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Nucleic Acid Labeling Market Revenue Trends, Company Profiles, Revenue Share Analysis, 2022–2032 | #nucleic Acid Labeling Market # Nucleic Acid Labeling Industry # Nucleic Acid Labeling Market size # Nucleic Acid Labeling Market share # Nucleic Acid Labeling Market trend # Nucleic Acid Labeling Market forecast

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ब्रिटिश भारत में पहली बार सन 1832 में, एक रेलवे प्रणाली स्थापित करने का विचार प्रस्तावित किया गया था. उस समय, ब्रिटेन में रेल यात्रा अपनी प्रारंभिक अवस्था में था, लेकिन ईस्ट इंडिया कंपनी एक व्यापक रेल नेटवर्क विकसित करने के लाभों को अच्छी तरह से जानती थी. एक लंबे दशक की निष्क्रियता के बाद, 1844 में भारत के गवर्नर-जनरल लॉर्ड हार्डिंग द्वारा निजी उद्यमियों को एक रेल प्रणाली स्थापित करने की अनुमति दी गई. वर्ष 1845 तक दो कंपनियों का गठन किया गया था, जिसका नाम "ईस्ट इंडियन रेलवे कंपनी" और "ग्रेट इंडियन पेनिनसुला" रेलवे था.
16 अप्रैल 1853 को, भारत में पहली ट्रेन बोरी बंदर, बॉम्बे या मुंबई और ठाणे के बीच लगभग 34 किमी की दूरी पर चली थी. वर्ष 1880 में बॉम्बे, मद्रास और कलकत्ता के तीन प्रमुख बंदरगाह शहरों के आसपास लगभग 14,500 किलोमीटर का रेलवे नेटवर्क विकसित किया गया था. 1901 में, वाणिज्य और उद्योग विभाग के मार्गदर्शन में रेलवे बोर्ड का गठन किया गया. आइए डालते हैं भारत में रेलवे के विकास के कालक्रम पर एक नज़र -
भारत में रेलवे का इतिहास
औद्योगिक रेलवे (1832 -1852)
सन 1832 में भारत में रेलवे का प्रस्ताव सबसे पहले मद्रास में दिया गया था. लेकिन तब यह सपना कागजों पर ही रह गया था.
सन 1835-36 में मद्रास के निकट चिंताद्रिपेट में एक प्रायोगिक रेलवे लाइन जो छोटी थी, का निर्माण किया गया जो बाद में रेड हिल रेलमार्ग बन गया.
सन 1873 में रेड हिल रेलवे नाम की देश की पहली ट्रेन रेड हिल्स से मद्रास के चिंताद्रिपेट ब्रिज तक चली थी. इसे एक रोटरी स्टीम लोकोमोटिव इंजन द्वारा खींचा गया था. इसका इंजन इंजीनियर विलियम एवरी और इंजीनियर आर्थर कॉटन द्वारा निर्मित किया गया था. तब रेलवे का उपयोग मुख्य रूप से ग्रेनाइट पत्थर के परिवहन के लिए किया जाता था.
सन 1840 के दशक में भारत में रेलवे के लिए कई प्रस्ताव पास हुए मुख्य रूप से कलकत्ता (ईआईआर) और बॉम्बे (जीआईपीआर) के आसपास.
सन 1844 में आर मैकडोनाल्ड स्टीफेंसन की रिपोर्ट प्रकाशित हुई - "ब्रिटिश भारत में रेलवे के परिचय की व्यावहारिकता और लाभ पर रिपोर्ट."
सन 1845 में राजमुंदरी के पास गोदावरी बांध निर्माण रेलवे राजमुंदरी के दोलेश्वरम में बनाया गया था. इसे भी आर्थर कॉटन ने बनवाया था.
8 मई सन 1845 में मद्रास रेलवे को शामिल किया गया था, उसके बाद उस वर्ष ईस्ट इंडिया रेलवे को शामिल किया गया था.
1 अगस्त सन 1849 को ग्रेट इंडियन पेनिन्सुलर रेलवे (GIPR) को संसद के एक अधिनियम द्वारा शामिल किया गया था.
17 अगस्त सन 1849 को "गारंटी प्रणाली" को नि:शुल्क भूमि प्रदान करने के लिए अंतिम रूप दिया गया था और निजी ब्रिटिश कंपनियों को वापसी की गारंटी पांच प्रतिशत की दर से दी गई थी, जो रेलवे का निर्माण करने के इच्छुक थे.
