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कल तेजस्वी यादव ने शहाबुद्दीन जी अमर रहे ,तस्लीमुद्दीन जी अमर रहे का नारा लगाया
इस नारे के साथ तेजस्वी यादव और राजद ने अपना एजेंडा एक दम स्पष्ट कर दिया है। यदि इसके पश्चात एक भी हिंदू वोट इनको जाता है तो समझ लीजिए हजारों वर्षों के अमानवीय उत्पीड़न से कई करोड़ हिंदुओं ने आज तक सबक नहीं सीखा है।
जिस शहाबुद्दीन जी के अमर रहने की दहाड़ तेजस्वी यादव लगा रहे हैं , उस नर पिशाच को और उसके कुकर्मों को जो लोग न जानते हों , गूगल कर लें , वैसे हिंदी पट्टी का शायद ही कोई व्यक्ति हो जो इसे न जानता हो।
तेजस्वी यादव उसे अमर कैसे करेंगे , जो महान कार्य या महान कुकर्म करते हैं वे तो स्वयं ही अमर हो जाते हैं , दुनिया उन्हें सद्कर्मों और पापों के कारण याद रखती है।
पर शहाबुद्दीन जी जैसे क्षेत्रीय चिल्लर कुकर्मियों को तेजस्वी कैसे अमर बनाएंगे , उसका एक ही रास्ता है , उसकी विरासत को पुनः जीवित कर , उसे सत्ता रूपी ऑक्सीजन देकर।
इन शाहबुद्दीन जी की लिगेसी क्या है।
हत्या , बलात्कार , जबरन वसूली , दंगा , बात न मानने पर तेजाब से नहला कर मौत के घाट उतारना , कानून को अपने " " कटे हथियार " पर रखना।
यही सब तेजस्वी बिहार को सौगात में देने वाले हैं। बिहारियों सोच लो तुम्हे क्या यही सब चाहिए ?