Scoprire messaggiEsplora contenuti accattivanti e prospettive diverse nella nostra pagina Scopri. Scopri nuove idee e partecipa a conversazioni significative
तन पर साड़ी, माथे पर कुंकुम और गले में मंगलसूत्र पहने ये महिलाएं कोई गरीब ,गंवार, कृषक या घरेलू कामवाली बाईयां नहीं बल्कि इसरो की वैज्ञानिक हैं जिन्होंने हाल में ही चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया।🚩🙏
महिलाओं की आजादी के नाम पर पिछले कुछ सालों में टी-शर्ट, जींस और बरमूडा पहनने का चलन आम हो गया है, जिसका खोखलापन इन महिला वैज्ञानिकों ने दिखाया है। इन्हीं वैज्ञानिकों ने पिछले दिनों चंद्रयान के प्रक्षेपण से पहले बालाजी के दर्शन किये थे!
यह तस्वीर इस बात का अच्छा उदाहरण है कि संस्कृति कभी भी प्रौद्योगिकी के आड़े नहीं आती। दूसरी ओर, कुछ लोग अल्प ज्ञानी होते हैं और अपनी आत्म-प्रशंसा के लिए धर्म, पूजा और अंतिम संस्कार को अंधविश्वास बताते हैं।
कुछ लोग अपने अहंकार को संतुष्ट करने के लिए अंधश्रद्धा निर्मूलन का झुनझुना बजाते हैं, तो कुछ लोग खुद को बहुत बड़ा वैज्ञानिक होने का दिखावा करते रहते हैं। परन्तु वास्तव में ऐसे लोगों को विज्ञान का सामान्य ज्ञान भी नहीं होता;
Durgesh Prasun "Bickey" 🚩
👍👌💐💐जय हिंद 🇮🇳🇮🇳🇮🇳
तन पर साड़ी, माथे पर कुंकुम और गले में मंगलसूत्र पहने ये महिलाएं कोई गरीब ,गंवार, कृषक या घरेलू कामवाली बाईयां नहीं बल्कि इसरो की वैज्ञानिक हैं जिन्होंने हाल में ही चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया।🚩🙏
महिलाओं की आजादी के नाम पर पिछले कुछ सालों में टी-शर्ट, जींस और बरमूडा पहनने का चलन आम हो गया है, जिसका खोखलापन इन महिला वैज्ञानिकों ने दिखाया है। इन्हीं वैज्ञानिकों ने पिछले दिनों चंद्रयान के प्रक्षेपण से पहले बालाजी के दर्शन किये थे!
यह तस्वीर इस बात का अच्छा उदाहरण है कि संस्कृति कभी भी प्रौद्योगिकी के आड़े नहीं आती। दूसरी ओर, कुछ लोग अल्प ज्ञानी होते हैं और अपनी आत्म-प्रशंसा के लिए धर्म, पूजा और अंतिम संस्कार को अंधविश्वास बताते हैं।
कुछ लोग अपने अहंकार को संतुष्ट करने के लिए अंधश्रद्धा निर्मूलन का झुनझुना बजाते हैं, तो कुछ लोग खुद को बहुत बड़ा वैज्ञानिक होने का दिखावा करते रहते हैं। परन्तु वास्तव में ऐसे लोगों को विज्ञान का सामान्य ज्ञान भी नहीं होता;
Durgesh Prasun "Bickey" 🚩
👍👌💐💐जय हिंद 🇮🇳🇮🇳🇮🇳
तन पर साड़ी, माथे पर कुंकुम और गले में मंगलसूत्र पहने ये महिलाएं कोई गरीब ,गंवार, कृषक या घरेलू कामवाली बाईयां नहीं बल्कि इसरो की वैज्ञानिक हैं जिन्होंने हाल में ही चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया।🚩🙏
महिलाओं की आजादी के नाम पर पिछले कुछ सालों में टी-शर्ट, जींस और बरमूडा पहनने का चलन आम हो गया है, जिसका खोखलापन इन महिला वैज्ञानिकों ने दिखाया है। इन्हीं वैज्ञानिकों ने पिछले दिनों चंद्रयान के प्रक्षेपण से पहले बालाजी के दर्शन किये थे!
