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मन को अगम, तन सुगम किये कपीस, काज महाराज के समाज साज साजे हैं।
देव-बंदी छोर रनरोर केसरी किसोर, जुग जुग जग तेरे बिरद बिराजे हैं।
बीर बरजोर, घटि जोर तुलसी की ओर, सुनि सकुचाने साधु खल गन गाजे हैं।
बिगरी सँवार अंजनी कुमार कीजे मोहिं, जैसे होत आये हनुमान के निवाजे हैं।।15।।
भावार्थ👉 हे कपिराज ! महाराज रामचन्द्रजी के कार्य के लिये सारा साज-समाज सजकर जो काम मन को दुर्गम था, उसको आपने शरीर से करके सुलभ कर दिया। हे केशरीकिशोर ! आप देवताओं को बन्दीखाने से मुक्त करने वाले, संग्राम-भूमि में कोलाहल मचाने वाले हैं और आपकी नामवरी युग-युग से संसार में विराजती है। हे जबरदस्त योद्धा ! आपका बल तुलसी के लिये क्यों घट गया, जिसको सुनकर साधु सकुचा गये हैं और दुष्टगण प्रसन्न हो रहे हैं, हे अंजनीकुमार ! मेरी बिगड़ी बात उसी तरह सुधारिये जिस प्रकार आपके प्रसन्न होने से होती (सुधरती) आयी है।
• सम्राट चन्द्रगुप्त महान थे उन्हें चन्द्रगुप्त महान एवं {सैंड्रोकोटस } भी कहा जाता है, वह मोरियवंवी क्षत्रिय थे।
• सिकंदर के काल में हुए चन्द्रगुप्त ने सिकंदर के सेनापति सेल्युकस को दो बार बंधक बनाकर छोड़ दिया था !
• सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के नौकर - चाकर को छोड़कर छः लाख नब्बे हजार की फौज को लेकर चंद्रगुप्त मौर्य की सेना तत्समय की दुनिया की सबसे बड़ी फौज थी !
• सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने केवल 25 वर्ष की आयु में पूरा भारत अपने अधीन कर लिए थे और सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस को हराकर उसकी बेटी हेलेना से शादी किए थे !
• और दहेज में सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य को सेल्यूकस ने पूरा पाकिस्तान अफ़गानिस्तान दिया था तब जाकर अखंड भारत का निर्माण हुआ था !
• इसलिए कहा जाता है जहां शेर और सिकन्दर सिर झुकावे ओ दादा सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य जी का दरवार कहावे 🫵
जय सम्राट.......जय क्षात्र धर्म
जय मोरियवंश ....जय राजपुताना 🦁