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Thanks friends aap main se most mmmies ne mujhe Pampers All Round Protection try karne ko bola tha . And I never knew ki kum daam wala diaper use karne se mere baby ko rashes ho jayenge...but now I am glad I have switched to Pampers All Round Protection and isme 100% wetness technology hai jisse yeh pee completely absorb kar lete hai...and yeh dermatologist tested bhi hai....Also isse ye bhi dekh liya maine ki sirf poori wetness is not the main reason, sirf thode se geelapan se bhi baby ke bum pe rashes aana shuru ho sakte hain! So thanks everyone, aap bhi Pampers All Round Protection try karke batana and roz subah apne baby ke liye Bum Check Check Bum test zaroor karna 💕 😃
English Grammar & Vocabulary
देखे कैसी एक बूढ़ी औरत अपना घर चलाने के लिए मिट्टी की मूरतियां बना रही है#trendin photo
दोस्तों आप लोगों को कैसी लगी माता रानी की फोटो#trending post #highlight #followers #everyone
वड़ापाव गर्ल के साथ साथ डॉली चायवाले को भी इस सीजन बिग बॉस OTT के लिए निमंत्रण दिया गया था , कि वो भी बिग बॉस के घर में बाकी लोगों के साथ शिरकत करें, मगर मीडिया खबरों की माने तो इन्होंने बिग बॉस में जाने से साफ इंकार कर दिया, इन्होंने कहा की चंद पैसों और थोड़े से फेम के लिए मैं अपनी मां को इतने दिनो तक अकेले छोड़ के नहीं जा सकता , साथ ही ये भी कहा की मेरा काम ही मुझे आगे बढ़ाता है इसलिए मैं अपना काम भी बंद नहीं कर सकता , भले आदमी कैसा भी हो मगर उनके इस फैसले की तारीफ आज हर जगह हो रही है ।
बाड़मेर के एक शिक्षक भेराराम भाखर पिछले 24 सालों से बंजर इलाके को हरा-भरा बनाने की कोशिश में लगे हैं। अपनी इसी पहल के तहत उन्होंने राजस्थान के कई इलाकों में अब तक चार लाख से ज्यादा पौधे लगाए हैं। सबसे अच्छी बात है कि यह काम भेराराम अपने खुद के खर्चे से करते हैं। इसलिए आज वह अपने इलाके में पौधे वाले मास्टर के नाम से मशहूर भी हो चुके हैं।
दरअसल, साल 1999 में अपने कॉलेज के दिनों में भेराराम ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर गांव के मंदिर में करीब 50 पौधे लगाए थे। इस घटना के बाद उन्हें इतना सुकून मिला कि उन्होंने फैसला किया कि वह यह काम आजीवन जारी रखेंगे। इसके बाद भेराराम ने साल 2002 में शिक्षक के रूप में काम करना शुरू किया।
उस समय भेराराम ने अपनी पहली तनख्वाह पर्यावरण के लिए खर्च की और ठान लिया कि हर साल अपने एक महीने की तनख्वाह पर्यावरण संरक्षण के लिए खर्च करेंगे। उन्होंने देसी पेड़ों को खरीदकर अपने स्कूल और गांव के सार्वजनिक इलाके में लगाना शुरू किया।
समय के साथ उन्हें अपने जैसे दूसरे पर्यावरण प्रेमियों का साथ मिला और उनके अभियान को भी रफ़्तार मिली। भेराराम ने फिर प्लास्टिक के खिलाफ और पशु-पक्षियों के संरक्षण के लिए काम करना शुरू किया। इस तरह आज वह 500 से अधिक वन्य पशु को भी बचा चुके हैं। इन्हीं प्रयासों के कारण, आज उनको लोग पौधे वाले टीचर कहकर बुलाते हैं।
अपना पूरा जीवन पर्यावरण के लिए समर्पित करने वाले भेराराम, समाज के सच्चे हीरो हैं और हम सबके लिए प्रेरणा भी।