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जिंदगी और मौत के बीच के कुछ पल कभी-कभी रिश्तों को पहले से भी गहरा बना देते हैं। ऐसा ही दृश्य मवई चौराहे के पास उस समय देखने को मिला, जब रुदौली तहसील के बैतौली गांव निवासी उमाशंकर अवस्थी अपनी पत्नी को बाइक पर बैठाकर लखनऊ से घर लौट रहे थे। रास्ते में अचानक उनकी बाइक शारदा सहायक नहर में जा गिरी।
सौभाग्य से दोनों सुरक्षित बाहर निकल आए, लेकिन उस पल की घबराहट ने सबको भावुक कर दिया। पत्नी रोते-सिसकते अपने पति से लिपट गई, जैसे किसी बड़ी चूक पर पछता रही हो। पति उसकी पीठ सहलाते हुए बार-बार यही भरोसा दिला रहा था – “कोई बात नहीं…हम दोनों ठीक हैं, ऊपरवाले का लाख-लाख शुक्र है।”
यह दृश्य देखकर वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम हो गईं। मानो सबके मन में यही भाव गूंज रहा हो – “जाको राखे सइयां, मार सके न कोई।”
जिंदगी और मौत के बीच के कुछ पल कभी-कभी रिश्तों को पहले से भी गहरा बना देते हैं। ऐसा ही दृश्य मवई चौराहे के पास उस समय देखने को मिला, जब रुदौली तहसील के बैतौली गांव निवासी उमाशंकर अवस्थी अपनी पत्नी को बाइक पर बैठाकर लखनऊ से घर लौट रहे थे। रास्ते में अचानक उनकी बाइक शारदा सहायक नहर में जा गिरी।
सौभाग्य से दोनों सुरक्षित बाहर निकल आए, लेकिन उस पल की घबराहट ने सबको भावुक कर दिया। पत्नी रोते-सिसकते अपने पति से लिपट गई, जैसे किसी बड़ी चूक पर पछता रही हो। पति उसकी पीठ सहलाते हुए बार-बार यही भरोसा दिला रहा था – “कोई बात नहीं…हम दोनों ठीक हैं, ऊपरवाले का लाख-लाख शुक्र है।”
यह दृश्य देखकर वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम हो गईं। मानो सबके मन में यही भाव गूंज रहा हो – “जाको राखे सइयां, मार सके न कोई।”