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जय सियाराम सुमंगल सुप्रभात प्रणाम बन्धु मित्रों। राम राम जी।
श्रीरामचरितमानस नित्य पाठ पोस्ट ३४८, बालकाण्ड दोहा ७२/१-४, पार्वती स्वप्न कि बात बता रही हैं।
करहि जाइ तपु सैलकुमारी।
नारद कहा सो सत्य बिचारी।।
मातु पितहि पुनि यह मत भावा।
तपु सुखप्रद दुख दोष नसावा।।
तप बल रचइ प्रपंचु बिधाता।
तपबल विष्णु सकल जग त्राता।।
तपबल संभु करहिं संघारा।
तपबल सेषु धरइ महिभारा।।
भावार्थ:- हे पार्वती नारदजी ने जो कहा है, उसे सत्य समझ कर तू जाकर तप कर। फिर यह बात तेर माता पिता को भी अच्छी लगी है। तप सुख देने वाला और दुःख - दोष का नाश करने वाला है। तप के बल से ब्रम्हा संसार को रचते हैं और तप के बल से ही विष्णु सारे जगत का पालन करते हैं, तप बल से शम्भु संहार करते हैं और तप के बल से शेषजी पृथ्वी का भार धारण करते हैं।