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महावीर फोगाट हरियाणा के एक छोटे से गाँव बलाली से आते हैं। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, लेकिन महावीर ने अपने जुनून को कभी नहीं छोड़ा। उन्हें अपने गाँव में पारंपरिक कुश्ती का प्रशिक्षण मिला, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण वह राष्ट्रीय स्तर पर अपना स्थान नहीं बना पाए।
महावीर फोगाट ने अपनी बेटियों गीता और बबीता को कुश्ती की ट्रेनिंग देने का निश्चय किया, जो उस समय एक क्रांतिकारी विचार था। उनके इस फैसले का समाज ने कड़ा विरोध किया, लेकिन महावीर ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी बेटियों को लड़कों के साथ ट्रेनिंग दिलवाई और उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता दिलाने के लिए कड़ी मेहनत की।
गीता फोगाट ने 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। बबीता ने भी इसी तरह से विभिन्न प्रतियोगिताओं में सफलता हासिल की। महावीर की कठिन मेहनत और अटूट विश्वास ने उनके परिवार को भारतीय कुश्ती के क्षेत्र में एक नई ऊँचाई पर पहुँचाया।
महावीर फोगाट की कहानी केवल एक खेल की कहानी नहीं है, बल्कि यह संघर्ष, समर्पण और अडिग विश्वास की कहानी है। उनके जीवन में सस्पेंस और कठिनाइयों का सामना करते हुए उन्होंने अपने परिवार को एक नए मुकाम पर पहुँचाया, जो हर किसी के लिए प्रेरणादायक है।❤❤🙏
कविता...
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मैंने कई बार ये सोचा
क्यों लिखती हूँ मैं कविता?
जब मेरी कविताएँ भर नही पाती
फुटपाथ पर बैठे
किसी भूखे बच्चे का पेट
जब कोई कविता बन नहीं पाती छत
किसी गरीब के लिए
जहाँ मिल सके
सर्दी,गर्मी और बारिश में उसे आश्रय
क्या जरूरत है फिर इन कविताओं की!
एक रात फुटपाथ के जरा नज़दीक से
गुजरते हुए सुना मैंने
एक माँ को अपने भूख बिलखते हुए
बच्चों से कहते हुए–
"सुनो,मैं तुम्हें एक कविता सुनाती हूँ
तुम्हें नींद आ जाएगी।"
उस रात घर लौट कर
मैंने लिखी एक और कविता ।
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