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प्रजापति समाज की बेटी नेहा प्रजापत की मेहनत, मजबूत इच्छा शक्ति, इनने पिता महावीर प्रजापति व इनकी माता मनीषा देवी के त्याग लाडली बेटी नेहा का NEET Exam 2024 में 720 अंकों में से 658 अंक के साथ चयन हो गया हैं। नेहा प्रजापति को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।

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एक बार एक लड़की से मुझे प्रेम हुआ। वो मेरे साथ भागने तक को तैयार थी। सबको छोड़ने को तैयार थी |
उसके पिता को यह रिश्ता मंजूर नही था और उन्होंने लड़की की शादी किसी और से तय कर दी ! 😢
मैं उससे मिलने अंतिम बार उसकी शादी के दिन गया, लड़की दुल्हन के जोड़े में कमरे में बैठी थी,
बहुत सुंदर लग रही थी,
मैंने उससे कहा भी तुम सच मे परी लग रही हो !
उसने मेरे शर्ट का कालर खिंचकर मुझसे कहा कि मर्द हो तो मुझे अभी के अभी भागकर ले चलो !
मैं शांत था, लेकिन फिर बोला-----😢😢
सुनो ! मेरे प्यार से ज्यादा जरूरी तुम्हारे बाप की इज्जत है | इस बात का सदैव ध्यान रखना ! मैं तुम्हे प्यार तो करता हूँ, लेकिन उतना नहीं करता जितना तुम्हारे पिता तुमसे करते है | और हाँ ! अगर तुमने मुझसे सच मे प्यार किया है तो तुम कहीं नही भगोगी और शादी कर रिश्ते को ऐसे निभाओगी जैसे मैं तुम्हारी जिंदगी में कभी था ही नहीं !
खैर !
कई वर्ष बीत जाने के बाद भी उससे बात नहीं हुई | लेकिन अब वो बहुत खुश है और कहती भी की हम लोगो ने जो निर्णय लिया वो सबसे अच्छा था | शायद मैं कमज़ोर पड़ गयी थी, लेकिन तुमने मुझे सम्भाल लिया |
और आज सब कुछ बेहतर है |
नोट- प्यार जरूरी तो है , लेकिन उतना भी नही की परिवार का सम्मान दांव पर लगा हो।
पिता की पगड़ी का सवाल हो !
प्यार से ज्यादा भी जरूरी कई काम है, किसी एक के लिए ये दुनिया छोड़ देना सही नही,
प्यार बहुत कुछ है,
लेकिन सब कुछ नहीं,
पोस्ट पसंद आई तो लाइक फोलोवर्स और शेयर जरूर करें और अपनी राय कमेंट बॉक्स में भरिए 👏👏👏

