ऋष्यमूक पर्वत की गुफा में सुग्रीव, जामवंत
और हनुमानजी जाकर छुपे थे।
सभी वीर, बलशाली, देवत्व प्राप्त लोग हैं।
हम इसका आध्यात्मिक, धार्मिक महत्व निकाल सकते हैं।
लेकिन इसमें सामान्य जन के लिये बहुत उपयोगी संदेश छुपा है।
परिस्थितिया कितनी भयावह है। बाली व रावण के भय से जब इतने बलशाली लोग भागे भागे फिर रहे हैं तो इस विशाल भूभाग पर जो लोग थे, उनकी दशा क्या रही होगी।
रावण, बाली के साथ यही नहीं है कि यह लोग अत्याचारी हैं। यह चरित्रभृष्ट भी हैं। स्त्रियों का अपरहण, उनको बंधक बना लेना, बलात्कार करना आये दिन घटनाएं हो रही थीं।
राक्षस, लंका से अयोध्या की सीमा तक आकर हाहाकार मचा देते हैं।
यह विषय यहीं छोड़कर सीधे चलिये, जब युद्ध हेतु सुग्रीव सबको बुलाते हैं।
लाखों सैनिक, योद्धा पहुँचते हैं। यह सभी सैनिक योद्धा तब भी तो थे जब भगवान आये नहीं थे। यह लोग लड़ क्यों नहीं रहे थे।
रावण, बाली, मेघनाद का इतना भय था कि किसी में साहस नहीं था कि वह सामने खड़ा हो सके।
मर्यादापुरुषोत्तम भगवान राम के आते ही सब कुछ बदल जाता है। ऐसा नहीं है कि सबको यह पता है कि वह ईश्वर के अवतार हैं। स्वयं सुग्रीव को इस पर संदेह है। क्या बाली को हरा देंगे??
यह चमत्कार है उनके नेतृत्व का, उनके महान चरित्र का है। वह वनवासी से लेकर कपि, रीछ सभी को संगठित करते हैं। सबको प्रशक्षित करते हैं।
एक दूसरे का सहयोग करके कैसे असंभव लक्ष्य को संभव किया जा सकता है।
यह प्रसंग पूरी व्याख्या करता है। हनुमानजी को अपना बल ही भूल गया था।
'का चुपी साध रहेहु बलवाना '
जो बलवान हैन, वह चुप हैं। यह निराशा, उदासीनता, नियति की विवशता का प्रतीक है।
व्यक्ति से लेकर परिवार, समाज, राष्ट्र , सभ्यता के जीवनकाल में ऐसे क्षण आते हैं, जब बल होते हुए भी मनुष्य असहाय, शक्तिहीन होकर घुटने टेक देता है।
ऐसे समय का नेतृत्व मर्यादापुरुषोत्तम करते हैं। उनका मृदुल व्यवहार, निम्न से निम्न को महत्व, श्रेष्ठजनों को आदर देना, हर विफलता का आक्षेप अपने ऊपर लेना! उनके महान नेतृत्व को दिखा रहा है।
उनके भक्त, आस्थावान मेरी उपयोगिता से असहमत हो सकते है। लेकिन मैं यह कहना चाहता हूँ कि मर्यादापुरुषोत्तम भगवान के इन सद्गुणों की आज बड़ी आवश्यकता है। एक अच्छा और सफल व्यक्ति बनने के लिये।
यह प्रसंग कितना व्याकुल करता है। जब लक्ष्मण जी मूर्क्षित पड़े हैं, रामभद्र बिलखते हुई कहते हैं...
संसार यही कहेगा, राम ने पत्नी के लिये भाई के जीवन की भी बलि दे दिया।।