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श्री गणेशाय नमः अमृत भाग 916 प्रातः स्मरणीय संतो एवं प्रतिदिन इस अमृत रूपी मानसरोवर में सुन्दर हंस जैसे विहार करने वाले आप सभी आदरणीय को प्रभु श्रीराम का मन, कर्म एवं वचन से सेवक मानकर आपके चरणकमलोंमें मेरा एवं मेरे पुरे परिवार का कोटि -कोटि प्रणाम, आपका स्नेह रूपी आशीर्वाद हम सभी पर कल्पवृक्ष की छांव जैसा बना रहे तथा प्रभु के चरणों में हम सभी का नित्य नया प्रेमभाव पनपता रहे . जय जय कृपानिधान .
चिंता मत कीजिए, ये पिंजरे में बंद आपके बच्चे नहीं हैं...!
ये तो यजीदीयों के वो प्यारे बच्चे हैं जिनको उनकी आँखों के सामने आतंकवादियों के द्वारा जिंदा जलाया गया था। अभी तो आतंकवादियों को आप तक पहुँचने में शायद कुछ वर्ष लगें। तब तक आप आराम से रहिए, मौज करिए, खाइए, पैसा कमाईए, घूमने जाइए, ऐश का जीवन व्यतीत करिए।
चलिए कम से कम कुछ वर्ष तो आप आराम से जी ही पायेंगे...!
उसके बाद...!!
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उसके बाद!! अल्लाह हू अकबर के नारे लगाता एक नरपिशाचों का स्मूह आपके घर की ओर बढ़ेगा। और देखते ही देखते आपके घरों का सामान लूटेगा, आपके छोटे छोटे बच्चों को जिंदा जलायेगा, आपके घर की महिलाओं और लड़कियों को दस दस नरपिशाच मिलकर सामूहिक बलात्कार करके सड़कों पर हलाल करेंगे, आपके घर के घर उजाड़ दिए जायेंगे... वही घर जो आपने बड़े परिश्रम से पाई पाई जोड़कर बनाया था...!
क्यों?? क्या हुआ?? सच्चाई सहन नहीं हो रही? बहुत डर लग रहा है क्या ये सुनकर??
सोचो, जब रातों रात पाकिस्तान बना तो देश के तीन टुकड़े हो गए थे। 14 अगस्त तक लोगों को बिलकुल भी नहीं पता था कि क्या होने वाला है!!! वे लोग बेसुध अपनी अपनी दुनियादारी पर चल रहे थे। लेकिन यकायक एक शैतानी भीड़ चील कौओं और कुत्तों की तरह टूट पड़ी, वो भी मज़हब के नाम पर। देश में स्थान स्थान पर कर्फ्यू लगा लाखों बच्चों को पका पका कर खाया गया उसी शैतानी भीड़ के द्वारा। सोचो क्या दोष था उन बच्चों का? क्या कोई बता सकता है? नहीं न!!
तो सोचो तुम्हारा क्या दोष है? या तुम्हारे बच्चों का क्या दोष है? जिन्होने कभी किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा.? ठीक है न? इन यजीदी बच्चों का भी कोई दोष न था। इन्होंने भी किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा था। बस दोष तो ये था कि ये लोग नरपिशाचों के एक खास मज़हब को नहीं मानते थे। (मानते होते तो कौन सा जीवित बच जाते) बस यही तुम्हारा और तुम्हारे बच्चों का दोष है!
क्या कहा?? अब तुम उस मज़हब को अपनाओगे? तांकि तुम और तुम्हारा परिवार सुरक्षित रह सके!? तो यदि ऐसा करोगे तो क्या तुम फिर भी बच जाओगे? अरे इनमें से किसी एक ही फिरके को अपनाओगे न!? तो दूसरे फिरके के तो अपने आप दुश्मन हो गए!? फिर तुम्हारा खेल समाप्त!!
बचना चाहते हो तो स्वयं सैन्य प्रशीक्षण लो और अपने पूरे परिवार में एक एक व्यक्ति को सैन्य प्रशीक्षण दो। मरना ही है तो लड़कर मरो। अरे कम से कम तुम्हारे जीवित बचने के आसार तो होंगे न। अगर नहीं लड़ोगे फिर तो पक्का ही मरोगे...! सुनो! जंगल का नियम है ताकतवर ही कायर को मारकर खा जाता है। यदि जीवित रहने की इच्छा हो तो ताकतवर बनकर रहो। नहीं तो रो रोकर मर जाओ...
तुम यदि ये सोचते हो कि प्रशासन के आँचल में छुपकर तुम बच जाओगे तो सुनो ये प्रशासन तब नपुंसक बनकर देखता रहेगा। ये तुम्हारे बड़े बड़े नेता सब पूरी तैयारी के साथ विदेशों में सैर करने चले जायेंगे।
तुमको तुम्हारे परिवारों की रक्षा करने का पूरा अधिकार है। जागो, और आज से ही व्यायाम, कुश्ती, कबड्डी, जूडो, कराटे, तलावारबाजी, गतका, कलारीपट्ट्यम्, तीरअंदाजी, शूटिंग आदि सीखना चालू करो, अपने लिए दिन में समय निकालो। ये कोई तुम्हारा शौंक नहीं बल्कि तुम्हारा कर्तव्य है जिसे तुमको पूरा करना ही है। हर हाल में करना है...