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shira joy Erstellt neuen Artikel
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Washed out the MetaMask extension mistakenly? – rectify it | #metamask extension

Edna Lucero Erstellt neuen Artikel
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Khỏe 247 giải đáp U xơ tử cung khi nào cần mổ? | #health

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सन 1680 में औरंगजेब को समझ आ चुका था कि शिवाजी को रोकने उसे स्वयं ही दक्खन जाना होगा। पांच लाख की विशाल फौज लेकर वह दक्खन की ओर निकला और उसके वहां पहुंचने के पहले ही छत्रपति की मृत्यु हो गई।
औरंगजेब को लगा अब तो मराठों को पराजित करना अत्यंत आसान होगा।
परन्तु छत्रपति सम्भाजी ने 1689 तक उसे जीतने नहीं दिया। अपनो की दगाबाजी की वजह से छत्रपति सम्भाजी पकड़े गए और औरंगजेब ने अत्यन्त क्रूर और वीभत्स तरीके से उनकी हत्या करवा दी।
अब छत्रपति बने राजाराम मात्र 20 वर्ष के थे और औरंगजेब के अनुभव के सामने कच्चे थे। एकबार फिर उसे दक्खन अपनी मुट्ठी में नज़र आने लगा था।
यहीं से इतिहास यह बताता है कि छत्रपति शिवाजी ने किस आक्रामक संस्कृति की नींव डाली थी। हताश हो कर हथियार डालने के बजाय संताजी घोरपड़े और धनाजी जाधव के नेतृत्व में राजाराम को छत्रपति बना कर संघर्ष जारी रहा।
सन 1700 में छत्रपति राजाराम भी मारे गए।
अब उनके दो साल के पुत्र को छत्रपति मान कर उनकी विधवा ताराबाई, जो कि छत्रपति शिवाजी के सेनापति हंबीराव मोहिते की बेटी थी, आगे आई और प्रखर संघर्ष जारी रहा। समय पड़ने पर ताराबाई स्वयं भी युद्ध के मैदान में उतरी।
संताजी और धनाजी ने मुगल सम्राट की नींद हराम कर दी।
कभी सेना के पिछले हिस्से पर, कभी उनकी रसद पर तो कभी उनके साथ चलने वाले तोपखाने के गोला बारूद पर हमले कर मराठों ने मुगलों को बेजार कर दिया। सब लोग इस खौफ में ही रहते थे कि कब मराठे किस दिशा से आएंगे और कितना नुकसान कर जायेंगे।
एक बार संताजी और उनके दो हजार सैनिकों ने सर्जिकल स्ट्राइक की तर्ज पर रात में औरंगजेब की छावनी पर हमला बोल दिया और औरंगजेब के निजी तंबू की रस्सियां काट दी। तंबू के अंदर के सभी लोग मारे गए। परन्तु संयोग से उस रात औरंगजेब अपने तंबू में नहीं था इसलिए बच गया।
27 साल मुगलों का सम्राट, महाराष्ट्र के जंगलों में छावनियां लगा कर भटकता रहा। रोज यह भय लेकर सोना पड़ता था कि मराठों का आक्रमण न हो जाए।
27 साल कुछ हजार मराठे लाखों मुगलों से लोहा भी ले रहे थे और उन्हें नाकों चने भी चबवा रहे थे। 27 वर्ष सम्राट अपनी राजधानी से दूर था। लाखों रुपए सेना के इस अभियान पर खर्च हो रहे थे। मुगलिया राज दिवालिया हो रहा था। अन्तत: सन 1707 में औरंगजेब की मृत्यु हो गई। 27 वर्षों के सतत युद्ध और संघर्ष के बाद भी मराठों ने घुटने नहीं टेके। छत्रपति के दिए लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हजारों मराठे कट गए।
यह इतिहास भी कहां पढ़ाया जाता है?
कितने लोग है जिन्हें ताराबाई, संताजी और धनाजी के नाम भी मालूम है, पराक्रम तो छोड़ ही दीजिए?

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Edna Lucero hat ihr Profilbild geändert
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