यह तस्वीर इस बात का अच्छा उदाहरण है कि संस्कृति कभी भी प्रौद्योगिकी के आड़े नहीं आती। दूसरी ओर, कुछ लोग अल्प ज्ञानी होते हैं और अपनी आत्म-प्रशंसा के लिए धर्म, पूजा और अंतिम संस्कार को अंधविश्वास बताते हैं।
कुछ लोग अपने अहंकार को संतुष्ट करने के लिए अंधश्रद्धा निर्मूलन का झुनझुना बजाते हैं, तो कुछ लोग खुद को बहुत बड़ा वैज्ञानिक होने का दिखावा करते रहते हैं। परन्तु वास्तव में ऐसे लोगों को विज्ञान का सामान्य ज्ञान भी नहीं होता;
Durgesh Prasun "Bickey" 🚩
👍👌💐💐जय हिंद 🇮🇳🇮🇳🇮🇳
प्रोड्यूसर को थी 25 हजार की जरूरत, किस्मत से हाथ लगा 10 लाख का चेक, साबित हुई युद्ध पर बनी कालजयी फिल्म
फिल्मों को हकीकत का आइना कहा जाता है. हिंदी सिनेमा में कई ऐसी फिल्में बनाई जा चुकी हैं जिन्होंने वास्तविक कहानियों को पर्दे पर बेहद खूबसूरती से परोसा. ऐसी फिल्में आज भी बनती हैं तो दर्शकों के दिल में घर कर जाती हैं. साल 1964 में आई देवानंद के बड़े भाई फिल्म निर्माता चेतन आनंद की फिल्म 'हकीकत' भी एक ऐसी ही फिल्म थी. इस फिल्म को बनाने के एक पीछे एक बेहद दिलचस्प कहानी है. फाइनेंसर ने भी इस फिल्म में पैसा लगाने से मना कर दिया था. लेकिन बाद में चेतन ने कैसे इस फिल्म का फिल्म बनाया. आइए जानते हैं.
पहले फिल्मों को हिट कराने के लिए मजबूत स्क्रिप्ट, अच्छा अभिनय और निर्देशन कौशल ही फिल्म को कामयाब बनाने का एक सरल तरीका हुआ करता था. इन सब के आधार पर साल 1964 में धर्मेंद्र और बलराज साहनी स्टारर फिल्म ‘हकीकत’ बनाई गई थी. देवानंद के बड़े भाई फिल्म निर्माता चेतन आनंद की इस फिल्म को भारतीय सिनेमा में युद्ध पर बनी सबसे कालजयी फिल्म माना जाता है. इस फिल्म को बनाने से पहले चेतन आनंद महज 25 हजार रुपए ना होने को लेकर काफी परेशान थे लेकिन बाद में कुछ ऐसा हुआ कि उनके हाथ में सीधा दस लाख का चैक आ गया था.
बात उस दौर की जब चेतन आनंद इस फिल्म को बनाने की तैयारी में थे और उनके पास फिल्म के लिए 25 हजार रुपए कम पड़ रहे थे. कोई फाइनेंसर भी मदद के लिए तैयार नहीं था. चेतन आनंद की पत्नी उमा की एक सहेली ने बताया कि उनके मामा प्रताप सिंह कैरो पंजाब के मुख्यमंत्री हैं, हम उनसे मदद ले सकते हैं…अगले दिन चेतन आनंद मुख्यमंत्री कैरो के सामने थे और मदद की गुहार लगा रहे थे. उन्होंने चेतन को 1962 के चीन युद्ध में पंजाब के शहीद हुए जवान पर फिल्म बनाने का आईडिया दिया. इसके बाद चेतन ने ‘हकीकत’ की कहानी उन्हें सुनाई और मुख्यमंत्री ने पंजाब के वित्त सचिव को आदेश दिया कि इन्हें 10 लाख रुपए का चैक दे दो. कहां वह 25 हजार के लिए तरस रहे थे और मिल गए दस लाख रुपए.
#हकीकत
#chetananand
#reviewology