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ये है कश्मीर की 8 वर्षीय तजामुल इस्लाम-
जिसने "विश्व किकबॉक्सिंग चैम्पियनशिप" में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास की किताबों में अपना नाम दर्ज कराया था♥️🖐️✴️🤜🤛
8 वर्ष की उम्र में इस छोटी सी लड़की ने देश का नाम रोशन किया- देश के लिए स्वर्ण लेकर आई-♥️
➡️बधाई नही दोगे इसे-लाइक नही करोगे इस बेटी को__
अमेरिका की अपनी प्रतिद्वंद्वी को हराकर इटली के एंड्रिया में आयोजित चैंपियनशिप जीती, जिसमें नब्बे देशों ने भाग लिया था♥️✴️🖐️👇
हिमेश रेशमिया ने अपनी पत्नी कोमल को सिर्फ इसलिए तलाक दे दिया क्योंकि कोमल मोटी हो गई थी. हिमेश को लगा इस मोटी के चक्कर में मेरी जवानी बर्बाद हो जाएगी लिहाजा उसने तुरंत दूसरी शादी कर ली.
दो मिनट ज्यादा मजे के चक्कर में 22 साल शादीशुदा जिंदगी को तबाह करने का फैसला हिमेश ने सही लिया या गलत कमेंट करके बताएं।
एक बार एक लड़की से मुझे प्रेम हुआ। वो मेरे साथ भागने तक को तैयार थी। सबको छोड़ने को तैयार थी |
उसके पिता को यह रिश्ता मंजूर नही था और उन्होंने लड़की की शादी किसी और से तय कर दी ! 😢
मैं उससे मिलने अंतिम बार उसकी शादी के दिन गया, लड़की दुल्हन के जोड़े में कमरे में बैठी थी,
बहुत सुंदर लग रही थी,
मैंने उससे कहा भी तुम सच मे परी लग रही हो !
उसने मेरे शर्ट का कालर खिंचकर मुझसे कहा कि मर्द हो तो मुझे अभी के अभी भागकर ले चलो !
मैं शांत था, लेकिन फिर बोला-----😢😢
सुनो ! मेरे प्यार से ज्यादा जरूरी तुम्हारे बाप की इज्जत है | इस बात का सदैव ध्यान रखना ! मैं तुम्हे प्यार तो करता हूँ, लेकिन उतना नहीं करता जितना तुम्हारे पिता तुमसे करते है | और हाँ ! अगर तुमने मुझसे सच मे प्यार किया है तो तुम कहीं नही भगोगी और शादी कर रिश्ते को ऐसे निभाओगी जैसे मैं तुम्हारी जिंदगी में कभी था ही नहीं !
खैर !
कई वर्ष बीत जाने के बाद भी उससे बात नहीं हुई | लेकिन अब वो बहुत खुश है और कहती भी की हम लोगो ने जो निर्णय लिया वो सबसे अच्छा था | शायद मैं कमज़ोर पड़ गयी थी, लेकिन तुमने मुझे सम्भाल लिया |
और आज सब कुछ बेहतर है |
नोट- प्यार जरूरी तो है , लेकिन उतना भी नही की परिवार का सम्मान दांव पर लगा हो।
पिता की पगड़ी का सवाल हो !