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एक ऐसी कहानी,
जो आपको भावुक कर देगी😢
एक अट्ठाइस साल की बहुत ही बदसूरत और काली लड़की थी, उसके दाँत भी निकले थे, पर उसे अपने रंग और बदसूरती का जरा भी अफ़सोस नही था | हमेशा खुश रहती और एक नंबर की पेटू और पढ़ने लिखने में महाभोंदू भी थी |
पेटू होने की वजह से शरीर भी बेडौल हो गया था | एक खूबी उसमें यह भी थी की जहाँ रहती, हो-हो-हो कर हस्ती मुस्कुराते रहती और सबको भी हँसाते रहती |
उस नेक दिल लड़की का एक शौक भी था |
खाना बनाने का, वह खूब मन से खाना बनाती और बड़े चाव से मसाला पिसती |
खाना बनाने की किताबे खूब ध्यान लगा कर पढ़ती | टीवी रेडियो पे भी पाक कला के प्रोग्राम को बड़े मनोयोग से देखती सुनती |
जब भी उसे कोई खाना बनाना होता तो वह बड़े प्रेम से बनाती | आटा गूँथती, बड़े प्यार से गीत गुनगुनाते हुए कम आँच पे पूड़ियाँ तलती |
सब्जी चटनी खीर हो या मटर पनीर सब कुछ लाजबाब बनाती | जो भी उसके खाने को टेस्ट करता बिना तारीफ किये ना रहता | उसने पाक कला में अद्भुत और असाधारण प्रतिभा हासिल कर ली थी |
पर वह मनहूस थी उसके काले रंग और बदसूरत होने से कोई उसे प्यार न करता था पर माँ उसे बहुत प्यार करती थी | आज तक माँ ने उसे डाँटा तक नही था और वह भी माँ से बहुत प्यार करती थी |
हर बार की तरह इस बार भी आज सुबह उसकी शादी के लिए जो लोग लड़की देखने आये थे उन सबो ने खाने की बहुत तारीफ की लेकिन लड़की को देखकर नाक मुँह सिकोड़कर चले गए |
वह लड़की भी तैयार होकर किसी को बिना कुछ बताये कहीं चली गयी | शाम में जब वो लौटी तो घर का माहौल बहुत गरम था |
पिता जी माँ पे बहुत गुस्सा थे बोल रहे थे पता नही कौन से पाप के बदले ये मनहूस लड़की मिली | पिता से प्रायः यह सुब सुनती थी उससे उसे कोई असर न होता था |
वह बहुत खुश खुश माँ को कुछ बताने गई और कहा " बड़ी भूख लगी है कुछ खाने को दो पहले" !
उसके हाथों में एक सर्टिफिकेट और एक चेक भी था, पर माँ भी आज बहुत गुस्से में सब्जी काट रही थी उसके तरफ देखे बिना ही बोली "तू सचमुच मनहूस है काश पैदा होते ही मर जाती तो आज ये दिन ना देखना पड़ता |
पचासों रिश्तों आये किसी ने तुझे पसंद न किया " |
उस मनहूस लड़की को माँ से ऐसी आशा ना थी उसका दिल बैठ गया और उसकी ख़ुशी उड़ गई और उदास होकर माँ से बोली " मैं सचमुच मनहूस हूँं माँ क्या मैं मर जाऊँ ?" बोलते बोलते उसका गला रुंध गया और चेहरा लाल हो गया |
माँ ने भी गुस्से में कहा "जा मर जा सबको चैन मिले" |
तभी उस मनहूस लड़की ने अपने कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर लिया | थोड़ी देर बाद जैसे ही माँ को अपनी गलती का अहसास हुआ वो दौड़ती हुई उसके कमरे के तरफ गयी | आवाज़ देने पर भी दरवाजा जब नही खुला तो माँ ने जोर का धक्का दिया |
तेज धक्के से जैसे ही दरवाज़ा खुला माँ ने देखा सामने दुपट्टे के सहारे जीभ बाहर निकले उस मनहूस काली लड़की की लाश झूल रही थी |
वही पर एक चिट्ठी, सर्टिफिकेट और एक लाख का चेक रखा था |
चिट्ठी में लिखा था" माँ मैंने आज तक तुम्हारा कहना माना है | आज तुमने मरने को बोला ये भी मान रही | अब तुम मनहूस लड़की की माँ नही कहलाओगी |
मैंने पढ़ने की बहुत कोशिश की पर मेरे दिमाग मे कुछ जाता है नहीं, पर भगवान ने मुझे ऐसा बनाया इसमें मेरा क्या कसूर माँ ?😢
मुझे सबने काली मनहूस भोंदू सब कहा, मुझे बुरा न लगा पर तुम्हारे मुँह से सुनकर मुझे बहुत बुरा लगा 😢
मेरी प्यारी माँ और हां आज नेशनल लेवल के खाना बनाने वाली प्रतियोगिता में मुझे फर्स्ट प्राइज और एक लाख रूपए का चेक मिला और साथ में फाइव स्टार होटल में मास्टर शेफ की नौकरी भी |😢
और पता है माँ आज मेरी जिंदगी की सबसे खुशी का दिन था क्योंकि पहली बार वहाँ सबने मुझे कहा था
देखो ये है कितनी भाग्यशाली लड़की है 😢😢😢...
नोट- बेटी है तो कल है | उसका सम्मान करे |
उसे ताकत दे,
उत्साहित करें,
माँ बाप का नाम, देश का नाम रोशन करेगी |

