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कांग्रेस+विपक्ष, मणिपुर_मणिपुर चिल्ला तो रहा है लेकिन वह संसद में इस पर बहस नहीं करना चाहता. वैसे तो #राहुल_गांधी #अमेरिका और #लंदन में #मणिपुर के दंगे पर अपने भाषणों में बम मार आया है लेकिन मणिपुर पर बहस न हो इसके लिए #विपक्ष कोई न कोई हथकंडा अपना कर सदन नही चलने दे रहा.
इसकी वजह है कांग्रेस+ विपक्ष मणिपुर दंगे के असली #साजिश_कर्ता और दंगे के कारणों को छिपाना चाहती है. ऊपर से कोढ़ में खाज यह हो गई कि #यूरोपियन_यूनियन ने प्रस्ताव पास कर मणिपुर दंगे पर भारत को तुरंत कार्यवाही की नसीहत दी जिस पर #भारतीय_विदेश_मंत्रालय ने उसे तुरंत खारिज करते हुए कहा की यह भारत का आंतरिक मामला है.
अब 2 दिन पहले #ब्रिटेन की सरकार के सामाजिक सुधार मंत्री ने यह कहकर और तड़का मारा है की मणिपुर दंगे से ब्रिटेन को बहुत पीड़ा हुई है और अब #चर्च आफ इंग्लैंड इस मामले में दखल देगा.
प्रश्न उठता है की यूरोप के सभी #क्रिश्चियन देश मणिपुर दंगे के बीच के फटे में क्यों अपनी टांग तुड़वाना चाहते है तो इन सबका ज़बाब है मणिपुर के #कुकी समुदाय जो क्रिश्चियन समाज है उसमें और दूसरे #मैती समुदाय जो #हिंदू कबिलाई समाज है के बीच में हो रहा दंगा.
चूंकि यह दंगा #कांग्रेस पार्टी की #साजिश से फैला है और आगे यह #मिजोरम तक फ़ैल गया है इसलिए इस दंगे पर कांग्रेस सदन में बहस नहीं चाहती और विपक्ष कांग्रेस पार्टी का साथ इसलिए दे रही है है की इसी बहाने वे कांग्रेस के साथ मिलकर मोदी सरकार को बदनाम करेगी.
नवीनतम स्थिति यह है की कांग्रेस पार्टी ने मिजोरम के बहुसख्य #ईसाई समाज को भड़का कर मिजोरम में रहने वाले #मैतेई समुदाय के हिंदू कबीलाई समाज को मिजोरम छोड़ने का अल्टीमेटम दे दिया है. अल्टीमेटम के बाद मैती समुदाय को मिजोरम से निकालने के लिए मणिपुर के मुख्य मंत्री विशेष वायुयानों की व्यवस्था करने में लग गए है.
चूंकि इन सब स्थिति का समाधान संसद ही निकाल सकती है इसलिए दोनो सदनो में मणिपुर पर तुरंत आज ही बहस होनी चाहिए यही हम सबकी मांग है।
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लेख लम्बा है
लेकिन अगर मणिपुर समस्या की जड़ें जानने की इच्छा है तो पढ़ें 👇
वो लोग जो मणिपुर का रास्ता नहीं जानते। पूर्वोत्तर के राज्यों की राजधानी शायद जानते हो लेकिन कोई दूसरे शहर का नाम तक नहीं बता सकते उनके ज्ञान वर्धन के लिए बता दूं
"मणिपुर समस्या: एक इतिहास"
जब अंग्रेज भारत आए तो उन्होंने पूर्वोत्तर की ओर भी कदम बढ़ाए जहाँ उनको चाय के साथ तेल मिला। उनको इस पर डाका डालना था। उन्होंने वहां पाया कि यहाँ के लोग बहुत सीधे सरल हैं और ये लोग वैष्णव सनातनी हैं। परन्तु जंगल और पहाड़ों में रहने वाले ये लोग पूरे देश के अन्य भाग से अलग हैं तथा इन सीधे सादे लोगों के पास बहुमूल्य सम्पदा है।