सन 1851 में लोकोमोटिव थॉमसन का उपयोग रुड़की में निर्माण कार्य के लिए किया गया था जो 22 दिसंबर को शुरू हुआ.
सन 1852 में मद्रास गारंटीड रेलवे कंपनी का गठन किया गया था.

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ब्रिटिश भारत में पहली बार सन 1832 में, एक रेलवे प्रणाली स्थापित करने का विचार प्रस्तावित किया गया था. उस समय, ब्रिटेन में रेल यात्रा अपनी प्रारंभिक अवस्था में था, लेकिन ईस्ट इंडिया कंपनी एक व्यापक रेल नेटवर्क विकसित करने के लाभों को अच्छी तरह से जानती थी. एक लंबे दशक की निष्क्रियता के बाद, 1844 में भारत के गवर्नर-जनरल लॉर्ड हार्डिंग द्वारा निजी उद्यमियों को एक रेल प्रणाली स्थापित करने की अनुमति दी गई. वर्ष 1845 तक दो कंपनियों का गठन किया गया था, जिसका नाम "ईस्ट इंडियन रेलवे कंपनी" और "ग्रेट इंडियन पेनिनसुला" रेलवे था.
16 अप्रैल 1853 को, भारत में पहली ट्रेन बोरी बंदर, बॉम्बे या मुंबई और ठाणे के बीच लगभग 34 किमी की दूरी पर चली थी. वर्ष 1880 में बॉम्बे, मद्रास और कलकत्ता के तीन प्रमुख बंदरगाह शहरों के आसपास लगभग 14,500 किलोमीटर का रेलवे नेटवर्क विकसित किया गया था. 1901 में, वाणिज्य और उद्योग विभाग के मार्गदर्शन में रेलवे बोर्ड का गठन किया गया. आइए डालते हैं भारत में रेलवे के विकास के कालक्रम पर एक नज़र -
भारत में रेलवे का इतिहास
औद्योगिक रेलवे (1832 -1852)
सन 1832 में भारत में रेलवे का प्रस्ताव सबसे पहले मद्रास में दिया गया था. लेकिन तब यह सपना कागजों पर ही रह गया था.
सन 1835-36 में मद्रास के निकट चिंताद्रिपेट में एक प्रायोगिक रेलवे लाइन जो छोटी थी, का निर्माण किया गया जो बाद में रेड हिल रेलमार्ग बन गया.
सन 1873 में रेड हिल रेलवे नाम की देश की पहली ट्रेन रेड हिल्स से मद्रास के चिंताद्रिपेट ब्रिज तक चली थी. इसे एक रोटरी स्टीम लोकोमोटिव इंजन द्वारा खींचा गया था. इसका इंजन इंजीनियर विलियम एवरी और इंजीनियर आर्थर कॉटन द्वारा निर्मित किया गया था. तब रेलवे का उपयोग मुख्य रूप से ग्रेनाइट पत्थर के परिवहन के लिए किया जाता था.
सन 1840 के दशक में भारत में रेलवे के लिए कई प्रस्ताव पास हुए मुख्य रूप से कलकत्ता (ईआईआर) और बॉम्बे (जीआईपीआर) के आसपास.
सन 1844 में आर मैकडोनाल्ड स्टीफेंसन की रिपोर्ट प्रकाशित हुई - "ब्रिटिश भारत में रेलवे के परिचय की व्यावहारिकता और लाभ पर रिपोर्ट."
सन 1845 में राजमुंदरी के पास गोदावरी बांध निर्माण रेलवे राजमुंदरी के दोलेश्वरम में बनाया गया था. इसे भी आर्थर कॉटन ने बनवाया था.
8 मई सन 1845 में मद्रास रेलवे को शामिल किया गया था, उसके बाद उस वर्ष ईस्ट इंडिया रेलवे को शामिल किया गया था.
1 अगस्त सन 1849 को ग्रेट इंडियन पेनिन्सुलर रेलवे (GIPR) को संसद के एक अधिनियम द्वारा शामिल किया गया था.
17 अगस्त सन 1849 को "गारंटी प्रणाली" को नि:शुल्क भूमि प्रदान करने के लिए अंतिम रूप दिया गया था और निजी ब्रिटिश कंपनियों को वापसी की गारंटी पांच प्रतिशत की दर से दी गई थी, जो रेलवे का निर्माण करने के इच्छुक थे.
सन 1851 में लोकोमोटिव थॉमसन का उपयोग रुड़की में निर्माण कार्य के लिए किया गया था जो 22 दिसंबर को शुरू हुआ.