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पति को संभोग सुख दो तो वो तुम्हे दुनिया के सारे सुख देगा
अपनी सहेलियों मां और चाची से ये बात हमेशा सुनती आरही थी
लेकिन असल में कमी कुछ और थी
35 साल की उम्र में मेरा विवाह हुआ ये काफी लेट समय था और जिससे मेरी शादी हुई उसकी उम्र 37 साल थी
पहले लोग शादी जल्दी करने पर जोर देते थे, लेकिन आज लोग पहले करियर बनाने के पीछे भागते हैं
कम उम्र में हुई शादी आप को आपके पार्टनर और परिवार से घुलने मिलने में ज्यादा आसान होती है
लेकिन देर में हुई शादी में लोग इतने ज्यादा जटिल हो जातें हैं की वह अपने आप को नए माहौल में ढाल नही पाते
35 की उम्र में शादी होने से वैसे हो शरीर में कामवासना खत्म हो जाती है
रही सही कसर 37 साल के पुरुष के अंदर भी नही बचती
बचती है तो एक बात वो है साथ,
जब मेरी शादी हुई तो मुझे पता था जिस व्यक्ति से मेरी शादी हो रही है वो काफी कम कमाता है, पर 35 साल की उम्र होने पर मेरी मां को भी काफी चिंता होने लगे थी
क्यों की मेरे पापा की मृत्यु समय से पहले हो गई थी
मैने घर वालों से बात की तो लोगो ने बोला शादी करो नही उम्र निकल जाएगी
सहेलियों से बोला तो उन्होंने बोला रात को बिस्तर पर पति को खुश रखो वो खुद मेहनत कर के ज्यादा पैसे कमाएगा
सबकी बातों को ध्यान में रख कर मैने शादी कर ली,
लेकिन शादी के बाद पत्नी के साथ साथ एक पुरुष की जिंदगी में एक और चीज आती है जिसे हम जिम्मेदारी के नाम से जानते हैं
जिनसे मेरी शादी हुई थी वो इस बात को जानते थे की मैं शादी से खुश नहीं हूं क्यों की मेरी आय कम है
शादी के पहली रात उन्होंने मुझसे कहा, देखो मेरी आय कम है उम्र ज्यादा है इसका मतलब ये नही है की हम दोनों साथ में खुश नहीं रह सकते
मैं तुम्हे सभी संसाधन तो नही दे सकता लेकिन इतने जरूर दे सकता हूं की हमारी जिंदगी अच्छे से चले
और उस रात खाली यही बात हुई,
ऐसे ही करते करते 20 से 22 दिन बीत गए पर हम दोनो के बीच पति पत्नी वाला रिश्ता बना ही नही शायद उन्हें मन में मलाल था की वो कमाते हैं
फिर सहेलियों से बात हुई सबने फिर वही बात कही, खुश करो और वो खुद तुम्हारी जरूरतें पूरी करेगा
महीने के अंत में उन्हें वेतन मिला 25000 रुपए, जिसमे से 5000 रुपए वो भविष्य केलिए रख कर 20000 मुझे दिया
और बोला मेरी जरूरतें काफी सीमित है, ये पैसे तुम रखो। अगर मुझे जरूर हुई तो ले लूंगा
तुम अपने हिसाब से घर देख लो
पर जब मैंने हिसाब लगाना शुरू किया तो पैसे कम पड़े
जब मैने इनसे इस बारे में डिस्कस किया तो वो बोले थोड़ी दिक्कत हो सकती है लेकिन मैं दूसरी नौकरी के लिए ट्राय कर रहा हूं
ऐसे ही करते करते शादी को 6 महीने हो गए और हमारा झगड़ा हुआ, मैं बोलती और पैसे कमाओ वो बोलते जो हैं उसमे एडजेस्ट करने की कोशिश करो
