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जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं जीवन सगिनी आपके दिर्घायु एवं सफल एवं सुखमय जीवन की कामना ईश्वर से करता हूँ

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उसके बाद गन्ना एक दिन मौका अवध से भाग गई।महाराज जवाहर सिंह से फिर मिली परन्तु उस समय महाराज अपने पिता की मृत्यु के शोक में डूबे थे और दिल्ली से प्रतिशोध के लिए आक्रमण कर दिया था।तब महाराज ने गन्ना से असमर्थता जताई।गन्ना रूष्ट हो गयी और जवाहर सिंह से नाराज होकर ग्वालियर चली गयी।
वहां गन्ना सिख का भेष बनाकर रहने लगी।और गुनी सिंह नाम रख लिया।उसने महादजी सिंधिया के जासूस के रूप में काम किया। वह एक अच्छी यौद्धा भी थी उसने महादजी की एक दो युद्धों में महत्वपूर्ण सहायता भी की थी।वह एक अच्छी शायर भी थी।
एक दिन उसकी पोल खुल गयी।महादजी भी उनके हुस्न के मुरीद हो गए।परन्तु गन्ना सिर्फ जवाहर सिंह से प्रेम करती थी।इसलिए यहां भी बात न बन पाई। महादजी ने गन्ना की असली पहचान दुनिया के सामने नहीं खोली। और वह गुनी सिंह के रूप में ही काम करती रही।
एक दिन शिजाउदौला किसी मस्जिद में मीटिंग कर रहा था। तो जासूसी के लिए गन्ना वहां पहुंची परन्तु उसने उसे पहचान लिया और सैनिको को पकड़ने का आदेश दिया। गन्ना को पता था कि अब वह उसे पकड़ लेगा व अनेकों यातनाएं देगा। सलिये गन्ना ने अंगूठी में लगा हीरा चाट लिया और जवाहर सिंह के प्रेम में फनाह हो गयी।यह अंगूठी भी बताते हैं जवाहर सिंह की ही निशानी के तौर पर दी गयी थी।
महादजी ने भी अपना प्रेम निभाया और उसकी एक मजार बनवाई जो ग्वालियर से 35 km दूर नुराबाद में है।
उस पर उन्होंने गन्ना की मातृ भाषा फ़ारसी में "आह गम ए गन्ना" लिखवाया।
हिन्दू वीर शिरोमणि महाराज जवाहर सिंह के प्रेम में गन्ना श्रीकृष्ण की भक्त बन गयी थी क्योंकि कृष्ण भगवान महाराज के पूर्वज थे। वह हिन्दू बनने को भी तैयार थी।
परंतु जवाहर सिंह ने एक बेटे का फर्ज निभाया।जिस दौर में बेटा बाप को राज के लिए मार देता था उस दौर में उन्होंने पितृभक्ति दिखलाई।और वे अपने पिता की इतनी इज्जत करते थे कि उन्होंने कभी उनके सामने ये बात अपनी जुबान पर लाकर नहीं दिखलाई।महादजी ने भी अपने प्रेम का सम्मान किया व अपने राज्य में होते हुए भी गन्ना के साथ कोई धक्काशाही नहीं की। जबकि अवध के मुस्लिम नवाब ने उसे दासी की तरह रखने की कोशिश की।उसको यातनाएं भी दी। और उसके भय में उसे आत्म हत्या करनी पड़ी।उसके माता पिता ने भी उसे धक्के से दुराचारी लालची नवाब को एक तरिके से बेच दिया था।
यही फर्क हैं हमारी सनातन वैदिक हिन्दू संस्कृति और अरबी लुटेरों के संस्कारों में।
Jat king- Muslim Begum
हिन्दू वीर शिरोमणि महाराजा जवाहर सिंह
और आज जो बॉलीवुड के भांड लोग जोधा अकबर से फर्जी सीरियल बना रहे हैं वे इस हकीकत व इतने रॉयल राजाओ की और एक विश्व सुंदरी प्रेमकहानी पर क्यों चुप है जिसके पूरे तथ्य प्रमाण भी हैं।जिसमें रोचकता रॉयलिटी संस्कार हीरो विलेन सब हैं।
जय हिन्दू वीर शिरोमणि महाराजा जवाहर सिंह।
जय महाराजा सूरजमल।

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