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पैसा आने के बाद इंसान की सोच पूरी तरह से बदल जाती है। जो डॉली चाय वाला यह कहता फिरता था कि महिलाओं को संस्कारी कपड़े पहनने चाहिए अब वही दुबई में अपनी एक खास दोस्त से मिलने के लिए हर हफ्ते पहुंच जा रहा है। डॉली की यह खास दोस्त बार गर्ल है जो हुस्न की नुमाइश करके पैसे कमाती है लेकिन अब डॉली को यही लड़की कुछ ज्यादा पसंद आ रही है। डॉली की इस हरकत से साफ है कि पैसा आने के बाद उनकी सोच बदल गई है।😝

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पितृपक्ष मे क्या नहीं करना चाहिए

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विनेश फोगाट ने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में दाखिल किया नामांकन
कहा "ये सिर्फ नामांकन नहीं है, बल्कि बदलाव की शुरुआत है,
जहाँ हर वर्ग की आवाज बराबर सुनाई देगी"

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विनेश फोगाट ने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में दाखिल किया नामांकन
कहा "ये सिर्फ नामांकन नहीं है, बल्कि बदलाव की शुरुआत है,
जहाँ हर वर्ग की आवाज बराबर सुनाई देगी"

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विनेश फोगाट ने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में दाखिल किया नामांकन
कहा "ये सिर्फ नामांकन नहीं है, बल्कि बदलाव की शुरुआत है,
जहाँ हर वर्ग की आवाज बराबर सुनाई देगी"

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विनेश फोगाट ने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में दाखिल किया नामांकन
कहा "ये सिर्फ नामांकन नहीं है, बल्कि बदलाव की शुरुआत है,
जहाँ हर वर्ग की आवाज बराबर सुनाई देगी"

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मणिपुर में हिंसा सुलगाई जा रही है , "सुलगा कौन रहा है ?" ये तय करने में ज्यादा माथापच्ची की जरूरत नहीं है ... डेढ़ वर्षों से जारी मणिपुर की हिंसा - अराजकता के पीछे भाजपा है , सीधे व् कम शब्दों में बिना पेचीदगियों में उलझे समझना है तो बस इतना समझिए कि " पूर्वोत्तर के राज्यों में भाजपा के एकछत्र राज को कायम करने के उद्देश्य से मणिपुर को अराजकता के गर्त में धकेला गया है ".. बद से बदतर होते हालात के बावजूद राज्य में राष्ट्रपति शासन नहीं लगाए जाने से , एक दफा भी प्रधानमंत्री के मणिपुर नहीं जाने से, गोदी मीडिया के द्वारा मणिपुर की चर्चा से परहेज करने और मणिपुर पर बहस करने से बचने से ये साबित भी होता है ..

मणिपुर पर नजर रखने वाले और मणिपुर का दौर कर लौटे चंद वरिष्ठ पत्रकारों की मानें तो मणिपुर में ये चर्चा भी अब आम है कि " मोदी - शाह की कोई ऐसी कलई तो जरूर है , जिससे मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह वाकिफ हैं व् कलई के खुलने के डर से अब तमाम कायम होते दबाब के बावजूद मोदी - शाह बीरेन सिंह की तरफ नजर टेढ़ी करने की सोच भी नहीं सकते और सियासत के इस गंदे घालमेल का खामियाजा भुगतना अब मणिपुर की मज़बूरी है " ...

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स्टॉपेज अनेक इंजन एक ...
हाल के महीनों में नीतीश कुमार सार्वजनिक मंचों से खुद बीसियों दफा दुहरा चुके / बोल चुके हैं कि " गलती से दो बार इधर - उधर चले गए थे , अब ऐसी गलती नहीं करेंगे और कहीं नहीं जाएंगे " ..
वैसे तो नीतीश जी के इस बेग़ैरती भरे बयान पर किसी को भी नहीं विश्वास है , बावजूद इसके थेथरलॉजी की पराकाष्ठा तो देखिए कि नीतीश कुमार जी की पार्टी के ही चंद नेतागण व् मंत्रीगण कह रहे हैं कि " नीतीश कुमार कही नहीं जाते , वो अपनी जगह पर खड़े रहते हैं और लोग उनके पास - साथ आते - जाते रहते हैं " ...
पूरी दुनिया इस सच से वाकिफ है कि नीतीश कुमार जी वो रेलवे - स्टेशन नहीं हैं , जहाँ लोग आते - जाते रहते हैं स्टेशन लोगों के पास नहीं जाता, बल्कि नीतीश कुमार जी उस रेल - इंजन ( ट्रेन ) की माफिक हैं जो किसी एक स्टेशन पर ज्यादा देर टिकता ही नहीं .. स्टॉपेज अनेक इंजन एक ...

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