Знакомьтесь сообщенийИзучите увлекательный контент и разнообразные точки зрения на нашей странице «Обнаружение». Находите свежие идеи и участвуйте в содержательных беседах
एक सुन्दर कविता हाथ लगी थी, सोचा सबके साथ शेयर करुं.....
😃😃😃
राजस्थान के एक गांव के पुराने कवि एक आधुनिक शादी
के जीमण में खडे खाने (बफर खाने) में फंसे गये, उनकी व्यथा
एक राजस्थानी कविता में-----
"मै रपट लिखास्यु थाणा मे,
मै फंस ग्यो बफर खाणा मे,
मने बात समझ मी नी आवे,
गाजर, टमाटर, गोभी काचा खावे,
हाथ मे प्लेट लेने लैण लगावे,
काऊन्टर सु काऊन्टर पर जावे,
ज्यु मगतो फिरे ढाणीया ने,
मै फंस ग्यो बफर खाणा मे।
बाजोट पातीया जिमण थाल,
ईण सगलो रो पड ग्यो काल,
ऊबा-ऊबा ही खाई रिया माल,
देश री गधेडी, पुरब री चाल,
पेला जेडो मिठास कटे भाणा मे,
मै फस ग्यो बफर खाणा मे!!
एक हाथ मे प्लेट लिरावो,
साग, मिठाई भेला ही खावौ,
भीड मे लोगो रा धक्का खावो,
घुमता-फिरता भोजन पावो,
ज्यु बलद फिरे घाणा मे,
मै फस ग्यो बफर खाणा मे!
सगला व्यंजन लावना दोरा,
ले भी आवो तो संभालना दोरा,
भीड-भाड ती बचावणा दोरा,
ढुल जावेला रुखालना दोरा,
मै डाफा चुक हो गयो बीकाणा मे,
मै फंस ग्यो बफर खाणा मे!!
आर्केस्टा वाला नाचे गावे,
बिन्द-बिन्दणी हँसता जावे,
घर वाला लिफ़ाफ़ा लिरावे,
सगलो रो ध्यान है गाणा मे,
मै फस ग्यो बफर खाणा मे!!
बुढा-बढेरा किकर खावे,
विकलांगो ने कुण जिमावे,
टाबर-टिबर भुखा ही जावे,
कोई बेठा ने कोई ऊबा ही खावे,
ईण लोगो ने कुण समझावे,
देखा-देखी होड लगावे,
सब लागा है आणा-जाणा मे,
मै फँस ग्यो बफर खाणा में