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फिर से दोहरा रहे हैं कि नौकरी भाजपा के एजेंडे में है ही नहीं फिर वो उत्तर प्रदेश हो या बिहार या फिर पूरा देश। जहाँ-जहाँ भाजपा की सरकारें हैं वहाँ एक सा ही पैटर्न है। कभी डबल शिफ़्ट, डबल डे, तो कभी नॉर्मलाइजेशन के नाम पर, कभी सर्वर में गड़बड़ी करवाकर, कभी पेपर लीक कराकर, कभी कॉपी बदलवाकर, कभी आरक्षण मारकर, कभी रिज़ल्ट रोककर या कभी रिज़ल्ट को कोर्ट में घसीटकर भाजपावाले नौकरी पाने के हर तरीक़े को फँसा देते हैं।

भाजपा की मंशा नौकरी देने की होती ही नहीं है, वो हर काम ठेके पर देना चाहती है, जिससे ठेकेदारों से वसूली की जा सके। युवाओं के हक़ की नौकरियाँ भाजपा के भ्रष्टाचार का शिकार हो गयी हैं। सरकारी नौकरियों को धीरे-धीरे खत्म करने के पीछे एक छिपा हुआ एजेंडा आरक्षण मारना भी है क्योंकि ठेकेदारी में आरक्षण लागू नहीं होता है।

भाजपा जाएगी तो नौकरी आएगी।

युवा कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा

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