अतः अंग्रेज़ों ने सबसे पहले यहाँ के लोगों को देश के अन्य भूभाग से पूरी तरह काटने को सोचा। इसके लिए अंग्रेज लोग ले आए इनर परमिट और आउटर परमिट की व्यवस्था। इसके अंतर्गत कोई भी इस इलाके में आने से पहले परमिट बनवाएगा और एक समय सीमा से आगे नहीं रह सकता। परन्तु इसके उलट अंग्रेजों ने अपने भवन बनवाए और अंग्रेज अफसरों को रखा जो चाय की पत्ती उगाने और उसको बेचने का काम करते थे।
इसके साथ अंग्रेज़ों ने देखा कि इस इलाके में ईसाई नहीं हैं। अतः इन्होने ईसाई मिशनरी को उठा उठा के यहां भेजा। मिशनरीयों ने इस इलाके के लोगों का आसानी से धर्म परिवर्तित करने का काम शुरू किया। जब खूब लोग ईसाई में परिवर्तित हो गए तो अंग्रेज इनको ईसाई राज्य बनाने का सपना दिखाने लगे। साथ ही उनका आशय था कि पूर्वोत्तर से चीन, भारत तथा पूर्वी एशिया पर नजर बना के रखेंगे।
अंग्रेज़ों ने एक चाल और चली। उन्होंने धर्म परिवर्तित करके ईसाई बने लोगों को ST का दर्जा दिया तथा उनको कई सरकारी सुविधाएं दी।
धर्म परिवर्तित करने वालों को कुकी जनजाति और वैष्णव लोगों को मैती समाज कहा जाता है।
तब इतने अलग राज्य नहीं थे और बहुत सरे नगा लोग भी धर्म परिवर्तित करके ईसाई बन गए। धीरे धीरे ईसाई पंथ को मानने वालों की संख्या वैष्णव लोगों से अधिक या बराबर हो गयी। मूल लोग सदा अंग्रेजों से लड़ते रहे जिसके कारण अंग्रेज इस इलाके का भारत से विभाजन करने में नाकाम रहे। परन्तु वो मैती हिंदुओं की संख्या कम करने और परिवर्तित लोगों को अधिक करने में कामयाब रहे। मणिपुर के 90% भूभाग पर कुकी और नगा का कब्जा हो गया जबकि 10% पर ही मैती रह गए। अंग्रेजों ने इस इलाके में अफीम की खेती को भी बढ़ावा दिया और उस पर ईसाई कुकी लोगों को कब्जा करने दिया।
आज़ादी के बाद:
आज़ादी के समय वहां के राजा थे बोध चंद्र सिंह और उन्होंने भारत में विलय का निर्णय किया। 1949 में उन्होंने नेहरू को बोला कि मूल वैष्णव जो कि 10% भूभाग में रह गए है उनको ST का दर्जा दिया जाए। नेहरू ने उनको जाने को कह दिया। फिर 1950 में संविधान अस्तित्व में आया तो नेहरू ने मैती समाज को कोई छूट नहीं दिया। 1960 में नेहरू सरकार द्वारा लैंड रिफार्म एक्ट लाया जिसमे 90% भूभाग वाले कुकी और नगा ईसाईयों को ST में डाल दिया गया। इस एक्ट में ये प्रावधान भी था जिसमे 90% कुकी - नगा वाले कहीं भी जा सकते हैं, रह सकते हैं और जमीन खरीद सकते हैं परन्तु 10% के इलाके में रहने वाले मैती हिंदुओं को ये सब अधिकार नहीं था। यहीं से मैती लोगों का दिल्ली से विरोध शुरू हो गया। नेहरू एक बार भी पूर्वोत्तर के हालत को ठीक करने करने नहीं गए।
