image

image
2 jr - Vertalen

हलाला और मुताह तो जान लिया अब जानें उर्फी निकाह की घिनौनी सच्चाई

उर्फी निकाह क्या है

उर्फी सम्बन्धों को अरबी में "जू अजवाज उर्फी -زواجزواج عرفي " और फारसी में " निकाह उर्फी - نکاح عرفی" कहते हैं , उर्फी शब्द अरबी के "उर्फ़ - عُرف " शब्द से बना है , इसके अर्थ रिवाज(custom, ) और परम्परा( convention ) होते हैं ,यद्यपि यह रिवाज अरबों में मुहम्मद के समय भी मौजूद था , लेकिन मुल्ले इस विषय में खुल कर नहीं बोलते . मिस्र और आसपास के सुन्नी देशों के युवा उर्फी निकाह को बहुत पसंद करते हैं , क्योंकि वहां निकाह के लिए योग्य लड़की मुश्किल से मिलती है , वहां पुरुषों के अनुपात में स्त्रियां बहुत कम है , इसलिए निकाह में शादी में देर लग जाती है , और अगर कोई निकाह के बिना सहवास करता है तो इस्लामी कानून के अनुसार उसे सात साल की सजा हो सकती है , इस समस्या का हल करने के लिए मुल्लों ने कुरान और हदीस सम्मत उर्फी निकाह की तरकीब निकाली है , जिसे " अहले सुन्नत वल जमात " और सूफी भी मानते हैं .

उर्फी निकाह के नियम

वास्तव में इस्लाम निकाह को एक अनुबंध (Agreement) मानता है , जो पुरष और स्त्री के बिच किया जाता है

सुन्नी मुस्लिम निकाह के नियमों की तरह उर्फी निकाह के 3 मुख्य आवश्यक नियम हैं

three requirements of a contract, i.e. offer, acceptance and money) [3]

1 - सुन्नी निकाह की तरह उर्फी में भी ईजाब और कबूल , किया जाता ,

2.उर्फी में भी दो गवाहों की गवाही जरूरी है

3 -उर्फी में महर की राशि (यानि योनि के उपयोग का मुआवजा ) नकद और उसी समय दे दिया जाता है

4-उर्फी निकाह की अवधि पहले ही तय कर दी जाती है , जो एक घंटा ,एक दिन या एक सप्ताह हो सकती है .

5- मुद्दत पूरी हो जाने पर स्त्री स्वतन्त्र हो जाती है , वह फिर से किसी अन्य पुरष से उर्फी निकाह कर सकती है , उसे तलाक देने की जरुरत नहीं होती

6- उर्फी निकाह में स्त्री को अपने किसी संरक्षक से अनुमति लेने की जरुरत नहीं होती

7- एक स्त्री एक ही दिन में थोड़ा अंतर देकर कई पुरषों से उर्फी निकाह कर सकती है
अर्थात एक ही दिन या सप्ताह में कई पुरषों की पत्नी मानी जाती है

फारसी में इस निकाह को " चंद शौहरी - چند شوهری " हिंदी में " बहुपतित्व " अंगरेजी में " polyandry " कहते हैं

आज हमें इस्लाम के इस कटु सत्य को स्वीकार करना होगा कि जैसे एक वेश्या को पैसा देकर उसके जिसम का सौदा किया जाता है , और काम पूरा हो जाने पर उसे रवाना कर देते है ,वैसे ही निकाह में मर्द महर देकर औरत की योनि का मुआवजा चूका देते हैं , यानि उसका जैसा चाहे उपयोग कर सकते हैं , और मन भर जाने पर कोई न कोई बहाना लगा कर तीन बार तलाक बोल कर औरत को भगा देते हैं...

