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नायकी देवी #चालुक्य वंश की महारानी थी, जिसने ११७८ ई. में कायन्द्रा के युद्ध में मोहम्मद ग़ोरी को परास्त किया था .
#वीरांगना #नायकी_देवी पर्मांडी की पुत्री थी. इनका विवाह गुजरात के महाराजा अजयपाल से हुआ था. अजयपाल सिद्धराज जयसिंह के पौत्र तथा कुमारपाल के पुत्र थे. अंगरक्षक द्वारा वर्ष ११७६ में अजयपाल की हत्या के बाद राज्य की बागडोर महारानी नायकी देवी के हाथ में आ गई थी, क्योंकि तब उनके पुत्र मूलराज बाल्य अवस्था में थे.
#मोहम्मद_ग़ोरी को जब पता चला कि गुजरात पर एक विधवा रानी का शासन है तो उसने गुजरात पर आक्रमण कर दिया. पूर्व सूचना के आधार पर नायिका देवी की सेना ने गुजरात की राजधानी पाटण से दूर आबू पर्वत की तलहटी में कासिन्द्रा के निकट पहुँच कर गौरी से युद्ध किया. इस युद्ध में गौरी बुरी तरह से घायल हुआ और उसे प्राण बचा कर भागना पड़ा. इसके बाद गौरी ने कभी गुजरात की ओर मुड़ कर नहीं देखा.
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मक्का में सैकडो हज़ यात्रियों की मौत की खबर आ रही है,ऐसी मौतें दुखद है
पर कुछ दिन पहले जब वैष्णोदेवी जा रहे यात्रियों पर हमला हुआ था तब काफ़ी मुस्लिम पूछ रहे थे कि “भगवान बचा नहीं पाये”
तो अगर आज कोई हिंदू भी आपसे कह दे कि “अल्लाह बचा नहीं पाये” तो आपको कैसे लगेगा किसी की भी मौत पर ख़ुशी प्रदर्शित करना सनातन धर्म के विरुद्ध है लेकिन दुख होता है
जब हिंदू धर्म स्थलों पर हुई मौतों पर ये विधर्मी हंसते है,बाकी सुर्य देव पर निर्भर है,अब वही इन्हें बचा सकते हैं
जय श्रीराम 🚩
पानी जेहाद"...... !!
👉👉पुलिस की प्रारम्भिक जाँच में मोदीनगर के गंग नहर में ऐसे कई सुबूत मिले है जो पिछले एक महीने में 60 लोगो की डूबने से हुई मौत पर सवाल उठाते है,
👉👉इन सभी लोगो के शव नहर से खोजने के लिए वहाँ गोताखोरी करने वाले मुस्लिम गोताखोरों ने 30 से 40 हजार रूपये लिए है! पता चला की नहर के अंदर झाड़ियो और पत्थरों से मोटी रस्सियाँ बंधी मिली।
👉👉यानी जो लोग घाट पर नहाने के लिए जाते थे तो पहले से ही पानी में घात लगाये 10-15 मुस्लिम गोताखोरो में से कोई भी उनका पैर पकडकर गहरे पानी में खिंच लेता था!फिर उन्हें डुबोकर मार देता था फिर शव को पानी के अंदर ही पत्थर या झाडी से बाँध देता था।
👉👉फिर जब परिजनों को डूबने की सुचना मिलती थी तब यही मुस्लिम गोताखोर सामने आकर शव को पानी से खोज निकालने का सौदा करते थे, और 40 हजार रूपये वसूलते थे!
सोचिये ये कौम पैसे के लिए कितनी नीचता करती है!
एक काफिर को मारकर जन्नत का टिकट भी पक्का किया, सवाब कमाया और 40 हजार उसी काफिर के रिश्तेदारों से वसूले।
सोचे समझे और विचार करे परिवार और समाज आपका अपना है।
कांग्रेसी चमचो अगर प्रधानमंत्री के काफिले पर चप्पल फेंकना तुम्हारी नजरों में सही है और यह प्रधानमंत्री की आलोकप्रियता को दिखाता है
तो मत भूलो कि प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए लोगों ने इंदिरा गांधी की नाक तोड़ दिया था सर फोड़ दिया था और प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए असंतुष्ट भारतीय लोगों ने ही प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की थी
हम इसे कभी जायज नही कहते