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सुनील शेट्टी की कहानी सिर्फ एक सफल अभिनेता की नहीं, बल्कि एक आदर्श बेटे की भी है। उन्होंने अपने संघर्षों और मेहनत के दम पर बॉलीवुड में एक अलग पहचान बनाई। लेकिन जो बात उन्हें औरों से अलग बनाती है, वो है उनका अपने पिता के प्रति प्रेम और सम्मान।
सुनील शेट्टी के पिता वीरपा शेट्टी कभी एक साधारण सफाई कर्मचारी थे। मुंबई के एक छोटे से होटल में वह साफ-सफाई और छोटे मोटे काम करते थे। उन्होंने दिन-रात मेहनत की ताकि उनके बच्चों को अच्छा भविष्य मिल सके। सुनील ने बचपन में अपने पिता की मेहनत और संघर्ष को करीब से देखा और ठान लिया कि एक दिन कुछ ऐसा करेंगे जिससे उनके पिता का सिर गर्व से ऊंचा हो।
वक़्त बदला, सुनील शेट्टी ने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा और अपनी दमदार एक्टिंग से सबका दिल जीत लिया। जब उनके पास पर्याप्त पैसा और संसाधन हुए, तो उन्होंने उसी होटल को खरीद लिया जिसमें उनके पिता कभी सफाई किया करते थे। और वह होटल उन्होंने अपने पिता को तोहफे में दे दिया।
यह घटना सिर्फ एक होटल खरीदने की नहीं है, बल्कि एक बेटे की तरफ से अपने पिता को दिए गए सम्मान, प्यार और आभार की मिसाल है। सुनील शेट्टी की यह भावुक और प्रेरणादायक कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्ची कामयाबी वही होती है जिसमें हम अपने माता-पिता के सपनों को पूरा कर सकें।
वाकई, जिंदगी में बस इतना ही कामयाब होना है — कि हम उन्हें गर्व महसूस करा सकें, जिन्होंने हमारे लिए सब कुछ सहा। सुनील शेट्टी को सलाम, और उनके पिता को हमारा नमन।
छत्रपती शिवाजी महाराज यांना मानाचा मुजरा 🚩🚩🚩
सर्वांना शिवराज्याभिषेक दिनाच्या हार्दिक शुभेच्छा!
#शिवराज्याभिषेकसोहळा2025
जिस 1000 साल पुराने विशालगढ़ किले किले से छत्रपति शिवाजी महाराज ने बनाया ‘हिन्दवी साम्राज्य’,
वहाँ होगी बकरों की कुर्बानी:
महाराष्ट्र सरकार और ASI के विरोध के बाद भी हाईकोर्ट नहीं माना,
मुस्लिमों से कह दिया कि जाओ और बकरीद पर बकरे काटो,
प्रशासन ने कहा था कि-
विशालगढ़ किला एक संरक्षित स्मारक है
महाराष्ट्र प्राचीन स्मारक और पुरातत्व अधिनियम 1962 के मुताबिक ऐसे स्थलों पर खाना पकाना और खाना परोसना भी प्रतिबंधित है।
प्रशासन ने जानवरों की कुर्बानी को इस नियम का उल्लंघन बताया था।
जिस 1000 साल पुराने विशालगढ़ किले किले से छत्रपति शिवाजी महाराज ने बनाया ‘हिन्दवी साम्राज्य’,
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प्रशासन ने कहा था कि-
विशालगढ़ किला एक संरक्षित स्मारक है
महाराष्ट्र प्राचीन स्मारक और पुरातत्व अधिनियम 1962 के मुताबिक ऐसे स्थलों पर खाना पकाना और खाना परोसना भी प्रतिबंधित है।
प्रशासन ने जानवरों की कुर्बानी को इस नियम का उल्लंघन बताया था।
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महाराष्ट्र प्राचीन स्मारक और पुरातत्व अधिनियम 1962 के मुताबिक ऐसे स्थलों पर खाना पकाना और खाना परोसना भी प्रतिबंधित है।
प्रशासन ने जानवरों की कुर्बानी को इस नियम का उल्लंघन बताया था।