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लकड़ी का चरखा अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ भारत की आज़ादी की लड़ाई का शक्तिशाली प्रतीक बन गया था. इसे महात्मा गांधी ने भारतीयों में आत्मनिर्भर होने की भावना जगाने के लिए अपनाया था. उन्होंने स्वराज, स्वशासन और ब्रिटिश सामानों के बहिष्कार करने के लिए लोगों से इसे रोज कातने की सलाह दी और प्रोत्साहित किया था.

इस चरखे को मुंबई की मणि भवन से लाया गया है, जो 17 सालों तक महात्मा गांधी के राजनीतिक आंदोलन का मुख्यालय रहा.

ये प्रदर्शनी सीएसएमवीएस, मुंबई और नेशनल म्यूज़ियम दिल्ली और ब्रिटिश म्यूज़ियम लंदन के सहयोग से आयोजित की जा रही है.

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यह प्रतिमा बिहार की राजधानी पटना में मिली, जहां कई शक्तिशाली राजाओं ने राज किया

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बेसाल्ट पत्थर (250 ईसा पूर्व) पर खुदा सम्राट अशोक का एक आदेश, जिन्होंने प्राचीन भारत के अधिकांश भूभागों पर राज किया था. यह टुकड़ा मुंबई के पास सोपारा इलाके से है.

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इस संग्रह में 100 से अधिक कलाकृतियां शामिल हैं, जो भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास के महत्वपूर्ण पड़ावों को दर्शाती हैं.

सालों पहले दुनिया के दूसरे कोनों में क्या हो रहा था, प्रदर्शनी में इसकी झलक भी मिलती है. प्रदर्शनी में 124 ऐसी वस्तुएं शामिल की गई हैं, जिन्हें लंदन के म्यूज़ियम से लाया गया है और ये पहली बार म्यूज़ियम से बाहर निकली हैं.

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