प्यार से ज्यादा भी जरूरी कई काम है, किसी एक के लिए ये दुनिया छोड़ देना सही नही,
प्यार बहुत कुछ है,
लेकिन सब कुछ नहीं,
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एक ऐसी कहानी,
जो आपको भावुक कर देगी😢
एक अट्ठाइस साल की बहुत ही बदसूरत और काली लड़की थी, उसके दाँत भी निकले थे, पर उसे अपने रंग और बदसूरती का जरा भी अफ़सोस नही था | हमेशा खुश रहती और एक नंबर की पेटू और पढ़ने लिखने में महाभोंदू भी थी |
पेटू होने की वजह से शरीर भी बेडौल हो गया था | एक खूबी उसमें यह भी थी की जहाँ रहती, हो-हो-हो कर हस्ती मुस्कुराते रहती और सबको भी हँसाते रहती |
उस नेक दिल लड़की का एक शौक भी था |
खाना बनाने का, वह खूब मन से खाना बनाती और बड़े चाव से मसाला पिसती |
खाना बनाने की किताबे खूब ध्यान लगा कर पढ़ती | टीवी रेडियो पे भी पाक कला के प्रोग्राम को बड़े मनोयोग से देखती सुनती |
जब भी उसे कोई खाना बनाना होता तो वह बड़े प्रेम से बनाती | आटा गूँथती, बड़े प्यार से गीत गुनगुनाते हुए कम आँच पे पूड़ियाँ तलती |
सब्जी चटनी खीर हो या मटर पनीर सब कुछ लाजबाब बनाती | जो भी उसके खाने को टेस्ट करता बिना तारीफ किये ना रहता | उसने पाक कला में अद्भुत और असाधारण प्रतिभा हासिल कर ली थी |
पर वह मनहूस थी उसके काले रंग और बदसूरत होने से कोई उसे प्यार न करता था पर माँ उसे बहुत प्यार करती थी | आज तक माँ ने उसे डाँटा तक नही था और वह भी माँ से बहुत प्यार करती थी |
हर बार की तरह इस बार भी आज सुबह उसकी शादी के लिए जो लोग लड़की देखने आये थे उन सबो ने खाने की बहुत तारीफ की लेकिन लड़की को देखकर नाक मुँह सिकोड़कर चले गए |
वह लड़की भी तैयार होकर किसी को बिना कुछ बताये कहीं चली गयी | शाम में जब वो लौटी तो घर का माहौल बहुत गरम था |
पिता जी माँ पे बहुत गुस्सा थे बोल रहे थे पता नही कौन से पाप के बदले ये मनहूस लड़की मिली | पिता से प्रायः यह सुब सुनती थी उससे उसे कोई असर न होता था |
वह बहुत खुश खुश माँ को कुछ बताने गई और कहा " बड़ी भूख लगी है कुछ खाने को दो पहले" !
उसके हाथों में एक सर्टिफिकेट और एक चेक भी था, पर माँ भी आज बहुत गुस्से में सब्जी काट रही थी उसके तरफ देखे बिना ही बोली "तू सचमुच मनहूस है काश पैदा होते ही मर जाती तो आज ये दिन ना देखना पड़ता |
पचासों रिश्तों आये किसी ने तुझे पसंद न किया " |
उस मनहूस लड़की को माँ से ऐसी आशा ना थी उसका दिल बैठ गया और उसकी ख़ुशी उड़ गई और उदास होकर माँ से बोली " मैं सचमुच मनहूस हूँं माँ क्या मैं मर जाऊँ ?" बोलते बोलते उसका गला रुंध गया और चेहरा लाल हो गया |
माँ ने भी गुस्से में कहा "जा मर जा सबको चैन मिले" |
तभी उस मनहूस लड़की ने अपने कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर लिया | थोड़ी देर बाद जैसे ही माँ को अपनी गलती का अहसास हुआ वो दौड़ती हुई उसके कमरे के तरफ गयी | आवाज़ देने पर भी दरवाजा जब नही खुला तो माँ ने जोर का धक्का दिया |
तेज धक्के से जैसे ही दरवाज़ा खुला माँ ने देखा सामने दुपट्टे के सहारे जीभ बाहर निकले उस मनहूस काली लड़की की लाश झूल रही थी |
वही पर एक चिट्ठी, सर्टिफिकेट और एक लाख का चेक रखा था |
चिट्ठी में लिखा था" माँ मैंने आज तक तुम्हारा कहना माना है | आज तुमने मरने को बोला ये भी मान रही | अब तुम मनहूस लड़की की माँ नही कहलाओगी |
मैंने पढ़ने की बहुत कोशिश की पर मेरे दिमाग मे कुछ जाता है नहीं, पर भगवान ने मुझे ऐसा बनाया इसमें मेरा क्या कसूर माँ ?😢
मुझे सबने काली मनहूस भोंदू सब कहा, मुझे बुरा न लगा पर तुम्हारे मुँह से सुनकर मुझे बहुत बुरा लगा 😢
मेरी प्यारी माँ और हां आज नेशनल लेवल के खाना बनाने वाली प्रतियोगिता में मुझे फर्स्ट प्राइज और एक लाख रूपए का चेक मिला और साथ में फाइव स्टार होटल में मास्टर शेफ की नौकरी भी |😢
और पता है माँ आज मेरी जिंदगी की सबसे खुशी का दिन था क्योंकि पहली बार वहाँ सबने मुझे कहा था
देखो ये है कितनी भाग्यशाली लड़की है 😢😢😢...
नोट- बेटी है तो कल है | उसका सम्मान करे |
उसे ताकत दे,
उत्साहित करें,
माँ बाप का नाम, देश का नाम रोशन करेगी |