बात इतनी बढ़ गई की मैं अपने मायके आ गईं और मन बना लिया की अब इसके साथ नही जाना
उन्हें ने कई बार मुझे बुलाया मेरे घर आए लेने
थक हार कर मैने भी बोल दिया जिस दिन आप अच्छा कमाने लगेंगे उस दिन आजाना लेने आप तो अभी पूरी तरह से मेरा खर्चा भी उठा नही पाते
ये बात उन्हें बहुत बुरी लगी, क्यों की गुस्से की वजह से मेरा बोलने का लहजा भी खराब था
लेकिन इस बार उस इंसान के गिरबान को चोट पहुंची थी , वो वापस तो गया लेकिन कभी लौट के नही आया
बल्कि उन्होंने अपने वेकील से फोन कर के बोला की अगर तुम मुझसे अलग होना चाहती हो तो हो सकती हो
जिसे जान कर मेरा गुस्सा और भड़क गया मुझे लगा को जो इंसान मेरा खर्चा नही उठा सकता वो मुझे छोड़ने की धमकी दे रहा है,
मैने भी बोल दिया नही रहना है,
हमारी हियरिंग हुई जज ने पूछा, तो उन्होंने स्पष्ट बोला, sir मेरी तनख्वाह कम है, जिससे इन्हे आपत्ति है
और मैं इन्हे खुश नहीं रख पा रहा हूं, मेरे बस में इससे ज्यादा कुछ नहीं
जजों ने मुझे समझाया लेकिन इगो की वजह से किसी की नही सुनी
और कुछ समय बाद मेरा तलाक हो गया
तलाक के 6 महीने मैं घर पर थी लेकिन उसके बाद एक नौकरी की, अब मेरी उम्र 37 साल हो gahi थी
नौकरी पर आने पर पता चला की कितना मेहनत का काम है
और ये भी पता चला की डिवोर्क्सी लड़की के आगे पीछे सब घूमते हैं, मौके का तलाश करते हैं की कब मौका मिले और इसके साथ कुछ करने को मिले
मेरी पहली तनखवाह 15000 की है अब समझ में आने लगा था की नौकरी करना कितना कठिन है कुछ भी चाहो लेकिन हमारे हाथ में कुछ नही है
अब जिस 15000 के लिए मुझे 10 से 6 काम करना पड़ता था, लोगो को हरासमेंट का सामना करना पड़ता था
पहले उससे ज्यादा घर बैठे 20000 मिलता लेकिन अब काम करने के बाद 15000 मिल रहा है ऊपर से दिनभर की मेहनत
लेकिन आज उसी शक्श की नौकरी में तनखवा 86000 रुपए है
मैने ये गलती की रिश्ते को पैसे के पैरा मीटर के पर तोलने लगी थी लेकिन है सही नही था
यदि प्यार से समझती तो हमारा जीवन भी आगे अच्छा चलता
आज के दौर में लड़किया किसी लड़के से शादी करने से पहले ये जानना चाहती हैं की लड़का कितना कमा रहा
लेकिन असल में किसी से शादी करने से पहले ये जानना जरूरी है की उसका चरित्र कैसा हैं
शादी जैसे बंधन को चलाने के लिए जरूरी है आपसी सहमति, समाजस्य और विश्वास लेकिन आज मेरी तरह सभी लड़कियां अपनी शादी में सबसे पहले ये देखती हैं की लड़का पैसा कितना कमा रहा है
एक अच्छा रिश्ता पैसे की दम पर नही चलता है।
मुझे ये बात तब समझ आए जब मैंने अपना रिश्ता खो दिया
किसी अमीर से 4 बात सुनने से बेहतर है की किसी कम आय वाले के साथ शादी कर के साथ खुश रहने में आनंद है
ये एक सत्य घटना है आप बताइए आप के हिसाब से क्या होना चजाइए

