मणिपुर में हिंसा सुलगाई जा रही है , "सुलगा कौन रहा है ?" ये तय करने में ज्यादा माथापच्ची की जरूरत नहीं है ... डेढ़ वर्षों से जारी मणिपुर की हिंसा - अराजकता के पीछे भाजपा है , सीधे व् कम शब्दों में बिना पेचीदगियों में उलझे समझना है तो बस इतना समझिए कि " पूर्वोत्तर के राज्यों में भाजपा के एकछत्र राज को कायम करने के उद्देश्य से मणिपुर को अराजकता के गर्त में धकेला गया है ".. बद से बदतर होते हालात के बावजूद राज्य में राष्ट्रपति शासन नहीं लगाए जाने से , एक दफा भी प्रधानमंत्री के मणिपुर नहीं जाने से, गोदी मीडिया के द्वारा मणिपुर की चर्चा से परहेज करने और मणिपुर पर बहस करने से बचने से ये साबित भी होता है ..
मणिपुर पर नजर रखने वाले और मणिपुर का दौर कर लौटे चंद वरिष्ठ पत्रकारों की मानें तो मणिपुर में ये चर्चा भी अब आम है कि " मोदी - शाह की कोई ऐसी कलई तो जरूर है , जिससे मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह वाकिफ हैं व् कलई के खुलने के डर से अब तमाम कायम होते दबाब के बावजूद मोदी - शाह बीरेन सिंह की तरफ नजर टेढ़ी करने की सोच भी नहीं सकते और सियासत के इस गंदे घालमेल का खामियाजा भुगतना अब मणिपुर की मज़बूरी है " ...