक करेंगे इसे नहीं 🙏🙏❤️❤️
भोपाल की 15 वर्षीय कनिष्का शर्मा ने अपनी दिव्यांगता को पीछे छोड़ते हुए ताइक्वांडो में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है।

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ऋषिकेश विधानसभा के अमित ग्राम गली नंबर 8 जंगलात रोड बबलू भाई के निवास में पूजा उपरांत प्रसाद ग्रहण किया।

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लखीमपुर खीरी ज़िले के पलिया कलाँ नगर पालिका उप चुनाव प्रवास में स्थानीय MLC सुधीर गुप्ता जी, वरुण गुप्ता जी एवं निघासन, पलिया, गोला के स्थानीय प्रतिनिधियों के साथ रात्रि भोज हुआ। पलिया उपचुनाव में श्रीमती लक्ष्मी गुप्ता जी के पक्ष में अगले कुछ दिन भाजपा के प्रत्याशी के पक्ष में ज़िला लखीमपुर में प्रवास रहेगा।

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बेटा चौथी कक्षा में पढ़ रहा था, तभी शिक्षक ने पिता को बताया कि आपका बेटा बहुत बढ़िया शतरंज खेलता है। यदि इसे खेलने दिया जाय तो बहुत आगे जाएगा...
पिता बड़े डॉक्टर थे, माता भी डॉक्टर। हमारे समाज में ऐसे दम्पत्ति बच्चे के जन्म के पहले की तय कर देते हैं कि बच्चा डॉक्टर बनेगा। पर उस पिता ने रिस्क लिया, और आज के हिसाब से बहुत बड़ा रिस्क लिया। बच्चे को शतरंज खेलने में ही आनन्द आता था तो उसके जिम्मे केवल शतरंज खेलने का ही काम रहने दिया। मतलब समझ रहे हैं? बच्चे ने चौथी कक्षा के आगे पढ़ाई ही नहीं की है।
आप अपने आसपास दृष्टि दौड़ा कर देखिये, क्या ऐसा कोई पढा लिखा पिता दिखता है जो खेलने के लिए बेटे की पढ़ाई छुड़वा दे? नहीं मिलेगा। क्यों? क्योंकि हमारा लक्ष्य ही है कि बच्चा किसी तरह पढ़ लिख कर कहीं नौकर लग जाय। हम इससे उपर सोच ही नहीं पाते...
हाँ तो पिता ने बच्चे की पढ़ाई छुड़वा दी। बच्चा अच्छा खेल रहा था तो स्कूल के बाहर भी खेलने जाने लगा। अब छोटे बच्चे को अकेले तो कहीं भेज नहीं सकते, सो माता ने भी अपनी नौकरी लगभग छोड़ ही दी। उसके पीछे साये की तरह लगी रहती, उसके भोजन और सुविधा का ध्यान रखती, पसन्द-नापसंद का ध्यान रखती...
2017 में केवल ग्यारह वर्ष के उस बच्चे से किसी पत्रकार ने पूछा- आप आगे क्या करना चाहते हैं? लड़के ने बिना किसी झिझक के कहा था- मुझे सबसे कम आयु का ग्रैंडमास्टर बनना है। मुझे सबसे कम आयु का विश्व चैंपियन बनना है।
कल वह बच्चा सचमुच सबसे कम आयु का विश्वविजेता बन गया है। इस उपलब्धि में उसकी प्रतिभा, उसका समर्पण, उसे मिली सुविधाओं की भूमिका तो है ही, बस सबसे बड़ी भूमिका उसके पिता डॉ रजनीकांत के उस रिस्क की है जो उन्होंने उसकी चौथी कक्षा में पढ़ाई छुड़वा कर उठाई थी।
पुराने बूढ़े कहते थे- "लीक छोड़ कर तीन चले, शायर सिंह सपूत..." लीक पर चलने वाले अब भी दाल रोटी की व्यवस्था में लगे रह जाते हैं। राजा वही बनता है, जो रिस्क लेता है...
गुकेश दूबे को बहुत बहुत बधाई...

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पता नहीं लोग अब तक किसको जगा रहे थे 😀

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