उधर ब्रिटैन की MI6 और पाकिस्तान की ISI मिलकर कुकी और नगा को हथियार देने लगी जिसका उपयोग वो भारत विरुद्ध तथा मैती वैष्णवों को भागने के लिए करते थे। मैतियो ने उनका जम कर बिना दिल्ली के समर्थन के मुकाबला किया। सदा से इस इलाके में कांग्रेस और कम्युनिस्ट लोगों की सरकार रही और वो कुकी तथा नगा ईसाईयों के समर्थन में रहे। चूँकि लड़ाई पूर्वोत्तर में ट्राइबल जनजातियों के अपने अस्तित्व की थी तो अलग अलग फ्रंट बनाकर सबने हथियार उठा लिया। पूरा पूर्वोत्तर ISI के द्वारा एक लड़ाई का मैदान बना दिया गया। जिसके कारण Mizo जनजातियों में सशत्र विद्रोह शुरू हुआ। बिन दिल्ली के समर्थन जनजातियों ने ISI समर्थित कुकी, नगा और म्यांमार से भारत में अनधिकृत रूप से आये चिन जनजातियों से लड़ाई करते रहे। जानकारी के लिए बताते चलें कि कांग्रेस और कम्युनिस्ट ने मिशनरी के साथ मिलकर म्यांमार से आये इन चिन जनजातियों को मणिपुर के पहाड़ी इलाकों और जंगलों की नागरिकता देकर बसा दिया। ये चिन लोग ISI के पाले कुकी तथा नगा ईसाईयों के समर्थक थे तथा वैष्णव मैतियों से लड़ते थे। पूर्वोत्तर का हाल ख़राब था जिसका पोलिटिकल सलूशन नहीं निकाला गया और एक दिन इन्दिरा गाँधी ने आदिवासी इलाकों में air strike का आर्डर दे दिया जिसका आर्मी तथा वायुसेना ने विरोध किया परन्तु राजेश पायलट तथा सुरेश कलमाड़ी ने एयर स्ट्राइक किया और अपने लोगों की जाने ली। इसके बाद विद्रोह और खूनी तथा सशत्र हो गया।
1971 में पाकिस्तान विभाजन और बांग्ला देश अस्तित्व आने से ISI के एक्शन को झटका लगा परन्तु म्यांमार उसका एक खुला एरिया था। उसने म्यांमार के चिन लोगों का मणिपुर में एंट्री कराया जिसका कांग्रेस तथा उधर म्यांमार के अवैध चिन लोगों ने जंगलों में डेरा बनाया और वहां ओपियम यानि अफीम की खेती शुरू कर दिया। पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड दशकों तक कुकियों और चिन लोगों के अफीम की खेती तथा तस्करी का खुला खेल का मैदान बन गया। मयंमार से ISI तथा MI6 ने इस अफीम की तस्करी के साथ हथियारों की तस्करी का एक पूरा इकॉनमी खड़ा कर दिया। जिसके कारण पूर्वोत्तर के इन राज्यों की बड़ा जनसँख्या नशे की भी आदि हो गई। नशे के साथ हथियार उठाकर भारत के विरुद्ध युद्ध फलता फूलता रहा।
2014 के बाद की परिस्थिति:
भारत की सभी बहन बेटियों माताओं को समर्पित ये चंद पंक्तियां हैं
मुखड़ा/
हटा दो हाथ से चूड़ी,तुम्हे इज्जत बचानी है।
नही कोई तुम्हारा है, कहानी ये पुरानी है।।
अंतरा/
सताई जा रही थी तुम,कुप्रथाओ के नाम पर।
सती प्रथा देव दासी,कही डायन निशानी है।।
नही कोई......
अंतरा/2
एक औरत नही समझे, एक औरत की जान को।
तुम्हे आपस में मिल करके,एकता अब निभानी है।।
नही कोई....
अंतरा/3
दिए अधिकार बाबा ने,तो अब हालत कुछ सुधरे।
मगर तुम दूर हो उनसे ,यही तेरी नादानी है।।
नही कोई...
अंतरा/4
किताबें अब उठालो तुम, महा पुरूषों को पढ़ डालो।
छोड़ पाखंड को निकलो ,तुम्हे लिखनी कहानी है।।
नही कोई......
अंतरा/5
पढ़ो झलकारी फूलन को,आत्म रक्षा करो अपनी।
चढ़ के दुश्मन की छाती पर,उसकी औकात लानी है।।
नही कोई.....
पडरौना जिला कुशीनगर उत्तर प्रदेश।