Entdecken BeiträgeEntdecken Sie fesselnde Inhalte und vielfältige Perspektiven auf unserer Discover-Seite. Entdecken Sie neue Ideen und führen Sie bedeutungsvolle Gespräche
शहीद उधमसिंह "पुण्यतिथि पर उनको नमन"💐💐
#greatpatriot #gadar #rowlettact
हम सब राजस्थान वासियो के लिए बहुत ही गर्व की बात है कि ISRO द्वारा लांच chandrayaan-3 की टीम में नागौर की बेटी ,#सुनीता_खोखर भी शामिल है।
समस्त भारतीयों की ओर ISRO टीम को सफल लॉन्चिंग के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं🙏🏻
आंध्रप्रदेश के कुरनूल में आज #प्रभु_श्रीराम की मूर्ति की आधारशिला रखी गई। यह भारत में रामजी की सबसे ऊंची 108 फुट ऊंची मूर्ति होगी। मूर्ति का निर्माण "स्वामी राघवेंद्र स्वामी मठ" के प्रांगण में आरंभ हो गया। आधार Amit Shah ने रखा। एक और भव्य स्मरण।
🚀 Exciting News!
🔥 We are thrilled to announce that our AI Development Company @blockchainappsdeveloper is breaking boundaries with cutting-edge AI solutions.
🤖 Unlock the true potential of AI to revolutionize your business.
🌐 Discover innovation like never before!
Explore : bit.ly/44Th3sE
#ai #technology #innovation #blockchainappsdeveloper #techcompany #aicompany #digitaltransformation #blockchain #business #startups #enterpreneur #japan #uae #us #singapore #spain #southkorea
लोग भूल गए होंगे यह वही तरुण तेजपाल है जिसने अपनी महिला सहकर्मी का रेप किया था, मायलॉर्ड ने इसे जमानत दे दी थी,जितने "निष्पक्ष पत्रकार" है उन सबका दोस्त है ये,
इसी लुच्चे ने ताबूत घोटाले का फर्जी स्टिंग किया था जिससे अटल सरकार को धक्का लगा ,बाद में पूरा मामला सफेद झूठ निकला
ये एक अलौकिक कालजयी विद्या है
विज्ञानमय कोश की चतुर्थ भूमिका में पहुँचने पर जीव को प्रतीत होता है कि तीन सूक्ष्म बन्धन ही मुझे बाँधे हुए हैं। पंच- तत्त्वों से शरीर बना है, उस शरीर में पाँच कोश हैं। गायत्री के यह पाँच कोश ही पाँच मुख हैं, इन पाँच बन्धनों को खोलने के लिए कोशों की अलग-अलग साधनायें बताई गई हैं, विज्ञानमय कोश के
अन्तर्गत तीन बन्धन हैं, जो पञ्च भौतिक शरीर न रहने पर भी देव, गन्धर्व, यक्ष, भूत, पिशाच आदि योनियों में भी वैसे ही बन्धन बाँधे रहते हैं जैसा कि शरीरधारी का होता है यह तीन बन्धन-ग्रन्थियाँ, रुद्र ग्रन्थि, विष्णु-ग्रन्थि, ब्रह्म-ग्रन्थि के नाम से प्रसिद्ध हैं। इन के ऊँचा उठ जाने पर ही आत्मा शान्ति और आनन्द का अधिकारी होता है। इन तीन ग्रन्थियों को खोलने के महत्त्वपूर्ण कार्य को ध्यान में रखने के लिए कन्धे पर तीन तार का यज्ञोपवीत धारण किया जाता है, इसका तात्पर्य यह है कि तम, रज, सत् के तीन गुणों द्वारा स्थूल, सूक्ष्म, कारण शरीर बने हुए हैं। यज्ञोपवीत के अन्तिम भाग में तीन ग्रन्थियाँ लगाई जाती हैं इसका तात्पर्य यह है कि रुद्र ग्रन्थि, विष्णु ग्रन्थि तथा ब्रह्म ग्रन्थि से जीव बँधा पड़ा है। इन तीनों को खोलने की जिम्मेदारी का नाम ही पितृ ऋण, ऋषि ऋण, देव- ऋण है । तम को प्रकृति, रज को जीव, सत् को आत्मा कहते हैं।