image
2 jr - Vertalen

आर्य शब्द का प्रयोग मानव सभ्यता के प्रारंभ से ही यदि प्रमाणिक रुप में कहें तो भगवान राम के समय से लेकर के भगवान कृष्ण के काल तक बहुत अधिक रूप से प्रचलित था

image
2 jr - Vertalen

मर्यादा पुरुषोत्तम
श्री राम अत्यन्त गुणवान् एवं श्रेष्ठ महापुरुष थे।

धर्मज्ञः सत्यसन्धश्च प्रजानां च हिते रतः । यशस्वी ज्ञानसम्पन्नः शुचिर्वश्यः समाधिमान् ।। विष्णुना सदृशो वीर्ये सोमवत् प्रियदर्शनः । कालाग्निसदृशः क्रोधे क्षम्या पृथिवीसमः । धनदेन समस्त्यागे सत्ये धर्म इवापरः ।। सत्यवादी महेष्वासो वृद्धसेवी जितेन्द्रियः । स्मितपूर्वाभिभाषी च धर्म सर्वात्मनाश्रितः ।। आहूतस्याभिषेकाय विसृष्टस्य वनाय च । मयालक्षितस्तस्य स्वल्पोऽप्याकारविभ्रमः ।।

महर्षि वाल्मीकि ने कहा है कि राम धर्म के ज्ञाता, सत्य के पालक, सर्वहितकारी, कीर्तियुक्त, ज्ञानी, पवित्र, जितेन्द्रिय और समाधि लगाने वाले हैं।

वे पराक्रम में विष्णु, प्रिय दर्शन में सोम, क्रोध में काल, क्षमा में पृथ्वी, दान में कुबेर के समान और सत्यभाषण में मानो दूसरे धर्म ही हैं।

श्रीराम सदा सत्य बोलने वाले, महाधनुर्धर, वृद्धों की सेवा करने वाले, जितेन्द्रिय, हँसकर बोलने वाले और सब प्रकार से धर्म का सेवन करने वाले हैं।

महर्षि वसिष्ठ ने कहा है कि राज्याभिषेक के लिए बुलाये जाने पर और इसके प्रतिकूल वनगमन का आदेश दिये जाने पर दोनों स्थितियों में राम के मुखमण्डल पर कोई विकार नहीं दिखायी दिया। "

वस्तुतः राम एक आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पति, आदर्श मित्र, आदर्श सम्राट् एवं आदर्श मनुष्य थे। यहाँ तक कि शत्रुओं ने भी उन्हें आदर्श कहा है।

उन्होंने प्रतिक्षण मर्यादा अर्थात् धर्म एवं नीति के अनुसार आचरण किया। इस कारण उन्हें मर्यादापुरुषोत्तम कहा जाता है।

उनकी असाधारण उपलब्धियों के कारण अधिकांश भारतीय उन्हें अपना आदर्श मानते हैं।

श्री राम की ये उपलब्धियाँ किसी चमत्कार का नहीं अपितु निरन्तर साधना, संयम, बुद्धिमानी, कौशल एवं तपस्या का फल थीं ।

अतः हम भी उनका अनुसरण एवं सुनीति का आचरण करते हुए श्रेष्ठ मनुष्य “आर्य” बनें |

भारत को विश्वगुरु बनाने वाले सम्पूर्ण पृथ्वी के चक्रवर्ती सम्राट, मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी के इस महान आर्यश्रेष्ठ स्वरूप को हर हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई तक पहुंचाएं ।

आओ हम अपने पूर्वजों के गौरवशाली यश को आगे बढ़ाएं और हम और अपने बच्चों को भी वैसे बनाने का प्रयास करें, उनके पदचिन्हों पर चलें और चलने के लिए प्रेरित करें। पढ़ने के लिए धन्यवाद् आपका..✍️

image

image

image
2 jr - Vertalen

ये चित्र देखकर आपको लगेगा ....
कि शायद ये किसी संस्था... पुस्तकालय....शिक्षण संस्थान का होगा।
परंतु नहीं....
ये चित्र एक #रेस्टोरेंट का है जो उ.प्र.के मुजफ्फरनगर जिले में रोडवेज बस स्टैंड के पास है।
खास बात ये कि भोजन #पीतल_और_तांबे के चमचमाते बर्तनों में परोसा जाता है।
भोजन की #गुणवत्ता उम्दा और आम आदमी की पहूंच वाली कीमत।
रात 10.30 बजे तक भी भीड़ थी।पर भीड़ देखकर हम बिना भोजन करें ही मालिक का #परिचय और उन्हें इन चित्रों के लिए #धन्यवाद देकर लौट आये।

image

image

image