सन 1852 में मद्रास गारंटीड रेलवे कंपनी का गठन किया गया था.

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ब्रिटिश भारत में पहली बार सन 1832 में, एक रेलवे प्रणाली स्थापित करने का विचार प्रस्तावित किया गया था. उस समय, ब्रिटेन में रेल यात्रा अपनी प्रारंभिक अवस्था में था, लेकिन ईस्ट इंडिया कंपनी एक व्यापक रेल नेटवर्क विकसित करने के लाभों को अच्छी तरह से जानती थी. एक लंबे दशक की निष्क्रियता के बाद, 1844 में भारत के गवर्नर-जनरल लॉर्ड हार्डिंग द्वारा निजी उद्यमियों को एक रेल प्रणाली स्थापित करने की अनुमति दी गई. वर्ष 1845 तक दो कंपनियों का गठन किया गया था, जिसका नाम "ईस्ट इंडियन रेलवे कंपनी" और "ग्रेट इंडियन पेनिनसुला" रेलवे था.
16 अप्रैल 1853 को, भारत में पहली ट्रेन बोरी बंदर, बॉम्बे या मुंबई और ठाणे के बीच लगभग 34 किमी की दूरी पर चली थी. वर्ष 1880 में बॉम्बे, मद्रास और कलकत्ता के तीन प्रमुख बंदरगाह शहरों के आसपास लगभग 14,500 किलोमीटर का रेलवे नेटवर्क विकसित किया गया था. 1901 में, वाणिज्य और उद्योग विभाग के मार्गदर्शन में रेलवे बोर्ड का गठन किया गया. आइए डालते हैं भारत में रेलवे के विकास के कालक्रम पर एक नज़र -
भारत में रेलवे का इतिहास
औद्योगिक रेलवे (1832 -1852)
सन 1832 में भारत में रेलवे का प्रस्ताव सबसे पहले मद्रास में दिया गया था. लेकिन तब यह सपना कागजों पर ही रह गया था.
सन 1835-36 में मद्रास के निकट चिंताद्रिपेट में एक प्रायोगिक रेलवे लाइन जो छोटी थी, का निर्माण किया गया जो बाद में रेड हिल रेलमार्ग बन गया.
सन 1873 में रेड हिल रेलवे नाम की देश की पहली ट्रेन रेड हिल्स से मद्रास के चिंताद्रिपेट ब्रिज तक चली थी. इसे एक रोटरी स्टीम लोकोमोटिव इंजन द्वारा खींचा गया था. इसका इंजन इंजीनियर विलियम एवरी और इंजीनियर आर्थर कॉटन द्वारा निर्मित किया गया था. तब रेलवे का उपयोग मुख्य रूप से ग्रेनाइट पत्थर के परिवहन के लिए किया जाता था.
सन 1840 के दशक में भारत में रेलवे के लिए कई प्रस्ताव पास हुए मुख्य रूप से कलकत्ता (ईआईआर) और बॉम्बे (जीआईपीआर) के आसपास.
सन 1844 में आर मैकडोनाल्ड स्टीफेंसन की रिपोर्ट प्रकाशित हुई - "ब्रिटिश भारत में रेलवे के परिचय की व्यावहारिकता और लाभ पर रिपोर्ट."
सन 1845 में राजमुंदरी के पास गोदावरी बांध निर्माण रेलवे राजमुंदरी के दोलेश्वरम में बनाया गया था. इसे भी आर्थर कॉटन ने बनवाया था.
8 मई सन 1845 में मद्रास रेलवे को शामिल किया गया था, उसके बाद उस वर्ष ईस्ट इंडिया रेलवे को शामिल किया गया था.
1 अगस्त सन 1849 को ग्रेट इंडियन पेनिन्सुलर रेलवे (GIPR) को संसद के एक अधिनियम द्वारा शामिल किया गया था.
17 अगस्त सन 1849 को "गारंटी प्रणाली" को नि:शुल्क भूमि प्रदान करने के लिए अंतिम रूप दिया गया था और निजी ब्रिटिश कंपनियों को वापसी की गारंटी पांच प्रतिशत की दर से दी गई थी, जो रेलवे का निर्माण करने के इच्छुक थे.
सन 1851 में लोकोमोटिव थॉमसन का उपयोग रुड़की में निर्माण कार्य के लिए किया गया था जो 22 दिसंबर को शुरू हुआ.
सन 1852 में मद्रास गारंटीड रेलवे कंपनी का गठन किया गया था.

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