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#सौ_करोड़ होने के बाद भी आज तुम मंदिरों में छुप कर भाग कर अपनी जान बचा रहे हो उस समय का अंदाजा लगाओ जब पूरे भारत की आबादी ही 16 करोड़ थी और विदेशी #आक्रांता बार बार भारत पर आक्रमण कर रहे थे तब न भारत के पास आधुनिक हथियार थे न क्षत्रियों की संख्या #10_12 करोड़ थी ...
फिर भी 1947 के समय भारत में 85% हिंदू था क्यू कि मुट्ठी भर हो कर भी हमारे #पुरखों ने कई बार #मुगल ,तुर्क ,अफगानों को कई बार खदेड़ा था आज 100 करोड़ हो कर भी भाग कर छुप कर तुम जान बचाते फिर रहे हो और कहते हो क्षत्रिय हार गए थे अब #समय है अब तुम लड़ कर दिखाओ जीत कर दिखाओ
अकबर की महानता का गुणगान तो कई इतिहासकारों ने किया है लेकिन अकबर की औछी हरकतों का वर्णन बहुत कम इतिहासकारों ने किया है
अकबर अपने गंदे इरादों से प्रतिवर्ष दिल्ली में नौरोज का मेला आयोजित करवाता था जिसमें पुरुषों का प्रवेश निषेध था अकबर इस मेले में महिला की वेष-भूषा में जाता था और जो महिला उसे मंत्र मुग्ध कर देती थी उसे दासियाँ छल कपटवश अकबर के सम्मुख ले जाती थी एक दिन नौरोज के मेले में महाराणा प्रताप की भतीजी छोटे भाई महाराज शक्तिसिंह की पुत्री मेले की सजावट देखने के लिए आई जिनका नाम बाईसा किरणदेवी था जिनका विवाह बीकानेर के पृथ्वीराज जी से हुआ
बाईसा किरणदेवी की सुंदरता को देखकर अकबर अपने आप पर काबू नही रख पाया और उसने बिना सोचे समझे दासियों के माध्यम से धोखे से जनाना महल में बुला लिया जैसे ही अकबर ने बाईसा किरणदेवी को स्पर्श करने की कोशिश की किरणदेवी ने कमर से कटार निकाली और अकबर को ऩीचे पटकर छाती पर पैर रखकर कटार गर्दन पर लगा दी और कहा नींच... नराधम तुझे पता नहीं मैं उन महाराणा प्रताप की भतीजी हुं जिनके नाम से तुझे नींद नहीं आती है बोल तेरी आखिरी इच्छा क्या है अकबर का खुन सुख गया कभी सोचा नहीं होगा कि सम्राट अकबर आज एक राजपूत बाईसा के चरणों में होगा अकबर बोला मुझे पहचानने में भूल हो गई मुझे माफ कर दो देवी तो किरण देवी ने कहा कि आज के बाद दिल्ली में नौरोज का मेला नहीं लगेगा और किसी भी नारी को परेशान नहीं करेगा अकबर ने हाथ जोड़कर कहा आज के बाद कभी मेला नहीं लगेगा उस दिन के बाद कभी मेला नहीं लगा ।
इस घटना का वर्णन गिरधर आसिया द्वारा रचित सगत रासो मे 632 पृष्ठ संख्या पर दिया गया है बीकानेर संग्रहालय में लगी एक पेटिंग मे भी इस घटना को एक दोहे के माध्यम से बताया गया है -
किरण सिंहणी सी चढी उर पर खींच कटार!!
भीख मांगता प्राण की अकबर हाथ पसार!!
धन्य है किरण बाईसा !!उनकी वीरता को नमन् 🚩