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राजस्थान के डीग जिले में चल रहे कुश्ती दंगल में, शेर Hariram Chaudhary (हरिश्चंद्र पहलवान गिरसै) , जिला केसरी बनने पर ऐतिहासिक जीत की बहुत बहुत बधाई एवम उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं💐💐
आपको बता दें कि डीग राजस्थान का नवीनतम जिला है जिस कारण हरिराम चौधरी डीग के पहले जिला केसरी बन चुके हैं।
आज डीग को कुश्ती का एक नया सितारा मिल गया 🌄
#जिला_डीग
स्वरोजगार की तरफ एक कदम साथियों कभी भी आप लोग देहरादून F R I घूमने आओगे तो नेगी जी भोजनालय पर एक बार जरूर आएं और नेगी जी के हाथो का स्वाद अवश्य लें धन्यवाद 🙏🙏
#फिर_होली_भेंट
सुमित अंतिल भारतीय पैरा-एथलीट और जेवलिन थ्रो में विश्व रिकॉर्ड धारक हैं। उनका जन्म 6 जुलाई 1998 को हरियाणा के सोनीपत जिले में हुआ था। सुमित का जीवन तब बदल गया जब 2015 में एक सड़क दुर्घटना में उनका एक पैर खो गया। इस हादसे के बावजूद, सुमित ने अपने सपनों को टूटने नहीं दिया और पैरालंपिक खेलों में हिस्सा लेने का फैसला किया।
उन्होंने 2021 के टोक्यो पैरालंपिक में पुरुषों की जेवलिन थ्रो F64 श्रेणी में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा। सुमित ने इस प्रतियोगिता में 68.55 मीटर की दूरी पर भाला फेंककर नया विश्व रिकॉर्ड बनाया। इस प्रदर्शन ने उन्हें दुनिया भर में प्रसिद्ध कर दिया और उन्हें भारत के लिए एक गौरवशाली एथलीट बना दिया। सुमित की सफलता का श्रेय उनकी कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प और उनके कोचों के समर्थन को जाता है। उन्होंने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और कई पदक जीते। सुमित की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो जीवन में किसी भी प्रकार की चुनौती का सामना कर रहे हैं। उनकी यात्रा यह साबित करती है कि यदि किसी में साहस और समर्पण हो, तो कोई भी बाधा उनके सपनों को पूरा करने से रोक नहीं सकती। सुमित अंतिल का जीवन एक मिसाल है कि किस तरह से एक कठिनाई को जीत में बदला जा सकता है, और उन्होंने यह साबित कर दिया है कि असली चैंपियन वही होते हैं, जो कठिन परिस्थितियों में भी अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहते हैं।
कहते हैं कि अगर कोई इंसान कुछ कर गुजरने का ठान ले तो तब उसके रास्ते में कितने भी मुश्किल क्यों न हों, आखिर में वह अपनी मंजिल हासिल कर अलग पहचान बना लेता है। यहां हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के भदोही से ताल्लुक रखने वाले एथलीट महादेव प्रजापति की। महादवे एक ऐसे एथलीट हैं जिन्होंने देश के लिए 50 साल की उम्र में 39 मेडल जीते हैं। दिलचस्प ये है कि महादेव को देखकर किसी को यकीन नहीं होता कि वह देश विदेश में तिरंगे की शान बढ़ाने वाले एथलीट हैं। बीते माह 6 से 11 जुलाई तक सिंगापुर में मास्टर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में उन्होंने भारत को जेवलिन थ्रो में गोल्ड और ट्रिपल जम्प में सिल्वर मेडल दिलाया है। इसी प्रतियोगिता के चलते ही महादेव सुर्खियों में शुमार हुए हैं। महादेव ने 8 साल बाद जेवलिन थ्रो में कमबैक कर अपने हुनर को दर्शाया है। ऐसा करने के पीछे एक खास वजह भी थी। आज हम आपको महादेव से जुड़ी तमाम बातें बताने जा रहे हैं, जिनसे दूसरे लोग भी प्रेरणा ले सकते हैं। आइए जानते हैं महादेव प्रजापति के करिअर और पर्सनल लाइफ से जुड़ी कुछ रोचक बातें।
एथलीट महादेव के दिल को उस वक्त काफी ठेस पहुंची थी जब भदोही के जिलाधिकारी क्षेत्र के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट खिलाड़ियों को गले में मेडल पहनाकर सम्मानित कर रहे थे लेकिन प्रजापति को उन्होंने हाथ में मेडल थमाया था। दरअसल, डीएम को धोती-कुर्ता में पहुंचे महादेव की वेषभूषा देखकर ऐसा लगा कि वह अपने बेटे का मेडल लेने आए हैं। जबकि मेडल के असली हकदार खुद महादेव थे। उस दौरान महादेव काफी नाराज हुए और उन्होंने एक बार फिर से वापसी की ठानी थी। अपने अपमान की जिद को ही उन्होंने जुनून बनाया और एक बार फिर से शानदार वापसी कर देश को एक नहीं बल्कि दो-दो मेडल दिलाए। अब वह अभी वह अक्टूबर में इंडोनेशिया में होने वाले मास्टर एशियन गेम में हिस्सा लेने की तैयारी कर रहे हैं।
महादेव ने सीनियर इंटनेशनल प्रतियोगिताओं में अब तक 16 गोल्ड, 16 सिल्वर और 7 ब्रॉन्ज देश के लिए जीते हैं। उन्होंने 2013 में श्रीलंका, 2014 में जिया गामा, 2015 में ऑस्ट्रेलिया, 2017 में न्यूजीलैंड, मलेशिया जाकर मास्टर एथलीट चैम्पियनशिप खेली। वहीं, नेशनल्स में 8 गोल्ड, 6 सिल्वर और 4 ब्रांज मेडल जीते हैं। उनके पास कुल 39 मेडल हैं। यह मेडल महादेव ने जेवलिन थ्रो के अलावा ट्रिपल जम्प में भी जीते हैं। तस्वीर में महादेव अपनी पत्नी के साथ मेडल लिए दिख रहे हैं।
महादेव सीआरपीएफ के जवान भी रह चुके हैं। उन्होंने1985 में सीआरपीएफ जॉइन की थी और कुछ साल बाद ही उनके पिता सेहत खराब हो गई थी जिसके चलते उन्हें 1990 में अपनी नौकरी से इस्तीफा देना पड़ा। सीआरपीएफ में नौकरी करने से पहले महादेव ने 1980 में ऑल इंडिया स्कूल बॉयज नेशनल्स, 1981 में इंटर स्टेट चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया था। 1983 में त्रिवेंद्रम में ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी प्रतियोगिता और ग्वालियर में ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी टूर्नामेंट में हिस्सा लिया था। इसके बाद वह 42 साल की उम्र में फिर खेल प्रतियोगिताओं में लौटे।
फिलहाल महादेव खेती कर अपनी अजीविका कमाते हैं और छप्पर के मकान में रहते हैं। महादेव को खेल प्रतियोगिताओं में मेडल तो खूब मिले लेकिन धनराशि नहीं मिलती और यही वजह है कि वह खेती कर अपना खर्चा चलाते हैं।
जुलाई के दौरान सिंगापुर में आयोजित इंटरनेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाद लेने के लिए महादेव ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को आर्थिक सहायता के लिए पत्र लिखा था लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिली। तब वह आम लोगों की मदद से सिंगापुर में होने वाले मास्टर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में हिस्सा लेने पहुंचे थे और जीतकर लौटे।
The wait is over!
Introducing Superstar @rajinikanth as Deva, from the world of #coolie??
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