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"गरीब से गरीब हैं ये बच्चे, कभी इधर-उधर घूमते हैं, कभी कूड़ा बीनते हैं, कभी मिलता है कभी नहीं मिलता खाना.. इसलिए इनको खिलाते हैं।"
- 'बाबा जी की पाठशाला' चला रहे राधेश्याम विश्वकर्मा
अयोध्या के काशीराम कालोनी में गरीब बच्चों के लिए एक अनोखी पाठशाला चलाई जाती है, जहां शिक्षा के साथ-साथ इन जरूरतमंद बच्चों को पेट भर खाना भी मिलता है। इस पाठशाला को चलाते हैं उसी कॉलोनी में रहने वाले 'भेलपुरी वाले बाबा' नाम से पहचाने जाने वाले राधेश्याम विश्वकर्मा। वह खुद भले ही ज़्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं, लेकिन बच्चों के जीवन में शिक्षा का उजाला फैला रहे हैं। विश्वकर्मा बाबा भेलपुरी बेचकर इन बच्चों को खाना और शिक्षा उपलब्ध कराते हैं।
जब राधेश्याम ने देखा कि कॉलोनी के अधिकतर बच्चे पढ़ाई से वंचित हैं और बहुत से बच्चों को तो दो वक्त का खाना भी नहीं मिलता; तब उन्होंने इनकी ज़िंदगी को कुछ बेहतर बनाने की ठानी और 'बाबाजी की पाठशाला' की शुरुआत की। इससे बच्चो को एक स्कूल भी मिल गया और रोज़ पेट भरने के लिए रोटी भी! बाबाजी की कोशिश को अब कई समाज सेवियों का प्यार और आर्थिक सहयोग मिल रहा है। इन बच्चों के बेहतर भविष्य का जो सपना राधेश्याम देख रहे हैं, आशा है वह जल्द ही साकार होगा। अगर आप भी अयोध्या में रहते हैं तो इनका सहयोग कर सकते हैं।
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