Ontdekken postsOntdek boeiende inhoud en diverse perspectieven op onze Ontdek-pagina. Ontdek nieuwe ideeën en voer zinvolle gesprekken
मेवाड़ के महाराणा सज्जनसिंह जी (1874-84) सुयोग्य कवि भी थे। एक दिन महाराणा सज्जनसिंह जी बारहट किशनसिंह से बूंदी के इतिहास का ग्रंथ वंश भास्कर सुन रहे थे
तब किशनसिंह पढ़ते-पढ़ते रुक गए और बोले कि यहां चरण के कुछ अक्षर रह गए हैं, केवल इतना ही पाठ है कि "पहुमान रुक्कीय अक्क ढक्कीय ......... बिच्छुरे"
तब महाराणा कुछ सोचकर बोले "पहुमान रुक्कीय अक्क ढक्कीय चक्क चक्कीय बिच्छुरे..... ऐसा पाठ होगा इस चरण का"
(इतिहासकार ओझा जी को इस ग्रंथ की दूसरी प्रति जब प्राप्त हुई तब उसमें ठीक महाराणा द्वारा बतलाया हुआ पाठ ही मिला)
Sheet And Tube Laser Cutting Machine price | #http://www.jnmetallasercutter.....com/fiber-laser-cutt