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जय सियाराम सुमंगल सुप्रभात प्रणाम बन्धु मित्रों। राम राम जी।
श्रीरामचरितमानस नित्य पाठ।। पोस्ट३१८, बालकाण्ड दोहा ६२/१-४, सती का दक्ष यज्ञ में जाना।
पिता भवन जब गईं भवानी।
दच्छ त्रास काहुॅं न सनमानी।।
सादर भलेहिं मिली एक माता।
भगिनीं मिलीं बहुत मुसुकाता।।
दच्छ न कछु पूछी कुसलाता।
सतिहि बिलोकि जरें सब गाता।।
सतीं जाइ देखेउ सब जागा।
कतहुॅं न दीख संभु कर भागा।
भावार्थ:- भवानी जब पिता दक्ष के घर पहुॅंचीं, तब दक्ष के डर के मारे किसी ने उसकी आवभगत नही की, केवल एक माता भले ही आदर से मिली।बहिंने बहुत मुस्कराती हुईं मिली। दक्ष ने तो सती की कुशलता भी नही पूछी, सती को देखकर उल्टे उनके सारे अंग जल उठे। तब सती ने जाकर यज्ञ को देखा तो वहाॅं कहीं शिवजी का भाग दिखायी नही दिया।