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वक़्त कब किसका पलट जाए कोई नहीं जानता..वक़्त फ़िल्म का एक डायलाॅग है...
..फिल्मी दुनिया में ये कारनामे अक्सर होते रहते हैं इनमें एक क़िस्सा एक घर का भी है जो अपने आप में इतिहास है
मेरठ से आया एक नौजवान जब बैजू बावरा में तू गंगा की मौज मैं जमुना की धार गीत अपने लहलारते बालों से गाता है तो फ़िल्मी दुनिया में तहलका मचा जाता है और रातों रात स्टार बन जाता है.. मैं भारत भूषण की बात कर रहा हूँ..भारत भूषण जब बुलंदियो पर थे तो बांद्रा मे एक बंगला खरीदा.. सामने समंदर की लहरें और हवाएं..
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पूर्वांचल में भेड़िया को हुणार कहा जाता है । हुणार शब्द की व्युत्पति हूण शब्द से हुआ है । हूण एक बर्बर जाति थी , जो कि बहुत लड़ाकू थे । वे जिस देश पर आक्रमण करते थे , उस देश का समूल विनाश करके छोड़ते थे । वे उस देश के बच्चों तक को भी जीवित नहीं छोड़ते थे । उन्हें भी मार देते थे । भेड़िया भी बच्चों को उठाकर ले जाते थे । इसलिए पूर्वांचल में भेड़िए हुणार कहे जाने लगे । माताएं रोते हुए बच्चों को चुप कराने के लिए कहा करतीं थीं – चुप हो जाओ , बरना हुणार आ जाएगा ।
गाजीपुर जनपद में गाजीपु
ब्राह्मणों के क्रोध कुलधरा के 85 गांव आज भी वीरान हे
कुलधरा - ब्राह्मणों के क्रोध का प्रतीक जहां आज भी लोग जाने से डरते हैं।
राजस्थान के जैसलमेर शहर से 18 किमी दूर स्थित कुलधरा गाव आज से 500 साल पहले 600 घरो और 85 गावो का पालीवाल ब्रह्मिनो का साम्राज्य ऐसा राज्य था जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती हे...
रेगिस्तान के बंजर धोरो में पानी नहीं मिलता वहा पालीवाल ब्रह्मिनो ने ऐसा चमत्कार किया जो इंसानी दिमाग से बहुत परे थी.
उन्होंने जमीन पे उपलब्ध पानी का प्रयोग नहीं किया,न बारिश के पानी को संग्रहित किया बल्कि रेगिस्तान के मिटटी में मोजूद पानी के कण को खोजा और अपना गाव जिप्सम की सतह के ऊपर बनाया,उन्होंने उस समय जिप्सम की जमीन खोजी ताकि बारिश का पानी जमीन सोखे नहीं.
और आवाज के लिए गाव ऐसा बंसाया की दूर से अगर दुश्मन आये तो उसकी आवाज उससे 4 गुना पहले गाव के भीतर आ जाती थी.
हर घर के बीच में आवाज का ऐसा मेल था जेसे आज के समय में टेलीफोन होते हे.
जैसलमेर के दीवान और राजा को ये बात हजम नहीं हुई की ब्राह्मण इतने आधुनिक तरीके से खेती करके अपना जीवन यापन कर सकते हे तो उन्होंने खेती पर कर लगा दिया पर पालीवाल ब्रह्मिनो ने कर देने से मना कर दिया.
उसके बाद दीवान सलीम सिंह को गाव के मुख्या की बेटी पसंद आ गयी तो उसने कह दिया या तो बेटी दीवान को दे दो या सजा भुगतने के लिए तयार रहे.
ब्रह्मिनो को अपने आत्मसम्मान से समझोता बिलकुल बर्दास्त नहीं था इसलिए रातो रात 85 गावो की एक महापंच्यात बेठी और निर्णय हुआ की रातो रात कुलधरा खाली करके वो चले जायेंगे.
रातो रात 85 गाव के ब्राह्मण कहा गए केसे गए और कब गए इस चीज का पता आजतक नहीं लगा.पर जाते जाते पालीवाल ब्राह्मण शाप दे गए की ये कुलधरा हमेसा वीरान रहेगा इस जमीन पे कोई फिर से आके नहीं बस पायेगा.
आज भी जैसलमेर में जो तापमान रहता हे गर्मी हो या सर्दी,कुलधरा गाव में आते ही तापमान में 4 डिग्री की बढ़ोतरी हो जाती हे.विज्ञानिको की टीम जब पहुची तो उनके मशीनो में आवाज और तरगो की रिकॉर्डिंग हुई जिससे ये पता चलता हे की कुलधरा में आज भी कुछ शक्तिया मोजूद हे जो इस गाव में किसी को रहने नहीं देती.मशीनो में रिकॉर्ड तरंग ये बताती हे की वहा मोजूद शक्तिया कुछ संकेत देती हे.
आज भी कुलधरा गाव की सीमा में आते हे मोबाइल नेटवर्क और रेडियो कम करना बंद कर देते हे पर जेसे ही गाव की सीमा से बाहर आते हे मोबाइल और रेडियो शुरू हो जाते हे..
आज भी कुलधरा शाम होते ही खाली हो जाता हे और कोई इन्सान वहा जाने की हिम्मत नहीं करता.जैसलमेर जब भी जाना हो तो कुलधरा जरुर जाए.
ब्राह्मण के क्रोध और आत्मसम्मान का प्रतीक हे कुलधरा.