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आयरलैंड के खिलाफ मैच से पहले युवराज सिंह के साथ मस्ती करते किंग कोहली ❤️❤️

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लोकसभा चुनावों में पंजाब की जनता ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया, उससे ये साबित हो गया कि अब पंजाब भी मोदी के साथ खड़ा हुआ है l
मैं पंजाब की जनता के साथ साथ भाजपा कार्यकर्ताओं को उनकी मेहनत एवं लगन के लिए धन्यवाद करता हूं।
#punjabwithmodi

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जलालाबाद में एक युवक ने किया जीवन का अंत

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मेरी नानी ने पावन नगरी अयोध्या को हमेशा अजोध्याजी कहा! आज वेद वर्णित इस अयोध्याजी को गाली देने वाले सोचें क्या वास्तव में वो सनातनी हैं? मानव सभ्यता की प्रथम राजधानी है अयोध्याजी।

अयोध्या माहात्म्य पढ़िए, मन शांत होगा और अयोध्याजी भी समझ में आएंगी। महाविष्णु को सात पुरियों में सर्वाधिक प्रिय अयोध्याजी ही हैं। अयोध्याजी जागृत हैं। अतः पाप अपने सिर मत लें।

रूद्रयामल कहता है:-

कीदृशी सा सदा मेध्याऽयोध्या विष्णुप्रिया पुरी।
आद्या या गीयते वेदै: पुरीणां मुक्तिदायिका।।६।।

अर्थात्:- जो वेदो में गायी गयी है, जो सात पुरियों में अन्यतम मुक्ति देनेवाली है, जो महाविष्णु अवतार श्रीरामचन्द्र जी को अति प्रिय है और जो सभी अवस्थाओं में पवित्र है- ऐसी है वह आद्या पुरी।

यहां ध्यान दीजिए, अयोध्याजी को सभी अवस्थाओं में पवित्र कहा गया है। अतः WhatsApp वाले सारे मैसेज दुख में इधर-उधर शेयर करने वाले हिंदुओं को कहना चहता हूं कि मैं शास्त्रोक्त सप्रमाण से उनके सारे कुतर्क को काट सकता हूं, लेकिन इससे हिंदुओं में विभेद और बढ़ेगा, इसलिए मैं ऐसा नहीं करूंगा। अतः चेतनाशील बनें, न कि चेतनाशून्य!

हां, मैं सनातनी हिंदू हूं, कर्म और पाप-पुण्य को मानता हूं, इसलिए अयोध्याजी को कोसते हुए जिनके भी पोस्ट पर मेरी दृष्टि गई है, मैंने उन्हें अमित्र कर दिया है और यह आगे भी जारी रहेगा। मैं इस पाप में भागी नहीं बनना चाहता, ऐसे लोगों को मित्रता सूची में रख कर। अतः ऐसे कदम उठाने के लिए मुझे क्षमा करें। 🙏

चुनाव है। हार-जीत चलती रहती है, परंतु उसके लिए अपने आराध्य प्रभु श्रीराम और उनकी प्यारी नगरी को कोसना आपको विधर्मियों की श्रेणी में रख रहा है। कर्म ही हमारे अगले जन्म का कारक है, अतः अपने कर्म न बिगाड़ें। पार्टीवादी या व्यक्तिवादी चुनावी हिन्दू नहीं, सनातनी हिंदू बनिए। वही शाश्वत है।

निम्न लिंक से अयोध्या-माहात्म्य मंगवा कर पढ़िए। इसमें स्कंद पुराण का वह श्लोक भी मिलेगा, जिससे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अयोध्याजी में श्रीरामजन्म भूमि सिद्ध हुई हैं! मन शांत रखिए और पढ़िए। पढ़ना सारी पीड़ा हर लेता है। जयश्री राम! जय अयोध्याजी।

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माननीय मुख्यमंत्री श्री MYogiAdityanath जी महाराज को जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं...

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